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पाकिस्‍तान परस्त, सबसे कट्टर चेहरा, कश्‍मीर को पाकिस्‍तान में मिलाने की वकालत करने वाले सैयद अली शाह गिलानी

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श्रीनगर। 90 साल के सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्‍फ्रेंस में हर जिम्‍मेदारी से इस्‍तीफा दे दिया है। गिलानी को कश्‍मीर के एक ऐसे नेता के तौर पर जाना जाता है जिसने पिछले तीन दशकों में न सिर्फ घाटी में अलगाववाद को बढ़ावा दिया बल्कि उनकी वजह से घाटी के कई युवाओं ने हथियार उठा लिए। वह एक ऐसे नेता के तौर पर उभरे जिनकी एक आवाज पर घाटी में सब-कुछ बंद हो जाता और युवा सुरक्षाबल पर पत्‍थरबाजी करने आगे आ जाते। जानिए कौन हैं सैयद अली शाह गिलानी जो हर बार पाकिस्‍तान में कश्‍मीर को मिलाने की वकालत करते थे।

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टीचर रहते जुड़े जमात-ए-इस्‍लामी से

टीचर रहते जुड़े जमात-ए-इस्‍लामी से

29 सितंबर 1929 में बारामूला के सोपोर के गांव दुरू में सैयद अली शाह गिलाना की जन्‍म हुआ। सोपोर में प्राइमरी एजुकेशन हासिल करने के बाद यह पाकिस्‍तान के लाहौर गए जो उस समय भारत का हिस्‍सा था। लाहौर में गिलानी ने कुरान और बाकी धर्मशास्‍त्रों की शिक्षा ली और फिर कश्‍मीर वापस आ गए। यूं तो गिलानी ने एक टीचर के तौर पर अपना करियर शुरू किया था लेकिन आजादी के बाद कश्‍मीर के मसले में इनकी दिलचस्‍पी बढ़ गई। जिस समय वह एक टीचर के तौर पर जिंदगी बिता रहे थे, उसी समय वह सोपोर में जमात-ए-इस्‍लामी से जुड़ गए।

90 के दशक से हुए सक्रिय

90 के दशक से हुए सक्रिय

सन् 1950 में गिलानी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले गिलानी 90 के दशक में घाटी में तेजी से सक्रिय हो गए। 13 जुलाई 1993 को कश्‍मीर में अलगाववादी आंदोलन को राजनीतिक रंग देने के मकसद से ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएससी) का गठन हुआ। यह संगठन उन तमाम पार्टियों का एक समूह था जिसने वर्ष 1987 में हुए चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन के खिलाफ आए थे। घाटी में जब आतंकवाद चरम पर था इस संगठन ने घाटी में पनप रहे आतंकी आंदोलन को राजनीतिक चेहरा दिया और दावा किया कि वे लोगों की इच्‍छाओं को ही सबके सामने रख रहे हैं।

पाकिस्‍तान के समर्थक गिलानी

पाकिस्‍तान के समर्थक गिलानी

सोपोर से विधायक रहे गिलानी हुर्रियत के अस्तित्‍व में आने के बाद घाटी के एक बड़े नेता के तौर पर उभरकर सामने आए। हुर्रियत कॉन्‍फ्रेंस ने दो अलग-अलग लेकिन मजबूत विचारधाराओं को एक साथ रखा। एक विचारधारा के लोग वे थे जो जम्‍मू कश्‍मीर की भारत और पाकिस्‍तान दोनों से आजादी की मांग करते थे तो दूसरी विचारधारा के लोग वे थे जो चाहते थे कि जम्‍मू कश्‍मीर पाकिस्‍तान का हिस्‍सा बन जाए, गिलानी इसी दूसरी विचारधारा में शामिल रहे। एक दशक जेल में बिताने वाले गिलानी ने एक बार बयान दिया और कहा कि भारतीय सुरक्षा अधिकारी उन्‍हें अक्‍सर चुनावों से पहले गिरफ्तार कर लेते हैं।

दर्ज हुआ था देशद्रोह का केस

दर्ज हुआ था देशद्रोह का केस

29 नवंबर 2010 को गिलानी के साथ लेखिका अरुंधति रॉय, माओवादी वारावारा राव और तीन और लोगों पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ। 21 अक्‍टूबर 2010 को गिलानी दिल्‍ली में आयोजित 'आजादी-द ओन्‍ली वे' नामक सेमिनार में शामिल हुए थे। इस सेमिनार में उनके संबोधन में लोगों ने टोका-टाकी की और फिर इसी वजह से उन पर देशद्रोह का केस भी दर्ज किया गया। सुरक्षा एजेंसियों की मसनें तो गिलानी भारत में रहने वाले ऐसे शख्‍स हैं जिन्‍होंने कश्‍मीर में आतंकवाद को खुलकर बढ़ावा दिया है।

बेटा था रावलपिंडी में डॉक्‍टर

बेटा था रावलपिंडी में डॉक्‍टर

गिलानी वर्तमान समय में श्रीनगर के हैदरपोरा में अपनी पत्‍नी जवाहिरा बेगम के साथ रहते हैं। उनके तीन बच्‍चे हैं जिसमें से दो बेटे नईम और जहूर और एक बेटी फरहत है। नईम और उनकी पत्‍नी दोनों डॉक्‍टर हैं और दोनों पाकिस्‍तान के रावलपिंडी में प्रैक्टिस करते थे। साल 2010 में दोनों कश्‍मीर वापस लौट आए। दूसरा बेटा जहूर नई दिल्‍ली में रहता है। गिलानी का पोता इजहार भारत की एक प्राइवेट एयरलाइन में क्रू मेंबर है। बेटी फरहत सऊदी अरब के जेद्दा में टीचर है। गिलानी के बाकी पोता-पोती देश के अग्रणी स्‍कूलों में पढ़ते हैं।

परिवार के नाम पर 150 करोड़ की संपत्ति

परिवार के नाम पर 150 करोड़ की संपत्ति

आईएसआई के साथ मिलकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले गुलाम नबी फई, गिलानी के चचेरे भाई हैं। इस समय लंदन में रह रह फई का नाम26/11 में भी आया है। साल 2017 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की चार्जशीट में कहा गया था कि हुर्रियत के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी और उनके परिवार के नाम पर 14 प्रॉपर्टीज हैं और इनकी कीमत 100 से 150 करोड़ के बीच है। सभी संपत्तियों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है बारामुला स्थित सोपोर का यूनिक पब्लिक स्कूल। सात एकड़ जमीन पर स्थित इस स्कूल की कीमत मार्केट में 30 करोड़ रुपए है।

किडनी कैंसर के मरीज गिलानी

किडनी कैंसर के मरीज गिलानी

साल 2007 गिलानी को किडनी कैंसर का पता लगा था। उनकी सर्जरी भी हुई थी और वह पूरी तरह से स्‍वस्‍थ हो गए थे। साल 1981 में गिलानी का भारतीय पासपोर्ट जब्‍त कर लिया गया था। साल 2006 में हज के नाम पर उन्‍होंने अपना पासपोर्ट वापस लिया। उन्‍हें पासपोर्ट लेते समय एफिडेविट देना पड़ता था जिस पर गिलानी को भारतीय नागरिक बने रहने और भारत के प्रति ही वफादार बने रहने की शपथ लेनी होती थी। पासपोर्ट फिर से रद्द कर दिया गया था लेकिन 21 जुलाई 2015 को नौ माह के लिए वैध भारतीय पासपोर्ट फिर से जारी किया था। वह पूर्व विधायक हैं और ऐसे में उन्‍हें सरकार की तरफ से पेंशन मिलने की खबरें भी आई थीं।

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English summary
Jammu Kashmir: Separatist leader Syed Ali Shah Geelani resigns from Hurriyat Conference know about him his profile.
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