J&K: Article 370 हटने के साढ़े तीन महीने बाद स्पीकर पद से BJP नेता की छुट्टी
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर जीसी मुर्मू के प्रशासन की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर और वरिष्ठ बीजेपी नेता निर्मल सिंह का कार्यकाल समाप्त होने की घोषणा की गई है। निर्मल सिंह तब राज्य विधानसभा के स्पीकर बने थे, जब राज्य का पुराना संविधान लागू था। गौरतलब है कि पिछले 31 अक्टूबर को ही जम्मू-कश्मीर का दर्जा राज्य से बदलकर केंद्र शासित प्रदेश हो चुका है। लेकिन, इसके बावजूद सिंह के स्पीकर बने होने को लेकर वहां की सियासी पार्टियों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। निर्मल सिंह पुराने राज्य में बीजेपी-पीडीपी सरकार गिरने से कुछ समय पहले ही स्पीकर चुने गए थे।
अब स्पीकर पद पर नहीं रहेंगे निर्मल सिंह
शनिवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि- 'पूर्व जम्मू और कश्मीर विधानसभा के स्पीकर निर्मल सिंह को 31 अक्टूबर, 2019 से स्पीकर पद पर नहीं माना जाएगा।' नोटिफिकेशन के मुताबिक- 'केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के एडवोकेट जनरल से चर्चा के बाद यह कानूनी पक्ष सामने आया है कि राज्य के पुर्गठन के बाद पूर्व जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर 31अक्टूबर,2019 से इस पद पर नहीं रह सकते।' यह नोटिस प्रदेश के कानून, न्याय और संसदीय कार्य विभाग की ओर से जारी किया गया है। बता दें कि पिछले 5 अगस्त को ही राज्य से धारा-370 हटा ली गई थी और 31 अक्टूबर से यह राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में विभाजित हो गया है। गौरतलब है कि राज्य के पुनर्गठन के बावजूद बीजेपी नेता बतौर स्पीकर पद पर बने रहे और जब शीतकालीन राजधानी के तौर पर सरकारी कामकाज (दरबार) श्रीनगर से जम्मू शिफ्ट हुआ, तब भी 4 नवंबर को उन्होंने बतौर स्पीकर अपने दफ्तर का काम किया।
संविधान और मौजूदा कानूनों का अपमान-एनपीपी
जम्मू-कश्मीर में हुए बड़े संवैधानिक बदलाव के बावजूद बीजेपी नेता निर्मल सिंह के राज्य विधानसभा के स्पीकर बने रहने को लेकर सवाल उठ रहे थे। हाल ही में कई पार्टियों ने यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। खासकर जम्मू आधारित नेशनल पैंथर्स पार्टी ने इसे जोरदार तरीके से उठाया था। पार्टी का कहना था कि जब राज्य में विधानसभा भंग हो चुकी है, आर्टिकल 370 समाप्त हो चुका है और जम्मू-कश्मीर राज्य का दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन हो चुका है, फिर निर्मल सिंह के स्पीकर होने का क्या मतलब है। 13 नवंबर को एनपीपी के चेयरमैन और पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह ने उनके स्पीकर बने रहने को "संविधान और मौजूदा कानूनों का अपमान" बताया था।
10 मई, 2018 को बने थे स्पीकर
निर्मल सिंह को 10 मई, 2018 को पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य के विधानसभा का स्पीकर चुना गया था। इसके एक महीने बाद ही राज्य में पीडीपी-बीजेपी सरकार गिर गई थी और 20 जून, 2018 को वहां गवर्नर रूल लागू हो गया था। लेकिन, राज्य पुनर्गठन के बावजूद उनके स्पीकर बने रहने को लेकर विवाद शुरू हो गया था, जिसके चलते ही शायद उन्हें 31 अक्टूबर से ही स्पीकर नहीं माना गया है। राज्य पुनर्गठन कानून के तहत अभी भी जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का प्रावधान है, लेकिन लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। जबकि, जम्मू-कश्मीर की स्थिति पूरी तरह से अलग है, जहां निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए विधानसभा तो होगी, लेकिन यह एक केंद्र शासित प्रदेश की तरह ही काम करेगा।
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