'असफल नेहरू मॉडल का स्पष्ट उदाहरण है जम्मू-कश्मीर'
जम्मू-कश्मीर। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की तरफ से नेहरूवादी मॉडल की आलोचना किए जाने के एक दिन बाद ही केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने भी नेहरू पर निशाना साधा है। रविवार को जितेन्द्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर नेहरू के असफल मॉडल का स्पष्ट उदाहरण है। जितेन्द्र सिंह ने यह बात जम्मू के बाहरी क्षेत्र में आयोजित 'याद करो कुर्बानी' रैली के दौरान कही।
इस रैली में लोगों को संबोधित करते हुए जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कल केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अर्थव्यवस्था के असफल नेहरूवादी मॉडल की बात की थी और आज मैं कहता हूं कि अगर आप नेहरू के असफल मॉडल को देखना चाहते हैं, तो जम्मू कश्मीर उसका ही एक उदाहरण है।
And today I say that if you want to see failed political model of Nehru, then Jammu and Kashmir is the best example: Jitendra Singh in Jammu
— ANI (@ANI_news) August 21, 2016
जितेन्द्र सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर का क्षेत्र माराजा हरी सिंह के अधीन था, जिसका कुल क्षेत्रफल 2.25 लाख वर्ग किलोमीटर था, लेकिन हमारे पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के असफल मॉडल के चलते ही भारत को सिर्फ एक लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र मिल सका। बाकी का सारा हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से में आ गया, जिसमें गिलगिट, बल्टिस्तान और पीओके हैं।
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वे बोले कि महाराजा नेहरू से बहुत अधिक नाराज थे। इसीलिए उन्होंने कभी जम्मू-कश्मीर वापस न आने का फैसला किया और अपनी आखिरी सांस भी मुंबई में ही ली। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की तरफ से शुरू की गई तिरंगा यात्रा तभी पूरी होगी, जब गिलगिट, बल्टिस्तान और कोटली में भी भारत का झंडा लहराएगा।
क्या कहा था जेटली ने
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि जैसा जनता विश्वास करती है कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव आर्थिक मसीहा थे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। यूपीए सरकार ने प्रॉडक्टीविटी को खारिज करने का काम किया है और आजादी के बाद नेहरू के मॉडल ने कोई विकास नहीं हुआ।
जेटली ने कहा- नेहरू के विकास मॉडल से नहीं हुआ देश में कोई विकास
मुंबई में जीएसटी पर चर्चा के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जेटली ने कहा था कि विकास के नेहरू मॉडल के कारण देश के विकास की दर 1 फीसदी तक भी नहीं पहुंच सकी थी।
उन्होंने कहा था कि विकास में नेहरू मॉडल ने कोई मदद नहीं की। 1 फीसदी से भी कम लोगों के पास मोबाइल फोन है। दूसरे देश विकास कर रहे थे लेकिन भारत नहीं, हम उस मॉडल को फॉलो कर रहे थे और कुछ लोग उस मॉडल की बढ़ाई करते हैं।