जम्मू कश्मीर: अब हफ्ते में दो दिन हाइवे पर सिविलियन गाड़ियों की नो एंट्री, सिर्फ सुरक्षाबलों के काफिले को ही मंजूरी
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर सरकार ने ऐलान किया है कि जम्मू श्रीनगर नेशनल हाइवे को हफ्ते में दो दिन के लिए बंद रखा जाएगा। हाइवे पर बारामूला से उधमपुर तक हफ्ते में दो दिन आम गाड़ियों को गुजरने की इजाजत नहीं दी जाएगी। सरकार ने यह फैसला 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद उठाया है। सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इसी हमले के बाद सुरक्षा को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। हालांकि सरकार के इस फैसले की काफी आलोचना भी हो रही है।
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चुनावों तक जारी रहेगी सख्ती
एक प्रवक्ता की ओर से बताया गया है, 'इस बात को ध्यान में रखते हुए कि नेशनल हाइवे पर संसदीय चुनाव के समय सुरक्षाबलों का मूवमेंट काफी रहेगा और ऐसे में काफिले पर किसी भी तरह के आत्मघाती हमले की संभावना भी बढ़ जाती है। इसलिए ही हर रविवार और बुधवार को हाइवे से किसी तरह के सिविलियन ट्रैफिक को मंजूरी नहीं दी जाएगी।' अधिकारी की ओर से कहा गया है कि सुबह चार बजे से लेकर शाम पांच बजे तक हफ्ते में हर बुधवार और रविवार को किसी भी तरह के सिविलियन गाड़ी को हाइवे से गुजरने की मंजूरी नहीं दी जाएगी।
सुबह चार बजे से शाम पांच बजे तक नो मूवमेंट
हफ्ते में दो दिन सुबह चार बजे से शाम पांच बजे तक बारामूला से श्रीनगर, काजीगुंड, जवाहर टनल, बनिहाल और रामबन होते हुए जम्मू में उधमपुर तक जाने वाला हाइवे पूरी तरह से सिर्फ सुरक्षाबलों के प्रयोग के लिए ही होगा। सरकार ने तय किया है कि किसी भी तरह की इमरजेंसी सिचुएशन या किसी और वजह से स्थानीय प्रशासन और पुलिस की ओर से वही इंतजाम किसी सिविलियन गाड़ी के लिए किए जाएंगे, जो कर्फ्यू के दौरान किए जाते हैं। यह इंतजाम 31 मई तक रहेंगे।
राजनाथ सिंह ने किया था इशारा
इससे पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 फरवरी को अपने श्रीनगर दौरे पर कहा था कि सिविलियन मूवमेंट के दौरान उन्हें आम जनता से सहयोग की उम्मीद है। राजनाथ सिंह ने इशारा किया था कि आने वाले दिनों में सिविलियन ट्रैफिक को रोका जाएगा ताकि सुरक्षाबलों का काफिला सुरक्षापूर्वक गुजर सके। राजनाथ सिंह का वह दौरा पुलवामा आतंकी हमले के तुरंत बाद हुआ था। इस दौरान उन्होंने हाई लेवल की एक सिक्योरिटी मीटिंग की अध्यक्षता की थी। इस मीटिंग में उन्होंने मीडिया को जानकारी दी थी और बताया था, 'आज से किसी भी काफिले के मूवमेंट सिविलियन गाड़ियों को तब तक के लिए रोका जाएगा जब तक कि काफिला पूरी तरह से निकल नहीं जाता।'
90 के दशक में था ऐसा माहौल
90 के दशक के दौरान जब घाटी में आतंकवाद चरम पर था तो उस समय सिविलियन गाड़ियों को रोक दिया जाता था। गाड़ियां तब तक रुकी रहती थीं जब तक कि सुरक्षाबल गुजर नहीं जाते थे। इसके बाद जब साल 2002 में पीडीपी की सरकार बनी तो इस नियम को हटा दिया गया। सरकार ने उस समय लोगों से वादा किया था कि संघर्ष से जूझ रही जनता को वह कुछ राहत देगी। माना जा रहा है कि सरकार की ओर से आए नए कानून घाटी में लोगों का गुस्सा बढ़ा सकते हैं। पुलवामा आतंकी हमले को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने अंजाम दिया था। डार ने विस्फोटाकों से लदी एक गाड़ी को सीआरपीएफ की बस से टकरा दिया था। 30 मार्च को भी जम्मू से श्रीनगर तक जाने वाले हाइवे पर बनिहाल में सीआरपीएफ काफिले को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी।