J&K: स्कूल-कॉलेजों में 'भगवद् गीता' पढ़ाने पर मचा बवाल, सरकार ने वापस लिया सर्कुलर
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने उस सर्कुलर को वापस ले लिया है जिसमें शिक्षा विभाग से राज्य के स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में 'भगवद् गीता' और 'कोशुर रामायण' का उर्दू संस्करण उपलब्ध कराने को कहा गया था। बता दें कि सरकार के इस सर्कुलर को लेकर विवाद शुरू हो गया था। विभिन्न तबकों के लोगों ने इस सरकार के इस सर्कुरल का विरोध करते हुए सवाल उठाया था।
वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दूसरे धर्मों की पुस्तकों को नजरअंदाज करने को लेकर सवाल उठाया था। उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि यह ऑर्डर एक विशेष धर्म की धार्मिक किताब को लेकर दिया गया है। जबकि अन्य धर्मों की उपेक्षा की गई है। उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए कहा कि सिर्फ गीता और रामायण ही क्यों बाकी धर्म के किताबों को स्कूल, कॉलेज और सरकारी पुस्तकालयों में रखा जाना चाहिए।
Why just the Gita & Ramayana? If religious texts are to be placed in schools, collages & government libraries (and I’m not convinced that they need/should be) then why is it being done selectively? Why are other religions being ignored? pic.twitter.com/UqxMG0NpMJ
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 22, 2018
क्या
कहा
गया
था
सर्कुलर
में?
जम्मू-कश्मीर
सरकार
ने
अपने
सर्कुलर
में
कहा
था
कि
विद्यालय
शिक्षा
विभाग,
उच्च
शिक्षा
विभाग,
कॉलेज
डॉयरेक्टर,
लाइब्रेरी
और
संस्कृति
विभाग
के
डॉयरेक्टर
श्रीमद्
भागवत
गीत
और
कोशुर
रामायण
की
उर्दू
संस्करण
की
प्रतियां
जो
कि
सरवानंद
प्रेमी
द्वारा
लिखा
गया
हो
उसके
पर्याप्त
संख्या
में
खरीदने
पर
विचार
करें।
सर्कुलर
के
अनुसार
यह
फैसला
जम्मू-कश्मीर
के
राज्यपाल
सत्यपाल
मलिक
के
सलाहकार
बीबी
व्यास
की
अध्यक्षता
में
4
अक्टूबर
को
हुई
बैठक
में
लिया
गया
था।
लेकिन
जैसे
ही
सर्कुलर
सामने
आया
इस
पर
विवाद
शुरू
हो
गया
था।
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