जम्मू कश्मीर के राज्यपाल को चाहिए अपनी सुरक्षा के लिए नई सिक्योरिटी फोर्स, लेकर आए नया बिल
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर जहां आए दिन आतंकी वारदातों ने आम नागरिकों को दहशत के साए में जीने को मजबूर कर दिया है, वहां के राज्यपाल सत्यपाल मलिक अपने कार्यकाल में एक ऐसा सुरक्षा कानून लाने की तैयारी कर रहे हैं जो सिर्फ उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए होगा। दिलचस्प बात यह है कि कानून तब आ रहा है जब उनकी सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही काफी सख्त है। इंग्लिश डेली, इंडियन एक्सप्रेस की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। इस नई खबर के बाद राजनीतिक दल राज्यपाल के रवैये पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।
राज्यपाल को मिली है जम्मू कश्मीर पुलिस की सुरक्षा
जम्मू कश्मीर गर्वनर्स स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स बिल 2018, यह नया बिल है जो राज्यपाल की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा है। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल और उनके परिवार को वर्तमान समय में स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप (एसएसजी) और स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) जैसी सुरक्षा हासिल है। इसके बाद भी राज्यपाल अब एक नए सुरक्षाबल को लाने की तैयारी कर चुके हैं। उनकी इस नई सिक्योरिटी फोर्स को स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव काउंसिल से ही झंडी मिलनी बाकी है। नई सिक्योरिटी टीम एसएसजी और एसपीजी की ही तर्ज पर होगी। एसएसजी और एसपीजी मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत उनके परिवार को सुरक्षा देती हैं। राज्यपाल की सुरक्षा को फिलहाल जम्मू कश्मीर पुलिस की सिक्योरिटी विंग संभालती है और इसे एक एसपी रैंक का अधिकारी लीड करता है।
'चीन की दिवार बनाना चाहते हैं राज्यपाल'
नए सिक्योरिटी बिल के तहत संविधान से जुड़े कुछ नियम हैं। बिल में इसके अलावा एक अलग सुरक्षा बल को तैयार करना भी है जो राज्यपाल और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करेगा। राज्यपाल के इस कदम पर राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि यह काफी हास्यास्पद है और लगता है कि राज्यपाल अपने चारों तरफ 'चीन की दिवार' खड़ी करना चाहते हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एआर राठर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है, 'ऐसा लगता है कि राज्यपाल इतनी तेजी से नए कानून बना रहे हैं जो किसी चुनी हुई विधानसभा के लिए संभव नहीं हो पाते हैं, यह काफी हास्यास्पद है।' उन्होंने कहा कि चुनी हुई सरकार की गैर-मौजूदगी में राज्यपाल के पास बिल लाने की ताकत होती है लेकिन इसमें उन्होंने न्याय व्यवस्था का प्रयोग होना चाहिए। कोई भी नया बिल असाधारण परिस्थितियों में लाया जाता है और उससे राज्य के हितों को नुकसान नहीं होना चाहिए या फिर किसी तरह की कोई संकट की स्थिति नहीं होनी चाहिए।
सलाहकार बोले सोच-समझकर लिया गया फैसला
वहीं पीडीपी नेता और पूर्व मंत्री ने कहा कि जिस समय घाटी में आतंकवाद चरम पर था तो राज्य में पूर्व सेना प्रमुख और रॉ के पूर्व चीफ राज्यपाल के तौर पर थे। लेकिन उन्हें तो कभी राज्य में कभी इतना डर नहीं लगा कि उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए एक नए सुरक्षा बल की मांग कर डाली हो। पीडीपी नेता के मुताबिक राज्यपाल मलिक को एक वादे के साथ यहां पर भेजा गया है क्योंकि वह एक राजनेता हैं। उन्हें लोगों के बीच में जाना चाहिए और उनसे बातचीत करनी चाहिए। लेकिन वह अपने चारों ओर चीन की दिवार खड़ी करने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने कहा है कि नए सुरक्षा बल के गठन का फैसला काफी सोच विचार करने के बाद लिया गया है।