केंद्रशासित प्रदेश बनने के साथ ही मिट गई 44 साल पुरानी जम्मू-कश्मीर में बची आपातकाल की आखिरी निशानी
श्रीनगर। 31 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गए हैं। पांच अगस्त को आर्टिकल 370 हटने के बाद अब घाटी में कई परिवर्तन देखने को मिलेंगे। इन्हीं बदलावों में एक है यहां की विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष से पांच वर्ष का होना। यह बात और भी ज्यादा दिलचस्प है कि 31 अक्टूबर को जब पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि और सरदार पटेल की जन्मतिथि थी, उसी समय जम्मू कश्मीर में एक नई शुरुआत हो रही थी। इंदिरा का जिक्र इसलिए किया क्योंकि सन् 1975 में जब उन्होंने देश में जिस आपातकाल की घोषणा की थी, उसकी एक निशानी घाटी में रह गई थी। अब उनकी पुण्यतिथि वाले दिन ही यह निशानी पूरी तरह से खत्म हो गई है।
इमरजेंसी की देन छह साल की विधानसभा
जम्मू कश्मीर में जब तक आर्टिकल 370 था तब तक यहां पर कई विशेष प्रावधान थे और इनमें से ही एक था राज्य का अलग संविधान होना। यह राज्य देश का पहला ऐसा राज्य था जहां पर विधानसभा का कार्यकाल बस छह साल का ही होता था। यह विधानसभा केंद्र सरकार की ओर से लागू कानूनों को राज्य में आने से रोक सकती थी। आमतौर पर किसी भी विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का ही होता था। जम्मू कश्मीर की छह साल की विधानसभा सन् 1975 में लगाई गई इमरजेंसी की देन थी।
शेख अब्दुल्ला ने क्यों भरी थी हामी
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू करने के बाद संसद और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को छह साल किया था। इसके लिए भारतीय संविधान में 42वां संशोधन किया गया। उस समय जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री स्व. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला थे। उन्होंने यह कहकर कि जम्मू कश्मीर भी पूरे भारत के साथ चलेगा इसलिए यहां भी बाकी राज्यों की तरह ही छह साल की विधानसभा होनी चाहिए। इसके बाद राज्य के संविधान में भी कुछ बदलाव किए गए और विधानसभा का कार्यकाल छह साल का हो गया।
इमरजेंसी हटते ही बदला कानून
जब 21 माह बाद यानी 1977 में इमरजेंसी हटाई गई तो इंदिरा की सत्ता भी चली गई। इसके बाद देश की कमान मोरार जी देसाई के हाथों में आई और जनता पार्टी ने शासन संभाला। उन्होंने पद संभालते ही संसद और विधानसभा का कार्यकाल फिर पांच साल कर दिया। पूरे देश में यह व्यवस्था लागू हो गई, लेकिन जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल छह से पांच साल नहीं हुआ, क्योंकि तब शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और उनके बाद जिसने भी जम्मू कश्मीर में सत्ता संभाली, सभी ने छह साल की विधानसभा को बनाए रखने को ही प्राथमिकता दी।
लेकिन कश्मीर में नहीं बदली व्यवस्था
संबंधित केंद्रीय कानून जो पांच साल के कार्यकाल की व्यवस्था करता है, उसे अनुच्छेद 370 की आड़ में कभी भी जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होने दिया गया। 31 अक्टूबर से देश में 28 राज्य और सात संघ शासित प्रदेश हो गए हैं। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग संघ शासित प्रदेश हैं। इसके साथ ही 31 अक्टूबर से घाटी और लद्दाख में ऑल इंडिया रेडियो का टेलीकास्ट भी शुरू हो गया है। यहां के रेडियो स्टेशनों का नाम बदलकर ऑल इंडिया जम्मू, ऑल इंडिया रेडियो श्रीनगर और ऑल इंडिया रेडियो लेह कर दिया गया है।