जम्मू कश्मीर: अनंतनाग में शहीद यूपी के मेजर केतन शर्मा, घर पर हो रहा था फोन का इंतजार
श्रीनगर। सोमवार को अनंतनाग के बादूरा गांव में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में इंडियन आर्मी ऑफिसर मेजर केतन शर्मा शहीद हो गए। मेजर केतन शर्मा 19 राष्ट्रीय राइफल्स से थे और शहादत से पहले उन्होंने अपनी जान पर खेलकर तीन साथी जवानों की जिंदगी बचाई। इस एनकाउंटर में एक और ऑफिसर मेजर राहुल के साथ ही तीन जवान घायल हैं। बीएसएफ का एक जवान भी इस एनकाउंटर में घायल है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, मेजर केतन को श्रद्धांजलि देने जाएंगे।
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चार वर्ष की बेटी के पिता
32 वर्षीय मेजर केतन उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के रहने वाले थे। उनके घर में उनके माता-पिता, पत्नी और चार वर्ष की बेटी है। मेजर केतन सेना की 57 इंजीनियर्स कोर से थे। मेजर केतन ने शहीद होने से पहले दो आतंकियों को ढेर किया था। उनके साथी मेजर राहुल और तीन जवान एनकाउंटर में बुरी तरह से घायल हो गए थे। मेजर केतन ने अपनी जान की परवाह न करते हुए आतंकियों की भारी गोलीबारी के बीच इन तीनों को सुरक्षित निकाला।
साथियों की बचाई जान
अपने साथियों की जान बचाने के बाद वह खुद आतंकियों को जवाब देने चले गए। उन्होंने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में अपने ट्रूप्स को बहादुरी से नेतृत्व किया। मेजर केतन आतंकियों को जवाब दे ही रहे थे कि एक गोली उनके सिर में लग गई। बुरी तरह से घायल मेजर को बचाने की डॉक्टरों ने लाख कोशिशों कीं लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
माता-पिता कर रहे थे फोन का इंतजार
मेजर केतन, मेरठ के कंकरखेड़ा थाने के रहने वाले थे और यहां की श्रद्धापुरी कॉलोनी में घर पर उनके माता-पिता अपने बेटे के फोन कॉल का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही बेटे के शहीद होने की खबर आई तो घर में मातम पसर गया। मेजर केतन का जन्म चार अक्टूबर 1987 को हुआ था।
एक हफ्ते पहले ही हुआ आतंकी हमला
अनंतनाग में 12 जून को आतंकी हमला हुआ था और उसमें सीआरपीएफ के पांच जवान और जम्मू कश्मीर पुलिस के एसएचओ अरशद अहमद खान शहीद हो गए थे। इस हमले के एक हफ्ते के अंदर ही यह एनकाउंटर हुआ। एसएचओ अरशद खान को भी सोमवार को श्रद्धांजलि दी गई और उनका चार साल का बेटा भी वहां पर मौजूद रहा।