J&K:अमित शाह ने कुछ नेताओं को 'गुपकार गैंग' क्यों कहा ? LG मनोज सिन्हा ने बताया
नई दिल्ली- पिछले 7 अगस्त से जब से भाजपा नेता मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल का पद संभालना है, उन्होंने राज्य में राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और सरकार और जनता के बीच संपर्क को बढ़ाने की कोशिश की है। उनके वहां रहते हुए राज्य में पहली बार डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल के लिए चुनाव करवाए जा रहे हैं। इस चुनाव के मद्देनजर ही प्रदेश के कट्टर राजनीतिक विरोधी दलों ने गुपकार गठबंधन के तहत हाथ मिलाकर चुनावों में बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला है। सियासी तौर पर अकल्पनीय इस गठबंधन को लेकर बीजेपी की राजनीतिक 'असहजता' तब जाहिर हो गई थी, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुपकार गठबंधन में शामिल नेताओं को 'गुपकार गैंग' कहकर हमला बोला था। इसके बाद बीजेपी के तमाम नेताओं को एक लाइन मिल गई और उन्होंने उसी के आधार पर लकीर खींचना शुरू कर दिया। बीजेपी के आक्रमक तेवरों से स्थिति ऐसी बनी कि कांग्रेस 'गुपकार गैंग' से बाहर निकलने का रास्ता तलाशने लगी। अब मनोज सिन्हा ने बताया है कि अमित शाह का ऐसा कहने का मकसद क्या था?
तालमेल के साथ चुनाव लड़ रहा है गुपकार गठबंधन
जब से जम्मू-कश्मीर के नए संघ शासित प्रदेश बनने के बाद वहां के पहले पॉलिटिकल लेफ्टिनेंट गवर्नर बनकर मनोज सिन्हा श्रीनगर पहुंचे हैं, आर्टिकल-370 के खात्मे के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेज हुई हैं। डीडीसी चुनाव के जरिए सरकार वहां की जनता को अपना प्रतिनिधि चुनने का मौका दे रही है, क्योंकि परिसीमन में देरी की वजह से वहां फिलहाल विधानसभा चुनाव करवाने में अड़चनें बताई जा रही हैं। यही वजह है कि पहले इस चुनाव को ज्यादा भाव न देकर बीजेपी को छोड़कर वहां की तमाम बड़ी पार्टियां इसको लेकर ना नुकर कर रही थीं। लेकिन, बाद में इसके लिए वहां की तमाम मेन स्ट्रीम पार्टियां तैयार हो गईं। भाजपा को वहां पर हराने के लिए नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला कट्टर राजनीतिक दुश्मन महबूबा मुफ्ती के साथ हाथ मिलाने को तैयार हो गए। ये दल गुपकार गठबंधन के तहत पूरी तालमेल के साथ डीडीसी चुनाव लड़ रहे हैं।
क्या है गुपकार गठबंधन ?
दरअसल, पीपुल्स एलाएंस फॉर गुपकार डिक्लरेशन की घोषणा पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 के खात्मे के पहले ही की गई थी। जब, इस ऐक्शन के बाद वहां पर नजरबंद किए गए तमाम बड़े राजनेता वापस छूट कर बाहर आए तो उस घोषणा को आगे बढ़ाते हुए जम्मू-कश्मीर को उसका विशेषाधिकार वापस दिलाने की मांग को लेकर गुपकार गठबंधन कायम रखा। इस गठबंधन में मूल रूप से भाजपा को छोड़कर वहां मुख्यधारा की 7 राजनीतिक पार्टियां शामिल हुईं। इस गठबंधन में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और अब्दुल्ला पिता-पुत्र की नेशनल कांफ्रेंस के अलावा सीपीएम,सीपीआई, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स मूवमेंट जैसे दल शामिल हुए। कांग्रेस का इस गठबंधन के साथ रिश्ता बहुत स्पष्ट नहीं है। डीडीसी चुनाव में कुछ सीटें गठबंधन ने उसके लिए खाली भी छोड़ी हैं। कांग्रेस इसको लेकर शुरू में चुप ही थी, उसने तब इससे थोड़ा किनारा करना शुरू किया, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसे 'गुपकार गैंग' कहकर हमला किया।
अमित शाह ने कहा क्या था ?
दरअसल, गुपकार गठबंधन तब विवादों में आ गया, जब पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने बेहद ही आपत्तिजनक बयान देते हुए कह दिया था कि वह तिरंगा तभी उठाएंगी, जब उनके एक हाथ में जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा भी होगा। वहीं नेशनल कांफ्रेंस सुप्रीमो फारूक अब्दुल्ला पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर चीन की मदद से जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 की बहाली की बात की थी। इसी आधार पर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इनके गठबंधन को 'गुपकार गैंग' कहकर बुलाया था। उन्होंने कहा था, 'जम्मू और कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा है, और हमेशा ही भारत का अभिन्न अंग रहेगा। भारत के लोग अब अपने राष्ट्रीय हित के खिलाफ अपवित्र 'ग्लोबल गठबंधन' को बर्दाश्त नहीं करेंगे। या तो गुपकार गैंग को राष्ट्र के मूड के साथ तैरना होगा या लोग उसे डुबो देंगे।'
अमित शाह के बयान पर क्या बोले मनोज सिन्हा ?
जब इंडियन एक्सप्रेस ने एक इंटरव्यू के दौरान जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अमित शाह के उस बयान को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि, 'यह सवाल तो गृहमंत्री से पूछा जाना चाहिए। लेकिन, सबको यह भी समझना चाहिए कि गृहमंत्री एक पार्टी के नेता भी हैं। एक पार्टी के नेता होने के नाते उन्हें राजनीतिक बयान देने का पूरा अधिकार है। जब एक राजनीतिक पार्टी का कोई नेता किसी तरह का बयान देता है, तब दूसरों को भी अपनी बात रखने की स्वतंत्रता है। संवैधानिक पद हम होल्ड करते हैं, हमको इससे मतलब नहीं।'
परिसीमन आयोग की रिपोर्ट का इंतजार
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया तेज करने और लोगों के साथ सरकार के संवाद को बढ़ाने को लेकर मनोज सिन्हा कितने सक्रिय हैं इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि महज चार महीने के कार्यकाल में वो कश्मीर के सभी 10 देश जिलों का दौरा कर चुके हैं और जम्मू के 10 में से 6 जिलों में जाकर वह जनता से संवाद करके आए हैं। डीडीसी चुनाव के बहाने यूटी में विधानसभा चुनाव को किनारे लगाने के आरोपों पर उनका कहना है कि 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री इसके बारे में बता चुके हैं। उनके मुताबिक सभी को पता है कि परिसीमन आयोग का काम जम्मू-कश्मीर के अलावा उत्तर-पूर्व के चार और जिलों में भी चल रहा है। जैसे ही इसकी रिपोर्ट तैयार होती है, चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है चुनाव करवाने की और पीएम भी यही कह चुके हैं।
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