Article 370 हटाने के बाद जम्मू और कश्मीर की तस्वीर बदलने की है तैयारी
नई दिल्ली- केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही जम्मू-कश्मीर के लिए बहुत बड़े पैकेज का ऐलान करने की तैयारी में है। यह संकेत खुद प्रदेश के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने दिया है। संकतों से यह भी जाहिर है कि आने वाले कुछ महीनों में इस नए संघ शासित प्रदेश में पहला चुनाव करवाए जाने की घोषणा हो सकती है। इस बात के संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दे चुके हैं। केंद्र सरकार चाहती है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने से पहले उसका पूरी तरह से कायाकल्प करने की योजना पर काम शुरू कर दिया जाए। इसलिए प्रदेश सरकार का फोकस जनता से जुड़ी समस्याओं और जनहित के मसलों पर ज्यादा हो चुका है।
केंद्र ने की जम्मू-कश्मीर की तस्वीर बदलने की तैयारी
हाल ही में नौकरशाह जीसी मुर्मू की जगह इंजीनियर से राजनेता बने मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल नियुक्त किए जाने से ही यह साफ हो गया था कि केंद्र की भाजपा सरकार ने इस नए संघ शासित प्रदेश में पहला चुनाव करवाने की तैयारी शुरू कर दी है। मनोज सिन्हा ने भी श्रीनगर पहुंचते ही सरकारी बाबुओं को संदेश दे दिया था कि जनता के बीच पहले से ज्यादा पहुंचने और उनसे लगातार घुलते-मिलते रहने का वक्त आ चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से कह चुके हैं कि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होते ही चुनाव करवाए जाएंगे। संभावना है कि यह प्रक्रिया इसी साल के अंत तक पूरी हो सकती है। पीएम मोदी ने वहां के प्रशासन की ओर से पहले से ही चलाई गई 'बैक टू विलेज' मुहिम की भी तारीफ की थी, जिसमें लोगों की समस्याओं से रूबरू होने के लिए सरकारी बाबुओं ने गांवों में अच्छा-खासा समय गुजारा था। अब प्रदेश के नए उपराज्यपाल ने उससे आगे की पहल शुरू कर दी है, जिसकी एवज में जम्मू-कश्मीर के लोगों को बहुत बड़ा सरप्राइज मिलने जा रहा है।
ऐतिहासिक पैकेज का होने वाला है ऐलान
जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने सोमवार को प्रदेश के सभी वर्गों को ध्यान में रखते एक बहुत बड़े पैकेज दिए जाने की बात कही है। पिछले महीने ही एलजी नियुक्त हुए सिन्हा ने कहा है कि इस विशाल पैकेज की घोषणा एक हफ्ते के अंदर हो सकती है। यह ऐसा पैकेज होगा जो जम्मू-कश्मीर को 'ना कभी मिला' और 'ना कभी भविष्य में' मिलने की कभी संभावना ही है। उन्होंने जानकारी दी है कि इस पैकेज में कारोबारी वर्ग समेत सभी लोगों को शामिल किया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि, 'यहां पर कारोबार सिर्फ 15 महीनों से ही नहीं, बल्कि बीते 15-20 सालों से ठप पड़ा हुआ है।' इस पैकेज का ब्योरा तय करने और जम्मू-कश्मीर में कारोबार को हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए एक कमिटी बनाई गई थी, उसी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसके आधार पर पैकेज तैयार की गई है।
कितना विशाल होगा जम्मू-कश्मीर का 'मेगा पैकेज'
बता दें कि 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से विवादास्पद आर्टिकल-370 को हटा लिए जाने के बाद से वहां सारा कारोबार ठप हो गया था। जब प्रदेश में धीरे-धीरे व्यापार पटरी पर लौटना शुरू हुआ तो कोरोना वायरस महामारी की वजह से लॉकडाउन शुरू हो गया , जिसकी वजह से आज वहां के लोगों के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट पैदा हो गया है। सिर्फ कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की रिपोर्ट को मानें तो बीते करीब 13 महीनों में 40,000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। इस हिसाब से अगर मनोज सिन्हा के संकेतों पर यकीन करें तो केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाला पैकेज 40,000 करोड़ से भी कहीं ज्यादा हो सकता है।
'बैक टू विलेज' के तीसरे चरण की तैयारी
उधर प्रधानमंत्री मोदी की वाहवाही से उत्साहित होकर संघ शासित प्रदेश की सरकार 2 अक्टूबर से एक बार फिर से 'बैक टू विलेज' कार्यक्रम शुरू करने पर विचार कर रही है। अगर हुआ तो यह कार्यक्रम का तीसरा चरण होगा, जिसमें अधिकारी लोगों के घर-घर जाकर उनकी शिकायतें सुनेंगे और उसका निपटारा करेंगे। इसके लिए सरकार इसी हफ्ते करीब 430 करोड़ रुपये जारी करेगी, जिसके तहत हर पंचायत तक 10-10 लाख रुपये पहुंचेंगे। हालांकि, पूर्व एलजी जीसी मुर्मू के मुताबिक पिछले बैक टू विलेज कार्यक्रमों में सरकार के सामने जो 20,000 काम आए, उनमें से सिर्फ 7,000 ही पूरे किए जा सके। इसी तरह प्रदेश की यात्रा के दौरान केंद्रीय मंत्रियों के सामने जो 1,066 मांगें रखी गईं, उनमें से सिर्फ 440 मांगों पर ही काम शुरू हो पाया।
हर बुधवार 'जनता दरबार'
जम्मू-कश्मीर की जनता को सरकार से जोड़ने के लिए राज्य सरकार एक और पहल करने जा रही है। इसके लिए डिविजनल और सब-डिविजनल स्तर पर जनता दरबार शुरू करने की भी योजना है। यह जनता दरबार हर बुधवार को लगाया जाएगा, जिसमें लोग आकर अपनी शिकायतें रख सकेंगे और सरकार उनका प्राथमिकता के आधार पर निपटारे की कोशिश करेगी।