J&K:सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट पर बड़ा फैसला, इतने साल की नौकरी के बाद हटा सकती है सरकार
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों को अब 22 साल की सेवा पूरी करने के बाद ही रिटायर किया जा सकता है। सरकार ने गुरुवार को जम्मू और कश्मीर सिविल सर्विस रेग्युलेशन रूल्स को संशोधित कर दिया है, जिसके बाद संघ शासित प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को 22 साल की नौकरी पूरी करने या 48 साल की उम्र में ही जनहित में जरूरी समझने पर रिटायर किया जा सकता है। अधिकारियों के मुताबिक इसके लिए सक्षम अधिकारी की ओर से उस सरकारी कर्मचारी को तीन महीने का नोटिस देना होगा या फिर नोटिस नहीं देने की स्थिति में तीन महीने का वेतन और भत्ता देकर रिटायर किया जा सकता है।
अधिकारी के मुताबिक लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के आदेश पर प्रशासन ने जम्मू और कश्मीर सिविल सर्विस रेग्युलेशन के आर्टिकल 226 (2) में कुछ प्रावधान जोड़े हैं। उन्होंने बताया कि वित्त विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना के मुताबिक इसके लिए संविधान के आर्टिकल 309 तहत मिले अधिकारों के तहत लेफ्टिनेंट गवर्नर ने जम्मू और कश्मीर सिविल सर्विस रेग्युलेशन के आर्टिकल 226 (2) में यह प्रावधान जोड़ने का निर्देश दिया है। इसके तहत अगर सरकार को लगता है कि जनहित में किसी सरकारी कर्मचारी को जो इन नियमों के तहत शेड्यूल 2 में दिए गए पद पर काम नहीं कर रहा है, रिटायर किया जाना आवश्यक है तो उसे 22 साल की सेवा पूरी कर लेने पर या 48 साल की उम्र पूरी करने के बाद रिटायर किया जा सकता है।
हालांकि, सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक इस तरह से रिटायर होने के बाद कर्मचारी को निर्रधारित नियमों के तहत पेंशन का लाभ दिया जाएगा। अधिसूचना के अनुसार, 'एक सरकारी कर्मचारी जिसे तीन महीने का वेतन और भत्ता देकर रिटायर किया जाता है, वह उस रिटायरमेंट की तारीख से ही पेंशन का हकदार होगा, ना कि उसका पेंशन तीन महीने पूरा होने के लिए रोका जाएगा, जिसके लिए उसे वेतन और भत्ते का भुगतान किया गया है।' नए प्रावधानों के तहत अब सरकारी कर्मचारियों का परफॉर्मेंस उसकी 22 साल की सेवा पूरी होने या 48 साल की उम्र में आंकी जाएगी।
इसके लिए प्रशासनिक विभाग इस दोनों दायरे में पहुंचने वाले सरकारी कर्मचारियों का रजिस्टर मेंटेन करेगा। इस रजिस्टर को हर साल की शुरुआत में प्रशासनिक विभाग की ओर से नामित अधिकारी छानबीन करेगा। प्रवक्ता के मुताबिक अगर सरकार ने किसी सरकारी कर्मचारी को उसके पद पर बनाए रखने का फैसला किया है तो उस फैसले की फिर से समीक्षा करने पर कोई रोक नहीं होगी और जनहित में वह ऐसा कर सकता है।
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