जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को पीएसए के तहत तीन महीनें और हिरासत में रखा जाएगा, बढ़ाई गई नजरबंदी
श्रीनगर। भारत में कोरोना के प्रकोप के बीच पिछले दिनों जम्मू -कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उनके घर में शिफ्ट कर दिया गया था। लेकिन अब महबूबा मुफ्ती को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखने की अवधि को तीन महीने तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
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बता दें देश भर में पहले चरण में किए गए लॉकडाउन के समय ही कोरोना संकट को देखते हुए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अस्थायी जेल से उनके घर में शिफ्ट कर दिया गया है, लेकिन हिरासत से राहत नहीं मिली है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले से पहले उन्हें हिरासत में लिया गया था।
पिछले साल 5 अगस्तमें जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को मोदी सरकार ने निष्प्रभावी कर दिया था। इस फैसले से पहले राज्य के सैकड़ों नेताओं को हिरासत में लिया गया था। हालात सामान्य होने के साथ अधिकतर लोगों को रिहा किया जा चुका है। महबूबा मुफ्ती बीजेपी के साथ राज्य में गठबंधन सरकार भी चला चुकी हैं। वह अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर कई बार गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुकी थीं। पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया था। हालांकि उनके घर भेजे जाने के बाद भी हिरासत उनके घर में भी जारी रखी गई। पिछले वर्ष जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के फैसले के बाद महबूबा मुफ्ती, फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला सहित कई नेताओं को हिरासत में लिया गया था और उन सभी को जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखा गया था।
गौरतलब हैं कि इससे पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जिनको भी जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखा गया था उन्हें भी लगभग आठ महीने बाद मार्च के आखिरी सप्ताह में हिरासत से रिहा कर दिया गया। उनके खिलाफ जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत लगाए गए आरोप हटाकर उनकी रिहाई का आदेश जारी किया गया था। रिहा होने के बाद उन्होंने कहा था कि पहला काम कोविड-19 से मुकाबला करना है और वह राजनीतिक हालात पर विस्तार से बाद में बात करेंगे।
221
दिन
के
बाद
फारूक
अब्दुल्ला
को
रिहा
किया
गया
था
अब्दुल्ला
से
पहले
उनके
पिता
फारूक
अब्दुल्ला
को
हिरासत
से
रिहा
किया
गया
था।
पूर्व
मुख्यमंत्री
फारूक
अब्दुल्ला
को
221
दिन
की
हिरासत
में
रखने
के
बाद
13
मार्च
को
रिहा
कर
दिया
गया
थाहिरासत
से
रिहा
होने
के
बाद
उमर
ने
पीडीपी
नेता
और
पूर्व
मुख्यमंत्री
महबूबा
मुफ्ती
समेत
हिरासत
में
बंद
अन्य
सभी
लोगों
को
रिहा
करने
की
भी
मांग
की
थी।
उमर
अब्दुल्ला
ने
रिहा
होने
के
बाद
कहा
था
कि
इस
केंद्रशासित
प्रदेश
के
भीतर
एवं
बाहर
हिरासत
में
रखे
गए
लोगों
की
रिहाई
के
साथ
ही
हाईस्पीड
मोबाइल
इंटरनेट
सेवा
बहाल
की
जाए।