Jammu & Kashmir: इस ईद पर खुश नहीं गौहर खान, Tweet करके बयां किया दर्द
नई दिल्ली। आज कड़ी सुरक्षा के बीच जम्मू-कश्मीर में ईद का पर्व मनाया जा रहा है, ईद से पहले धारा 144 में छूट दी गई थी, ईद के त्योहार को देखते हुए 300 टेलिफोन बूथ बनाए गए हैं, ताकि आम लोग अपने करीबियों-रिश्तेदारों से बात कर सकें, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार ईद मनाई जा रही है, फिलहाल राज्य में शांति का माहौल है, संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है।
बहुत दुखी हैं गौहर खान
लेकिन इस साल बकरीद के मौके पर एक्ट्रेस गौहर खान खुश नहीं हैं, उन्होंने ट्वीट करके अपने दुख का इजहार किया है, गौहर को कश्मीर में रह रहे अपने रिश्तेदारों से इस खास मौके पर बात ना कर पाने का दुख सता रहा है, दरअसल अभी जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की सुविधा बहाल नहीं हुई है।
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शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक दर्द से जूझ रही हैं गौहर खान
गौहर ने इस संबंध में दो ट्वीट किए हैं, पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि जब कोई अपने करीबियों से एक हफ्ते से ज्यादा समय से बात नहीं कर पा रहा हो तो वो ही इसका दर्द समझ सकता है कि शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक बेचैनी क्या होती है, मैं इस ईद पर दुखी हूं, बहुत बहुत दुखी, हर रोते हुए दिल के लिए, बिल्कुल मेरी तरह, मैं कश्मीर में अपने प्रियजनों के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए प्रार्थना करती हूं।
'ईद मनाओ, खुशी बाटों'
जबकि अपने दूसरे ट्वीट में गौहर खान ने लिखा है कि 'ईद मनाओ, खुशी बाटों, अपनी जिंदगी जीने का कोई भी पल नफरत, घृणा, विभाजन जैसे तत्वों को छीनने मत दो,अपने ही लोगों से गले मत मिलो, लेकिन दूसरे धर्म, कास्ट, जातियों, विश्ववास को भी गले लगाओ, बस प्यार बाटों, ईद मुबारक।'
चंद रोज पहले भी गौहर ने कश्मीर को लेकर किया था Tweet
आपको बता दें कि चार दिन पहले भी गौहर एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि भारत सरकार से मेरा निवेदन है कि पूरे राज्य में संचार की सुविधाओं को वापस पहले जैसा कर दिया जाए। वहां भी परिवार रहते हैं, जो एक दूसरे से जुड़ना चाहते हैं। बच्चे रो रहे हैं क्योंकि वह अपने परिवार से और माता-पिता से संपर्क नहीं बना पा रहे हैं। काफी दिन गुजर गए हैं, हां कश्मीर में कर्फ्यू लगना आम है, लेकिन इतने लंबे समय के लिए क्यों? वे भी इंसान हैं, अब उनके पास वास्तव में कोई विशेषाधिकार नहीं है, लेकिन वे अब भी नागरिक हैं या उनके पास बुनियादी सुविधाओं का कोई अधिकार नहीं हैं?