जम्मू कश्मीर में अगले चुनाव में बढ़ जाएगेंं 10 फीसदी वोटर, बीजेपी को मिल सकता है सीधा फायदा
बंगलुरु। जम्मू कश्मीर को केन्द्रशासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद वहां रह रहे बाहरी नागरिकोंं को भी विधान सभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार मिल चुका है। अभी तक अनुच्छेद 35 के प्रवधानों के कारण जम्मू कश्मीर में बाहर से आकर बसे नागरिकों के पास यह अधिकार नहीं था। उन्हें केवल लोकसभा में वोट डालने का अधिकार था। माना जा रहा है कि नई वोटर लिस्ट में यहां बसे नागरिकों के नाम शामिल होने से जम्मू कश्मीर में वोटरों की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो जाएगी। जिसका लाभ केन्द्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार को अगले चुनाव में मिल सकता है।
बता दें 2019 के अंत में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके पहले चुनाव आयोग वोटर लिस्ट अपडेट करेगा। जिसमे इन गैर नागरिको का नाम भी दर्ज हो जाएगा। उम्मीद जतायी जा रही है कि 35 ए हटने के बाद वोटरों की संख्या में लगभग दस फीसदी का इजाफा होगा।
पूर्व में लागू अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए के अंतर्गत जम्मू कश्मीर में गैरनागरिकों को स्थायी रूप से बसने का अधिकार नही था। न ही उन्हें संपति खरीदने काअधिकार था। यहां पर बाहर से आकर बसे लोगों को लोकसभा से वोट डालने का अधिकार था लेकिन विधान सभा में वह वोट नहीं डाल सकते थे।
7 लाख से 15 लाख तक बढ़ सकती है वोटरों की संख्या
विशेषज्ञ के अनुसार नई वोटर लिस्ट में वोटरों की संख्या 7 लाख से 15 लाख तक बढ़ सकती है। नयी वोटर लिस्ट में वहां जाकर बसे लोगों को भी वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने का अधिकार मिलेगा। जिसमें दलित, रिफ्यूजी, गोरखा समेत अन्य लोग शामिल होंगे। इसमें उन लड़कियों के नाम भी दर्ज होंगे जिन्होंने किसी अन्य राज्य के लड़के से शादी की थी। जिसके चलते जम्मू-कश्मीर में पूर्व में लागू कानून के चलते उनकी नागरिकता समाप्त कर दी गयी थी।
जम्मू कश्मीर में पहले कुल 87 विधानसभा सीटें थीं। लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद 4 सीटें कम हो जाएंगी। बची हुई 83 सीटों की संख्या परिसीमन के बाद 90 तक पहुंचने के आसार हैं। यानी विधानसभा में 7 सीटें बढ़ सकती हैं। अभी पूरे कश्मीर में 46 विधानसभा और तीन लोकसभा सीटें हैं। जम्मू में 37 विधानसभा और दो लोकसभा सीटें हैं। 24 विधानसभा सीटें और हैं, जो पीओके की मानकर रखी गई हैं।
लोक सभा 2014 से 2019 के बीच 5 वर्षो में 8 प्रतिशत वोटर बढ़े
जम्मू कश्मीर में लोकसभा 2014 से लेकर 2019 के बीच के पांच वर्षो में आठ प्रतिशत वोटर बढ़े हैं। 2014 लोकसभा के समय में जम्मू कश्मीर और लद्दाख को हटाकर जम्मू कश्मीर राज्य में कुल 71 लाख वोटर थे और 2019 लोकसभा चुनाव में वोटरों की संख्या बढ़कर लगभग 77 हजार हो गयी। लद्दाख के वोटरों हटाने के बाद 2014 की तुलना में 2019 के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में 6.40 लाख वोटर बढ़े।
परिसीमन में परिवर्तन के बाद क्या होगा?
सूत्रों के अनुसार कश्मीर की आबादी 68.88 लाख है, जो राज्य की जनसंख्या का 55% है। जबकि राज्य के कुल क्षेत्रफल में इसका हिस्सा सिर्फ 16% है। यानी कश्मीर में एक विधायक प्रति 349 वर्ग किमी पर चुना जाता है, जबकि जम्मू क्षेत्र में एक विधायक 710 वर्ग किमी पर चुना जाता है। अगर परिसीमन में यह असंतुलन दूर हुआ तो पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस को अपने दबदबे वाले क्षेत्र में नुकसान हो सकता है। कश्मीर की आबादी 54 लाख है। इनमें 96% मुस्लिम और 2.5% हिंदू हैं। वहीं, जम्मू की आबादी 44 लाख है। इनमें 62.6% हिंदू और 33.5% मुस्लिम हैं।
लोकसभा
सीटों
में
अभी
नहीं
होगा
बदलाव
एक
बिल
संसद
में
पारित
हो
चुका
है,
जिसके
तहत
लोकसभा
निर्वाचन
क्षेत्रों
का
2026
तक
दोबारा
परिसीमन
नहीं
किया
जा
सकता।
इसमें
बदलाव
उसी
हाल
में
होगा
अगर
जब
जम्मू-कश्मीर
के
राज्यपाल
जिन्हें
अब
उपराज्यपाल
कहा
जाएगा
सिफारिश
करें
तो
संसद
इसमें
बदलाव
भी
कर
सकती
है।