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J&K:युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने के लिए सेना को मिल रही है Contact tracing से मदद

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में युवा पीढ़ी को आतंकवाद की गिरफ्त में फंसने से बचाने के लिए सेना एक खास रणनीति पर काम कर रही है और उसे बहुत ज्यादा सफलता भी मिली है। दक्षिण कश्मीर में तैनात विक्टर फोर्स इसके लिए ऐसे आतंकियों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करते हैं जो या तो आतंकवादी घटनाओं में मारे जा चुके हैं या वह किसी देश-विरोधी संगठनों की गिरफ्त में फंस चुके हैं। उन्हें दहशतगर्दी की उस दलदल से बाहर निकालने के लिए उनके रिश्तेदारों और दोस्तों की मदद ली जाती है और इन कोशिशों के बहुत ही बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के जरिए युवाओं को आतंकी बनने से रोक रही है सेना

कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के जरिए युवाओं को आतंकी बनने से रोक रही है सेना

जम्मू और कश्मीर में युवाओं को आतंकवाद में शामिल होने से रोकने के लिए सेना एक नई रणनीति पर काम कर रही है। इसके तहत वो कश्मीर घाटी में आतंकवादी बने या एनकाउंटर में मारे गए स्थानीय आतंकियों के दोस्तों और रिश्तादारों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करके पता लगाती है और समझाती है कि वह हथियार ना उठाएं। सेना के एक बड़े अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है। इस रणनीति के तहत उन परिवारों से भी संपर्क साधने की कोशिश की जाती है, जिनके युवा कट्टरता की ओर बढ़ते दिखाई पड़ते हैं और उन्हें यह बताया जाता है कि वो अपने बच्चों को आंतकवादी बनने से रोकें। कश्मीर में रणनीतिक XV-कॉर्प्स के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू के मुताबिक उन्हें लगता है कि सही समय पर सही बात समझाने से भटके हुए युवाओं को गलत दिशा में कदम बढ़ाने से रोका जा सकता है। 'विक्टर फोर्स' के अगुवा रहते हुए, जो कि सेना की कई यूनिट से मिलकर बनी है, उन्होंने दक्षिणी कश्मीर में यह रणनीति अपनाई है और उसमें उन्हें काफी सफलता भी मिली है। गौरतलब है कि दक्षिण कश्मीर आतंकवाद के लिए बहुत ही संवेदनशील माना जाता है।

सफल हुई है विक्टर फोर्स की रणनीति

सफल हुई है विक्टर फोर्स की रणनीति

'विक्टर फोर्स' कश्मीर के पुलवामा, अनंतनाग, शोपियां और कुलगाम जिलों पर नजर रखती है। इसके प्रमुख ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा है, 'सेना को चेन को तोड़ने पर विश्वास है और यह टास्क मेरी टीम के साथ मिलकर मैंने शुरू से ही अपना रखा है।' उन्होंने बताया है कि दक्षिण कश्मीर में एनकाउंटर में मारे गए और आतंकी भर्तियों का सेना ने विश्लेषण किया था और उसी प्रक्रिया के तहत जमीन पर मौजूद अधिकारियों और जवानों ने मारे गए स्थानीय आतंकियों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग शुरू की। उन्होंने कहा कि इसका नतीजा बहुत ही उत्साहजनक रहा है और 'बहुत से संभावित आतंकवादियों को आतंकवाद की दुनिया में जाने से बचा लिया गया है।' हालांकि, घाटी में इससे कितने युवाओं का आतंकी बनने से रोकने में कामयाबी मिली है, यह संख्या बताने से उन्होंने इनकार कर दिया है।

समझाने में परिवार और समाज का बड़ा रोल-सेना

समझाने में परिवार और समाज का बड़ा रोल-सेना

लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने यह भी जानकारी नहीं दी है कि इस साल अबतक कितने स्थानीय लोगों ने बंदूक उठाए हैं। वैसे दक्षिण कश्मीर के आईजी अतुल गोयल यह जरूर बता चुके हैं कि इस साल करीब 80 स्थानीय युवक किसी न किसी आतंकी संगठन में शामिल हुए हैं। इस बीच लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने बहके हुए युवाओं को सही रास्ते पर लौटने की जानकारी देते हुए कहा है कि परिवार और समाज का इस प्रयास में बहुत बड़ी भूमिका है। उनके मुताबिक कई मामलों में माओं और परिवार वालों ने सोशल मीडिया पर संदेश देकर अपने बच्चों से हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की है। जाहिर है कि जब समाज ऐसे भटके हुए लोगों को अपनाने के लिए तैयार होता है तो उसका बहुत ही ज्यादा असर पड़ता है। उन्होंने कहा है, 'आप देखते हैं जब दिमाग पर खून सवार होता है तो लोग गलत कदम उठा लेते हैं और हम इसी मानसिकता को बदलना चाहते हैं। यह बड़े ही उत्साह की बात है कि कई परिवारों में माता-पिता और बड़े-बुजुर्ग आगे आए हैं और अपने बच्चों को समझाया है।'

एक आतंकी की वापसी पर बदल गई तकदीर

एक आतंकी की वापसी पर बदल गई तकदीर

विक्टर फोर्स के चीफ के तौर पर लेफ्टिनेंट जनरल राजू को 2016 में 20 साल के एक युवक माजिद खान के चर्चित सरेंडर का श्रेय मिलता है, जो प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा में शामिल हो गया था। उसने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में सरेंडर किया था। जब माजिद तक उसकी मां की अपील पहुंची तो वह वापस लौट आया। उसे भरोसा दिया गया था कि उसकी जिंदगी बदल जाएगी और वह बात पूरी की गई। लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने कहा कि, 'आज वह अंतिम वर्ष में जम्मू और कश्मीर से बाहर पढ़ाई कर रहा है।'

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English summary
Jammu and Kashmir:Army is getting help from contact tracing to keep youth away from terrorism
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