अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दाखिल की रिव्यू पिटीशन
नई दिल्ली। अयोध्या जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद ने आज पुनर्विचार याचिका दाखिल किया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट फैसले को लेकर अरशद मदनी ने कहा था कि कोर्ट का फैसला विरोधाभासी और समझ से परे है, ऐसे में रिव्यू के लिए जाएंगे। हालांकि बाद में संगठन की ओर से रिव्यू के लिए ना जाने की बात भी कही गई थी। फिलहाल जमीयत उलेमा ए हिंद ने रिव्यू पिटीशन दायर कर दी है।
Recommended Video
जानकारी के मुताबिक, याचिका जमीयत के यूपी जनरल सेक्रटरी मौलाना अशद रशीदी की ओर से ये रिव्यू पिटीशन दायर की गई, जो कि अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष के 10 याचिकाकर्ताओं में से एक हैं। याचिका दायर करने से पहले रशीदी ने कहा था कि हमारी लीगल टीम पुनर्विचार याचिका का मसौदा तैयार कर इसे फाइनल कर लिया है। उन्होंने कहा था कि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कोर्ट ने मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाए जाने की बात कही है और फैसला हमारे खिलाफ दिया है। इस पर हम अदालत से पुनर्विचार की दरख्वास्त करेंगे।
Maulana Syed Ashhad Rashidi, legal heir of original Ayodhya land dispute, files review petition in the Ayodhya land dispute case in Supreme Court.
— ANI (@ANI) December 2, 2019
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कह चुका है। बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी का कहना है कि फैसले में कई बिंदुओं पर विरोधाभास लगता है। ऐसे में वो इस पर पुनर्विचार के लिए फिर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि हम आज सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर रिव्यू पिटीशन दायर करने नहीं जा रहे हैं। हमने रिव्यू पिटीशन के लिए तैयारी कर ली है और 9 दिसंबर के पहले हम इसे किसी दिन दायर करेंगे।
अयोध्या की विवादित जमीन पर सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला और निर्मोही अखाड़ा के बीच चल रहे दशकों पुराने मुकदमें में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को जमीन पर राम जन्मभूमि न्यास को मालिकाना हक देने का आदेश सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसले में विवादित जमीन हिंदू पक्ष को देते हुए सरकार से मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने के लिए कहा है और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में किसी और जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है। इससे पहले इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीनों पक्षों में जमीन बराबर बांटने का फैसला दिया था।
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन नहीं दाखिल करेगा सुन्नी वक्फ बोर्ड