अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन नहीं दाखिल करेगा जमीयत, बैठक में पास हुआ प्रस्ताव
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल करने को लेकर जमीयम ने पास किया प्रस्ताव
नई दिल्ली। अयोध्या के जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जमीयत-उलेमा-ए-हिंद रिव्यू पिटिशन नहीं दाखिल करेगा। गुरुवार को जमीयत ने एक बैठक में इसको लेकर प्रस्ताव पास किया है। जमीयत के अजीमुल्लाह सिद्दीकी ने बताया है कि हमने बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला किया है। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की नेशनल वर्किंग कमेटी ने दिल्ली में हुई एक बैठक में इसको लेकर प्रस्ताव पास किया है।
जमीयत ने पहले कही थी पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात
अयोध्या पर फैसला आने के बाद जमीयत ने इस पर पुनर्विचार याचिका डालने की बात कही थी। जमीयत के अरशद मदनी की ओर से कहा गया था कि भले ही याचिका खारिज हो जाए लेकिन ये हमारा कानूनी है जिसका हम इस्तेमाल करेंगे। गुरुवार को बैठक के बाद रिव्यू पिटीशन के लिए ना जाने का फैसला किया गया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का ये है रुख
फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालने की बात कह चुका है। बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी का कहना है कि फैसले में कई बिंदुओं पर विरोधाभास लगता है। ऐसे में वो इस पर पुनर्विचार के लिए फिर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। 17 नवंबर को एआईएमपीएलबी ने अपनी बैठक में फैसला लिया था कि वह अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 30 दिन के भीतर रिव्यू पिटिशन दायर करेगा। वहीं इस केस के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने रिव्यू पिटीशिन दायर करने की बात नहीं की है। वो इस मामले पर चुप हैं।
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क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अयोध्या की विवादित जमीन पर सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला और निर्मोही अखड़ा के बीच चल रहे दशकों पुराने मुकदमें में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को जमीन पर राम जन्मभूमि न्यास को मालिकाना हक देने का आदेश सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसले में विवादित जमीन हिंदू पक्ष को देते हुए सरकार से मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने के लिए कहा है और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में किसी और जगह 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया है। इससे पहले इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीनों पक्षों में जमीन बराबर बांटने का फैसला दिया था।