केंद्र की नई हज नीति पर जमीयत की नाराजगी, बोले- समानता के लिए क्या मर्द बच्चा भी पैदा करेंगे
केंद्र की नई हज नीति पर जमीयत की नाराजगी, बोले- समानता के लिए क्या मर्द बच्चा भी पैदा करेंगे
नई दिल्ली। जमीयत उलेमा महाराष्ट्र ने 45 साल से ज्यादा की महिलाओं को अकेले हज यात्रा पर जाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया है। महाराष्ट्र में जमीयत के सेक्रेटरी ने कहा है कि मर्द और औरत समान नहीं होते हैं। उन्होंने कहा 'एक बच्चा 9 महीने गर्भ में रहता है तो क्या समानता के लिए मर्द और औरत दोनों साढ़े चार-चार महीने गर्भ से रहते हैं। ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि दोनों अलग-अलग हैं।' उन्होंने कहा है मर्द और औरत की बराबरी की बात कहकर ऐसे फैसलों को सही करार देने का कोई तुक नहीं है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक शनिवार (7 अक्टूबर) को नई हज नीति पेश करते हुए हज के लिए दी जाने वाली सब्सिडी खत्म करने और 45 साल से ज्यादा उम्र की औरतों को अकेले हज पर जाने की इजाजत देने का प्रस्ताव किया गया है। नई हज नीति 2018-22 में हज यात्रियों को समुद्री मार्ग से भेजने के विकल्प पर काम करने की बात की गई है। समुद्री जहाज के जरिए हज पर जाना लोगों के लिए एक सस्ता विकल्प हो सकता है।
हज नीति तैयार करने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से गठित इस समिति में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अफजल अमानुल्लाह, पूर्व न्यायाधीश एस एस पार्कर, भारतीय हज समिति के पूर्व अध्यक्ष कैसर शमीम और इस्लामी मामलों के जानकार कमाल फारुखी, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में हज प्रभारी संयुक्त सचिव आलम जैसे लोग शामिल हैं।। इस समिति ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को यह प्रस्ताव दिया है।
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