जामा मस्जिद के गुंबद में दरार से खतरे में इमारत, नहीं हो रही है सुनवाई
नई दिल्ली। पुरानी दिल्ली में ऐतिहासिक धरोहर जामा मस्जिद जर्जर हाल से जूझ रही है, इसके गुंबद में आ रही दरारें और उखड़ती परत की वजह से इसे तुरंत रिपेयर करने की जरूरत है। मस्जिद की पिछले 361 साल की देखभाल कर रही संस्था का कहना है कि मस्जिद के गुंबद को जल्द से जल्द सही कराना चाहिए। गुंबद के अंदर सीलन की वजह से इसकी परत उखड़ रही है और प्लास्टर झड़ गया है, लिहाजा इसकी जल्द से जल्द ठीक कराने की जरूरत है।
पीएम को भी लिखा पत्र
मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी को पिछले वर्ष एक पत्र लिखा था, जिसमे उन्होंने इसे जल्द से जल्द ठीक कराने की अपील की थी, उन्होंने एएसआई को भी कई पत्र लिखकर इसे ठीक कराए जाने की अपील की थी। वहीं एएसआई के प्रवक्ता डीएण दीमारी का कहना है कि मस्जिद की रेलिंग, फर्श सहित कई काम पाइपलाइन में हैं। लेकिन गुंबद की खराब स्थिति की जानकारी से एएसाई ने इनकार किया है। दीमरी ने कहा कि मस्जिद में फर्श की मरम्मत के काम के लिए खर्च का आंकलन करने के बाद इसके लिए निविदा जारी कर दी गई है, जल्द ही एएसआई मस्जिद में काम शुरू करेगी। मस्जिद एएसाई से सुरक्षित इमारत नहीं है, लिहाजा इसकी वार्षिक देखरेख का जिम्मा हमारे पास नहीं है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास है जिम्मा
आपको बता दें कि मस्जिद की देखरेख और प्रबंधन का जिम्मा दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास है। बोर्ड के एक अधिकारी का कहना है कि हमारे पास पर्याप्त फंड नहीं है कि इसकी मरम्मत का काम करा सके, लिहाजा हमे हमेशा बाहरी मदद की जरूरत होती है। वहीं अहमद बुखारी का कहना है कि आखिरी बार मस्जिद में मरम्मत का काम 10 साल पहले हुआ था, जिसे एएसआई ने कराया था, उस वक्त भी हमने इसकी मरम्मत कराने के लिए पत्र लिखा था।
बारिश के पानी के चलते हो रहा है कमजोर
बुखारी ने बताया कि 1956 से जामा मस्जिद में मरम्मत का काम एएसआई कराती आ रही है, इसकी एक मीनार क्षतिग्रस्त हुई थी तो उस वक्त भी वक्फ बोर्ड के पास इसकी मरम्मत के लिए पर्याप्त फंड नहीं था, जिसके बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एएसआई को मरम्मत का जिम्मा रखा था, जोकि तबसे यहां समय समय पर मरम्मत का काम कर रही है। वहीं जामा मस्जिद एडवायजरी काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी तारिक बुखारी ने कहा कि मीनार और गुंबर मे आई दरार की वजह से बारिश का पानी इसके भीतर जाता है, जिसके चलते यह कमजोर हो रही है।
हर रोज आते हैं हजारो लोग
कई गुंबद के कुछ हिस्सों की परते उखड़ रही हैं, मस्जिद के उत्तरी व दक्षिणी गेट की कई पत्थर के स्तूप टूट गए हैं, इसके अलावा सेंट्रल हॉल जहां नमाज पढ़ी जाती है वहां का बुर्ज भी टेढ़ा हो गया है। आपको बता दें कि 17वीं शताब्दी में जामा मस्जिद का निर्माण कराया गया था, यह भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है, इसे मुगल शासक शाहजहां ने बनवाया था, इसका निर्माण 1648 में शुरू हुआ। इसके निर्माण में छह साल का समय लगा था, जबकि इसमे कुल 10 लाख रुपए का खर्च आया था। हर रोज यहां 5000 पर्यटक व 1000 लोग नमाज पढ़ने आते हैं।
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