कांग्रेस का पीएम मोदी पर बड़ा हमला, कहा- नोटबंदी और जीएसटी के बाद RCEPतीसरा सबसे बड़ा झटका
नई दिल्ली। कांग्रेस ने शुक्रवार को आर्थिक 'संकट' को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, आज जब आंतरिक अर्थव्यवस्था को मजबूत करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए, तो मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना ना उचित है और ना ही तर्कसंगत है। इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। दरअसल प्रधानमंत्री अगले महीने बैंकाक जाएंगे। जहां वे समझौते क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) में हिस्सा लेंगे।
जयराम रमेश ने कहा कि, नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू की गई जीएसटी के बाद हमारी अर्थव्यवस्था पर ये तीसरा झटका होगा, जब प्रधानमंत्री RCEP पर अनुमति देंगे। कांग्रेसी नेता ने कहा कि, RCEP की वजह से चीन से आयात का उदारीकरण होने वाला है। हमें नहीं मालूम कि वुहान और महाबलीपुरम में क्या बात हुई, मगर वुहान और महाबलीपुरम की मुलाकात के बाद ये हो रहा है। ये मेड इन चाइना को प्रोत्साहन देने वाला है।
उन्होंने आगे कहा कि, हमारे कृषि क्षेत्र, डेयरी उद्योग पर संकट आएगा। अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर ने पीयूष गोयल जी को खत लिखकर RCEP समझौते पर हस्ताक्षर ना करने की बात कही। नकारात्मक प्रभाव के बारे में विस्तार से लिखा। अमूल को नजरअंदाज करने से बड़ा खिलवाड़ किसानों के साथ नहीं हो सकता है। इस सरकार के मंत्रियों ने कहा है कि हम डेटा पर काबू रखेंगे। हमारा सिद्धान्त था कि राष्ट्रीय और सुरक्षा हित के मद्देनजर भारत 'फ्री डेटा फ्लो' स्वीकारेगा, परन्तु RCEP के मौजूदा मसौदे से 'राष्ट्रीय हित' हटाया गया है। यह हमारे देश के हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि, जब हमारी अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, तो आयात का उदारीकरण करना, RCEP पर हस्ताक्षर करना आत्महत्या है। अर्थव्यवस्था डूब रही है और प्रधानमंत्री RCEP पर हस्ताक्षर करते हैं, तो ये खिलवाड़ है। एक पुरानी कहावत है- विनाशकाले विपरीत बुद्धि, ये ठीक ऐसा ही होगा।
वहीं पूर्व रक्षामंत्री एके एंटोनी ने कहा कि, एक पार्टी के रूप में, कांग्रेस हमेशा लोगों की चिंताओं के प्रति संवेदनशील है। कांग्रेस पार्टी आरसीईपी वार्ता और समझौते का पूरी तरह से विरोध कर रही है। अधिकांश भारतीयों के लिए जीवन यापन मुश्किल हो रहा है। यह एक जिम्मेदार सरकार का समय है, जो लोगों की कठिनाइयों के बारे में चिंतित हो। यह समय है कि सरकार तीव्र आर्थिक पुनरुद्धार के लिए उपलब्ध सभी संसाधनों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करे।
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