डोनेशन रुकने के बाद जगन्नाथ मंदिर के पुजारी ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी इच्छामृत्यू की अनुमति
नई दिल्ली। ओडिशा के पुरी में स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के एक पुजारी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर अपने जीवन को खत्म करने की अनुमति मांगी हैं। पुजारी ने सुप्रीम कोर्ट कोर्ट को यह पत्र उस सुझाव के बाद लिखा है जिसमें कहा गया था कि किसी भी श्रद्धालुओं से चढ़ावे के लिए न कहा जाए। कोर्ट ने कहा था महत्वपूर्ण ये है कि सभी भक्त बगैर किसी परेशानी के मंदिर में दर्शन कर सकें और उनकी ओर से दिए गए चढ़ावे का दुरुपयोग न हो।
इस संबंध में सेवादार नरसिंह पूजापांडा ने बताया कि श्रद्धालुओं की ओर से मिलने वाला चढ़ावा और दान ही उनके आय का एक मात्र जरिया था। पूजापांडा ने अपनी याचिका में कहा है कि हम श्रद्धालुओं से भिक्षा मांगते थे और उसी से हम अपना परिवार पालते थे। पिछले लगभग एक हजार साल से ऐसा ही होता चला आ रहा था लेकिन अब कोर्ट और सरकार ने उनके आय के एक मात्र जरिए को रोकने का प्रयास कर रही है। ऐसे में बिना आय के हम कैसे जिंदा रहेंगे? पुजारी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसने अपना जीवन खत्म करने के लिए ओडिशा सरकार से इजाजत मांगी थी लेकिन सरकार ने देने से इनकार कर दिया। पुजारी ने कहा कि भूखे रहकर मौत के इतंजार से अच्छा है कि एक बार में मौत हो जाए।
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पूजापांडा
ने
दी
थी
धमकी
बता
दें
कि
इससे
पहले
इसी
साल
मार्च
में
पूजापांडा
ने
भारतीय
पुरातत्व
सर्वेक्षण
(एएसआई)
के
अधिकारियों
'रत्न
भंडार'
या
मंदिर
के
खजाने
में
प्रवेश
करने
का
विरोध
करते
हुए
उनकी
धमकी
दी
थी।
एएसआई
ने
पहले
रत्न
भंडार
की
स्थिति
का
आकलन
करने
के
लिए
उड़ीसा
उच्च
न्यायालय
की
अनुमति
मांगी
थी,
जहां
भगवान
जगन्नाथ
और
अन्य
लोगों
के
रत्न
को
सुरक्षित
रखा
गया
है।
कोर्ट
के
आदेश
के
बाद
मंदिर
के
पुजारियों
और
राज्य
सरकार
के
बीच
मतभेद
की
स्थिति
भी
बन
गई
थी।
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