कोरोना संकट के बीच आज पुरी में निकलेगी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, CM रूपाणी ने खींचा रथ
नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच से आज से विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हो रही है लेकिन इस यात्रा में सुप्रीम कोर्ट के बताए गए सारे निर्देशों का पालन करना होगा, आपको बता दें कि करीब 2500 साल से ज्यादा पुराने रथयात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा मौका है कि इस रथयात्रा में भक्त घरों में कैद रहेंगे, रथयात्रा से पहले पुरी को शटडाउन कर दिया गया है, आज सुबह से ही यात्रा से जुड़े अनुष्ठान भी शुरु हो चुके हैं तो वहीं, अहमदाबाद में आज भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा मंदिर परिसर में ही शुरू हुई है।
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पुरी में आज निकलेगी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सोमवार रात 9 बजे से ही पुरी में कर्फ्यू लगा दिया गया है, जो बुधवार दोपहर 2 बजे तक जारी रहेगा, इस दौरान किसी को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है, देश की सर्वोच्च अदालत ने ये भी कहा है कि रथ यात्रा में 500 से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकते हैं। रथ को केवल मंदिर के सेवादार ही खीचेंगे और यात्रा में वही लोग शामिल होंगे जो कोरोना निगेटिव होंगे।
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गुजरात हाईकोर्ट ने नहीं दी परमिशन
गौरतलब है कि ओडिशा में पुरी के अलावा भी कई जगहों पर ऐसी यात्राएं आयोजित की जाती हैं, तो वहीं दूसरी ओर अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की यात्रा को अनुमति देने के लिए गुजरात हाईकोर्ट में सोमवार देर रात तक सुनवाई हुई लेकिन गुजरात सरकार के पक्ष में फैसला नहीं आया, बता दें कि अहमदाबाद में भी रथयात्रा निकलती है इसलिए आज गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सुबह मंदिर परिसर पहुंचे थे।
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सीएम विजय रूपाणी ने कही बड़ी बात
जिसके बाद आज सीएम विजय रूपाणी ने अहमदाबाद के श्री जगन्नाथजी मंदिर पहुंच रथ यात्रा में हिस्सा लिया और इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं मंदिर के ट्रस्टी और महंथ को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मंदिर परिसर के अंदर ही रथयात्रा करने का फैसला लिया है, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सोने के झाड़ू से झाड़ू लगाकर रथ खींचा, वो इससे पहले आरती में भी शामिल हुए।
काशी में टूटी 218 सालों की परंपरा
यही नहीं काशी में भी इस बार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकलेगी, कोरोना संक्रमण के कारण भगवान का नगर भ्रमण और यात्रा को स्थगित कर दिया गया है, मालूम हो कि सन 1802 से काशी में रथयात्रा मेले का आयोजन होता आ रहा है, यह नियमित परंपरा 218 सालों से चली आ रही थी मगर इस बार कोरोना सकंट के कारण ये पंरपरा टूट गई।