जगन रेड्डी का यह रवैया बताता है कि 23 मई के बाद कुछ बड़ा होने वाला है
नई दिल्ली- एग्जिट पोल (Exit Polls) के नतीजे आने के बाद से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के चीफ जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) अपने सारे सियासी पत्ते दिल में ही छुपाए रखे हैं। 23 मई के चुनाव नतीजों के बाद उनकी पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर क्या रोल हो सकता है, इसके भी सारे विकल्प वो खुले रखना चाहते हैं। इसका सबसे बड़ा सबूत तब देखने को मिला, जब यूपीए (UPA) के दूसरे सबसे कद्दावर नेता ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, तो जगन उनसे बात करने तक के लिए तैयार नहीं हुए।
एग्जिट पोल से बढ़ा है जगन का हौसला
लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर जितने भी एग्जिट पोल (Exit Polls) आए हैं, उसमें जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) को आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में 20 सीटें तक मिलने की संभावनाएं जताई गई हैं। राज्य में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं, ऐसे में अगर हंग पार्लियामेंट की परिस्थितियां बनीं और जगन की पार्टी के पास 20 के आसपास सांसद रहे तो उनकी अहमियत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
शरद पवार का कॉल नहीं उठाया
खबरों के मुताबिक सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले यूपीए (UPA) ने दिल्ली में विपक्षी पार्टियों की बैठक में जगन मोहन रेड्डी को बुलाने की जिम्मेदारी एनसीपी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) को सौंपी थी। लेकिन, जब पवार ने उनसे फोन पर बात करना चाहा, तो जगन फोन पर भी नहीं आए। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के एक बड़े सूत्र ने डेक्कन क्रोनिकल से कहा है कि, "एनसीपी चीफ शरद पवार हमारे चीफ से बात करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वे उनके कॉल के लिए उपलब्ध नहीं हुए। लगता है कि वह किसी भी तरफ के व्यक्ति से बातचीत करने से पहले रिजल्ट का इंतजार कर लेना चाहते हैं।" इसका मतलब उन्होंने भावी सरकार को समर्थन देने को लेकर अपने सारे विकल्प खुले रखे हैं और 23 मई को नतीजे आने तक यथास्थिति बनाए रखने के मूड में हैं।
क्या इसलिए भी नहीं की पवार से बात?
गौरतलब है कि कांग्रेस के फिलहाल टीडीपी (TDP) सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू (N. Chandrababu Naidu) के साथ गहरे ताल्लुकात हैं। जानकारी के मुताबिक वह नायडू से अपने संबंधों को अभी किसी भी परिस्थिति में खतरे में डालने को तैयार नहीं है। शायद इसलिए उसने नायडू के सबसे बड़े राजनीतिक विरोधी जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) से बैकचैनल बातचीत करने की जिम्मेदारी शरद पवार (Sharad Pawar) को सौंपी थी। लेकिन, नायडू हाल ही में एक बार नहीं दो-दो बार पवार से मुलाकात कर चुके हैं। हो सकता है कि इसलिए भी जगनमोहन रेड्डी उनसे बात करने के लिए तैयार नहीं हुए।
क्या बीजेपी के साथ जा सकते हैं रेड्डी?
मोदी-विरोधी सरकार बनाने की कवायद की अगुवाई एन चंद्रबाबू नायडू (N. Chandrababu Naidu) कर रहे हैं। एक संभावित बड़ी वजह यह भी हो सकती है कि जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) ने उन्हें अपने पाले में करने के यूपीए (UPA) की एक बहुत बड़ी कोशिश को झटका दे दिया है। आंध्र प्रदेश की राजनीति कहती है कि मौजूदा समय में नायडू और रेड्डी उन दो सियासी तलवारों की तरह खिंचे हुए हैं, जो एक म्यान में कत्तई नहीं रह सकते। एन चंद्रबाबू नायडू (N. Chandrababu Naidu) नायडू घोषित तौर पर यूपीए (UPA) के ज्यादा करीब हैं। इसलिए, आंध्र प्रदेश को 'विशेष दर्जा' दिलाने की शर्त पर अगर जगन मोहन रेड्डी 23 तारीख के बाद बीजेपी के खेमे में चले जाएं, तो जरा भी हैरानी नहीं होनी चाहिए।
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