J&K: Article-370 हटने के एक साल बाद, कितनी बदल गई NCERT की किताब
नई दिल्ली- नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग(एनसीईआरटी) ने 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताब में एक चैप्टर में बड़ा बदलाव किया है। अब इस किताब से जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों से जुड़ी सामग्री हटा दी गई है और उसकी जगह चुनावी राजनीति और प्रदेश के विशेषाधिकार खत्म करने जैसी सामग्रियां शामिल की गई हैं। 'भारत में आजादी के बाद की राजनीति' (Politics in India since Independence) नाम की किताब के 'क्षेत्रीय आकांक्षाएं' (Regional Aspirations)चैप्टर में जम्मू-कश्मीर के राज्य से संघ शासित प्रदेश बनने की जानकारी भी जोड़ी गई है। गौरतलब है कि पिछले साल 5 अगस्त को ही संसद ने भारतीय संविधान की धारा-370 को समाप्त करके इसके विशेषाधिकार को हटाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। राज्य को लद्दाख और जम्मू और कश्मीर नाम से दो संघ शासित प्रदेशों में भी विभाजित किया था, जिसमें लद्दाख में विधानसभा का प्रावधान नहीं रखा गया है।
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पहले चैप्टर था 'सेपरेटिज्म एंड बियोंड'
इसमें 'अलगाववाद और आगे' (सेपरेटिज्म एंड बियोंड), जिसमें कि प्रदेश के अलगाववादी राजनीति पर विस्तार से चर्चा की गई थी, उसे हटा दिया गया है। जो हिस्सा हटाया गया है, वह कुछ इस प्रकार से था, 'अलगाववादी राजनीति जो कश्मीर में 1989 से शुरू हुई थी, ने अलग-अलग रूप लिए और यह विभिन्न धाराओं से बनी है। अलगाववादियों की एक धारा वो है जो अलग कश्मीरी राष्ट्र की मांग करते हैं, भारत और पाकिस्तान से स्वतंत्र। ऐसे भी समूह हैं जो कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहते हैं। इनके अलावे, एक तीसरी धारा है जो भारतीय संघ के दायरे में प्रदेश के लोगों के लिए ज्यादा स्वायत्तता की मांग करते हैं। जम्मू और लद्दाख क्षेत्र के लोगों की स्वायत्तता का नजरिया अलग है। वह अक्सर उपेक्षित और पिछड़ेपन की शिकायत करते हैं।' पुरानी पाठ्य-पुस्तक में यह कंटेंट भी शामिल था कि 'आतंकवाद को मिले जनसमर्थन से अब शांति के मार्ग की मांग हो रही है' और यह कि 'केंद्र ने अब विभिन्न अलगाववादी गुटों से बातचीत शुरू कर दी है।'
नई किताब के चैप्टर में '2002 और आगे'
नई किताब में पुरानी टॉपिक बदलकर उसकी जगह '2002 और आगे' (2002 and Beyond)चैप्टर शामिल किया गया है, जिसमें राज्य में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई गठबंधन की सरकारों का जिक्र है। मसलन, 2002 में पीडीपी- कांग्रेस की सरकार बनी, 2009 में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस की सरकार बनी और 2014 में पीडीपी-बीजेपी की सरकार बनी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर को आर्टिकल-370 के तहत मिले विशेषाधिकार खत्म करने से जुड़ा कंटेंट शामिल किया गया है। यह कहता है, 'महबूबा मुफ्ती के कार्यकाल में आतंकवाद की बड़ी वारदातें ,बाहरी और आंतरिक तनाव में बढ़ोतरी देखने को मिली। 2018 के जून में बीजेपी के मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया। 5 अगस्त, 2019 को जम्मू एंड कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन ऐक्ट, 2019 के जरिए आर्टिकल-370 खत्म कर दिया गया और राज्य को दो संघ शासित प्रदेशों में परिवर्तित कर दिया गया, यानि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख। '
कश्मीरी पंडितों के विस्थापन का भी जिक्र
चैप्टर की शुरुआत में एक और नया पैराग्राफ जोड़ा गया है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि आर्टिकल 370 के तहत विशेषाधिकार होने के बाद भी जम्मू-कश्मीर ने 'हिंसा, सीमापार से आतंकवाद और आंतरिक एवं बाहरी प्रभावों के कारण राजनीतिक अस्थिरता का सामना किया।' 'इसके चलते कई लोगों की जानें गईं, जिसमें बेकसूर नागरिक, सुरक्षा बलों के लोग और आतंकवादी भी शामिल हैं। इसके अलावा कश्मीर घाटी से कश्मीर पंडितों का बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ।'
1948 के यूएन प्रस्ताव का प्रस्ताव भी शामिल
इसके बाद चैप्टर में 1948 के यूनाइटेड नेशन के उस संकल्प का ब्योरा भी दिया गया है, जिसमें जम्मू और कश्मीर में स्वतंत्र और निष्पक्ष जनमत-संग्रह का प्रस्ताव है। इसके अलावा, एनसीईआरटी की किताब में कश्मीर में शांति पर बने एक राजनीतिक कार्टून को भी हटा दिया है, जिसमें गोलियों से जख्मी एक कबूतर को दिखाया गया था। इसके अलावा चैप्टर से जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर बीके नेहरु के उन शब्दों को भी हटा दिया गया, जो उन्होंने फारूक अब्दुल्ला सरकार की बर्खास्तगी (1984) के बाद कही थी। यह शब्द थे, 'दूसरी बार अपने चुने हुए नेता को सत्ता से हटाए जाने के बाद अब कश्मीरियों को यकीन हो गया था कि भारत कभी भी उन्हें खुद से शासन करने की इजाजत नहीं देगा। '
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