J&K:महबूबा मुफ्ती से मिले फारूक और उमर अब्दुल्ला, नए राजनीतिक समीकरण के संकेत!
नई दिल्ली- नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और पार्टी नेता उमर अब्दुल्ला ने आज जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती से उनके घर जाकर मुलाकात की है। महबूबा मुफ्ती 14 महीने तक हिरासत में रहने के बाद मंगलवार को ही रिहा हुई हैं। इस मुलाकात से पहले उमर अब्दुल्ला ने कहा कि महबूबा से मिलने का कोई राजनीतिक मकसद नहीं और वो लोग सिर्फ उनको देखने आए हैं। गौरतलब है कि महबूबा मुफ्ती पिछले साल 4 अगस्त से ही हिरासत में थीं। कल जब उनकी रिहाई हुई तो उन्होंने ऑडियो संदेश के जरिए आर्टिकल-370 की फिर से बहाली के लिए संघर्ष करने का अपना इरादा जताया था। उन्होंने कहा था कि उस दिन की बेइज्जती को कोई नहीं भूल सकता।
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जब फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला की रिहाई कुछ महीने पहले हो गई तो उन्होंने ट्विटर के जरिए अपनी सियासी विरोधी रहीं महबूबा मुफ्ती की रिहाई के लिए भी कई अपील की थी। कल जब वो भी रिहा होकर अपने घर वापस आ गईं तो आज नेशनल कांफ्रेंस के दोनों पिता-पुत्र नेताओं की जोड़ी उनसे मिलने उनके घर पहुंची। इससे पहले जब महबूबा रिहा होकर बाहर निकलीं तो 5 अगस्त, 2019 की केंद्र सरकार की कार्रवाई को 'दिनदहाड़े डाका' कहकर बुलाया और कहा कि आर्टिकल-370 की बहाली और कश्मीर मामले के समाधान के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा।
रिहाई
के
बाद
जारी
एक
ऑडियो
संदेश
में
उन्होंने
कहा
कि,
'मैं
एक
साल
से
भी
ज्यादा
वक्त
के
बाद
आज
रिहा
हुई
हूं।
5
अगस्त,
2019
के
उस
'काले
दिन'
का
'काला
फैसला'
मेरे
दिल
और
रूह
पर
हर
पल
वार
करता
रहा।
मुझे
लगता
है
कि
यही
स्थिति
जम्मू
और
कश्मीर
के
लोगों
की
भी
रही
होगी।
कोई
भी
उस
दिन
की
बेइज्जती
को
भूल
नहीं
सकता।'
महबूबा
का
कहना
है
कि
'दिल्ली
दरबार
ने
गैर
कानूनी,
गैर
लोकतांत्रिक
तरीके
से
जो
हमसे
छीना,
उसे
वापस
लेना
होगा।
कश्मीर
के
मसले
को
हल
करने
के
लिए
कोशिशें
जारी
रखनी
पड़ेंगी,
जिसके
लिए
हजारों
लोगों
ने
अपनी
जानें
दी
हैं।
ये
रास्ता
मुश्किल
है,
लेकिन
मुझे
यकीन
है
कि
हौसले
से
यह
कठिन
रास्ता
भी
तय
होगा।
जम्मू-कश्मीर
के
जितने
भी
लोग
देश
की
जेलों
में
बंद
हैं,
उन्हें
जल्द
से
जल्द
रिहा
किया
जाए।'
गौरतलब है कि इससे पहले नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने भी जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 खत्म होने पर ऐसी ही भड़ास निकाली थी। उनके बारे में दावा किया गया कि उन्होंने कहा है कि चीन की मदद से ही यह आर्टिकल-370 फिर से बहाल हो सकता है। लेकिन, फिर बाद में उनकी पार्टी ने इस दावे का खंडन किया और कहा कि टीवी चैनल में दिए उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। पार्टी के नेता ने सफाई दी कि 'उन्होंने सिर्फ आर्टिकल 370 हटाए जाने के खिलाफ लोगों के गुस्से का इजहार किया था। वो तो यह कहना चाह रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में इस बदलाव को स्वीकार करने के लिए कोई तैयार नहीं है।......मेरे नेता ने ऐसा कभी नही्ं कहा कि आर्टिकल 370 चीन की मदद से बहाल किया जाएगा........'
गौरतलब है कि पिछले साल 5 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला आर्टिकल-370 खत्म कर दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो संघ शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। जम्मू-कश्मीर के लिए दिल्ली और पुडुचेरी की तरह लेफ्टिनेंट जनरल और विधानसभा का प्रावधान रखा गया है।