J&K DDC elections:भाजपा-गुपकार गठबंधन दोनों क्यों कर रहे हैं जीत के दावे, आंकड़ों से समझिए
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में डीडीसी (DDC) के 280 सीटों के लिए हुए चुनाव में 278 के नतीजे आ चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी (BJP) और 7 दलों के पीपुल्स एलायंस फॉर गुकार डिक्लरेशन (PAGD) दोनों इसमें अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। अब तक के चुनाव परिणाम के मुताबिक पीएजीडी या गुपकार गठबंधन (Gupkar alliance) को 110 सीटें मिली हैं और भाजपा को अकेले 75 सीटे मिली हैं। वहीं तीसरे नंबर पर निर्दलीय हैं, जो 50 सीटों पर जीते हैं। दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी(BJP) गुपकार गठबंधन से कम सीटों पर जीतने के बावजूद अपने चश्मे से इसे खुद की बड़ी जीत मान रही है। वहीं आर्टिकल 370 (Artcle 370)के खात्मे से पहले तक एक-दूसरे की कट्टर विरोधी पार्टियों का गुपकार गठबंधन इसे अपनी बड़ी कामयाबी मान रहा है, जिसमें सही मायने में फारूक अब्दुल्ला परिवार की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस को ही बड़ी सफलता हाथ लगी है। लेकिन, हम इस सियासी दलों के नजरिएयों पर ना जाकर आंकड़ों पर बात करते हैं कि वह क्या कह रहा है।
स्ट्राइक रेट के हिसाब से कौन आगे ?
अगर स्ट्राइक रेट के हिसाब से देखें तो गुपकार गठबंधन (Gupkar alliance) की ज्यादातर पार्टियों का प्रदर्शन बीजेपी(BJP) के मुकाबले काफी अच्छा रहा है। मसलन, नेशनल कांफ्रेंस (NC) का स्ट्राइक रेट 40.9 फीसदी है तो महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी (PDP) का स्ट्राइक रेट 39.7 फीसदी। लेकिन, क्योंकि बीजेपी का किसी दल के साथ बड़े स्तर पर कोई गठबंधन नहीं था और वह ज्यादा सीटों पर लड़ी, इसलिए उसका स्ट्राइक रेट एनसी और पीडीपी से काफी कम यानि महज 32.6 फीसदी ही रहा। कांग्रेस (Congress) का स्ट्राइक रेट एक बार फिर बिहार विधानसभा चुनाव की याद दिलाता है, जो सिर्फ 16.3 फीसदी ही रहा। ऐसा इसलिए हुआ कि एनसी 164 सीटों पर लड़कर 67 जीता है तो पीडीपी 68 पर लड़कर 27 सीटें जीती हैं।
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वोट शेयर के मुताबिक किसका पलड़ा भारी ?
बात जब वोट शेयर की करेंगे तो जिन सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस (NC),पीडीपी (PDP) और बीजेपी (BJP) ने उम्मीदवार उतारे वहां भाजपा आगे रही है। खासकर पीडीपी के मुकाबले उसका वोट शेयर काफी ज्यादा रहा। मसलन, बीजेपी को कुल 24.6 फीसदी वोट मिले तो नेशनल कांफ्रेंस को 16.3 फीसदी, पीडीपी को 3.9 फीसदी और कांग्रेस को सिर्फ 13.7 फीसदी। अगर हम इन आंकड़ों की तुलना इन पार्टियों के 2014 के विधानसभा चुनाव में लड़ी जाने वाली सीटों से करें तो तब भाजपा को 26.23 फीसदी वोट मिले थे, नेशनल कांफ्रेंस को 21.14 फीसदी और पीडीपी को 23.85 फीसदी।
जम्मू और कश्मीर में बंट गए नतीजे ?
लेकिन, डीडीसी चुनाव के वोट शेयर को अगर हम जम्मू और कश्मीर दोनों अलग-अलग जगहों के लिए देखें तो पार्टियों के प्रदर्शन में अंतर स्पष्ट नजर आता है। मतलब, जम्मू (Jammu)में भाजपा को 34.4 फीसदी वोट मिले हैं तो कश्मीर (Kashmir) में सिर्फ 3.3 फीसदी। वहीं गुपकार गठबंधन (Gupkar alliance)को जम्मू में 17.2 फीसदी वोट मिले तो कश्मीर में 35.2 फीसदी। कांग्रेस को जम्मू में 16.8 फीसदी वोट मिले हैं तो कश्मीर में 6.9 फीसदी। वोट शेयर में यह अंतर जम्मू और कश्मीर(Jammu and Kashmir) के इलाके में धार्मिक आबादी के अंतर को भी स्पष्ट कर रहा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक कश्मीर के 10 जिलों में मुसलमानों की आबादी 96.4 फीसदी थी, जबकि जम्मू में हिंदुओं की जनसंख्या 62.6 फीसदी है। अगर राज्य के सभी 20 जिलों की बात करें तो 11 में मुसलमानों की जनसंख्या 90 फीसदी से ज्यादा है, पांच जिलों में मुसलमान 50 से 70 फीसदी के बीच हैं और सिर्फ 4 ही जिले ऐसे हैं जहां हिंदुओं की जनसंख्या 90 फीसदी से ज्यादा है।
क्या धार्मिक आधार पर विभाजित रहे डीडीसी चुनाव के नतीजे ?
बीजेपी हिंदू बहुल जिलों की 56 सीटों में से 86 फीसदी सीटें जीती, जबकि मुस्लिम बहुल जिलों की 152 सीटों में से उसे महज 2 फीसदी सीटें ही मिलीं। इसके ठीक उलट गुपकार गठबंधन मुस्लिम बहुल 57% सीटें जीत गया तो हिंदू बहुल 4 फीसदी सीटें भी उसके खाते में गईं। वैसे भाजपा सिर्फ इसी बात से खुश नहीं हो रही है कि उसे कश्मीर घाटी में इस चुनाव में 3 सीटें मिली हैं, बल्कि वोट शेयर के मामले में भी उसने यहां अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। क्योंकि, 2014 के आम चुनाव में उसे तब की मोदी लहर में भी सिर्फ 1.2 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन कुछ ही महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में उसे घाटी में 2.2 फीसदी वोट हासिल हुए थे। पिछले साल के आम चुनाव में हालांकि उसे सिर्फ 1.3 फीसदी वोट ही मिला था, लेकिन अबकी बार वह घाटी में 3.3 फीसदी वोट लाने में कामयाब रही है।