J&K DDC Elections Results:कश्मीर घाटी में BJP नहीं भी जीतती तो ऐसे करती सदस्यों का जुगाड़
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल District Development Council (DDC)की सभी 280 सीटों के लिए वोटों की गिनती जारी है और बैलट पेपर से चुनाव होने की वजह से वोटों की गिनती में थोड़ा समय लगने की संभावना है। यह चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आर्टिकल 370 (Article 370) खत्म होने के बाद से प्रदेश में यह पहला चुनाव हुआ है। इसके चलते बीते करीब डेढ़ साल में यहां की राजनीतिक परिस्थितियां भी बदल चुकी हैं। जो दल एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन थे वह गुपकार एलायंस (Gupkar Alliance) के तहत एक साथ हैं और भारतीय जनता पार्टी (BJP) उन सबकी एकमात्र सियासी शत्रु बन चुकी है। वहां की क्षेत्रीय पार्टियों को अपना वजूद बचाए रखने के लिए बेहतर प्रदर्शन की दरकार है तो भाजपा के लिए जम्मू डिविजन से आगे कश्मीर घाटी (Kashmir Vally) में भी सीट जीतकर दिखाने की चुनौती थी। अलबत्ता, पार्टी ने इसके लिए बहुत कड़ी मेहनत की है और अपने केंद्रीय नेताओं को इस काम में पूरी संजीदगी से लगाया है। वैसे घाटी में अगर पार्टी को उम्मीदों के मुताबिक भरपूर कामयाबी नहीं भी मिली तो भी माना जा रहा है कि उसकी अगली योजना तैयार है।
कश्मीर घाटी में खाता खोलने के लिए भाजपा ने की कड़ी मेहनत
बीजेपी (BJP) को पूरी उम्मीद है कि डीडीसी चुनाव (DDC Elections) कश्मीर घाटी (Kashmir Vally)में भी उसका खाता जरूर खुलेगा। कश्मीर फतह करने के लिए पार्टी ने सूफीवाद (Sufism),वहां बीजेपी (BJP) को पूरी उम्मीद थी कि डीडीसी चुनाव (DDC Elections) कश्मीर घाटी (Kashmir Vally)में भी उसका खाता जरूर खुलेगा। कश्मीर फतह करने के लिए पार्टी ने सूफीवाद (Sufism),वहां अबतक विकास की कमी, भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति (dynasty politics) को मुद्दा बनाकर चुनाव प्रचार किया है। पार्टी ने अपने राष्ट्रीय मुस्लिम चेहरा और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन (Syed Shanawaz Hussain) को विशेष जिम्मेदारी देकर पार्टी की नीतियों और लक्ष्यों को जनता तक पहुंचाने के लिए भेजा था। इसके लिए वो एक महीने में पूरी घाटी में घूमे हैं और पार्टी की विचारधारा जमीनी स्तर तक आम कश्मीरियों तक पहुंचाया है। उनके प्रचार अभियान में उन्होंने क्षेत्रीय दलों को खासतौर पर निशाने पर लिया है और गुपकार गठबंधन (Gupkar Alliance)में शामिल नेताओं को भ्रष्ट नेताओ का गठबंधन बताने की कोशिश की है। लेकिन, कश्मीरी आवाम का भाजपा के लिए दिल जीतने की कोशिश में उन्होंने इससे भी ज्यादा करने का प्रयास किया है।अबतक विकास की कमी, भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति (dynasty politics) को मुद्दा बनाकर चुनाव प्रचार किया है। पार्टी ने अपने राष्ट्रीय मुस्लिम चेहरा और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन (Syed Shanawaz Hussain) को विशेष जिम्मेदारी देकर पार्टी की नीतियों और लक्ष्यों को जनता तक पहुंचाने के लिए भेजा था। इसके लिए वो एक महीने में पूरी घाटी में घूमे हैं और पार्टी की विचारधारा जमीनी स्तर तक आम कश्मीरियों तक पहुंचाया है। उनके प्रचार अभियान में उन्होंने क्षेत्रीय दलों को खासतौर पर निशाने पर लिया है और गुपकार गठबंधन (Gupkar Alliance)में शामिल नेताओं को भ्रष्ट नेताओ का गठबंधन बताने की कोशिश की है। लेकिन, कश्मीरी आवाम का भाजपा के लिए दिल जीतने की कोशिश में उन्होंने इससे भी ज्यादा करने का प्रयास किया है।
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शाहनवाज हुसैन ने घाटी पर किया पूरा फोकस
बीजेपी (BJP) नेता शाहनवाज हुसैन कई बार घाटी के ग्रामीण इलाकों के लोगों के दिलों में जगह बनाने के लिए अपनी मुस्लिम पहचान और खुद के सैयद वंश से होने पर भी जोर दिया है। वो श्रीनगर (Srinagar) के शेख हमजा मखदूम और बडगाम (Budgam) जिले के चरार-ए-शरीफ स्थित शेख नूर-उद-दीन की दरगाह पर भी गए। उनकी कोशिश रही की घाटी में मौजूद सूफी भावनाओं पर थोड़ी चर्चा शुरू हो। भाजपा नेतृत्व की ओर से कश्मीर भेजे जाने के बारे में उन्होंने कहा है, 'मुझे बीजेपी के खिलाफ किए गए प्रोपेगेंडा को दूर करने के लिए भेजा गया था। हम सूफीवाद (Sufism) में विश्वास करते हैं और कश्मीर के 99 फीसदी लोग अमन पसंद हैं.........मुसलमान (Muslims) कभी भी पत्थरबाज नहीं हो सकता.....हमें सिखाया जाता है कि जब कोई हम पर पत्थर या कचरा फेंके तो भी अपना धीरज बनाकर रखना है..... '
घाटी में जीतने वाले निर्दलीय सदस्यों पर नजर!
भाजपा ने बाकी जिन नेताओं को कश्मीर में भेजा था, उन्होंने आर्टिकल 370 (Article 370)के हटाने को लेकर वहां के लोगों का भ्रम दूर करने, विकास के कार्यों पर जोर देने और घाटी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया फिर से शुरू करने जैसे मुद्दों पर फोकस किया। लेकिन, इन सबके बावजूद बीजेपी कश्मीर घाटी में कराए गए मौजूदा चुनाव में वह पूरी लोकप्रियता हासिल कर पाएगी, इसको लेकर आशंका थी। लेकिन, उसे इतना जरूर यकीन था कि पहले वाली दुर्भावना दूर करने में वह जरूर कामयाब रही है; और सबसे बड़ी बात कि उसे लगता है कि नेशनल कांफ्रेंस (NC) और पीडीपी (PDP) जैसी पार्टियों और उनके नेताओं का जिन्होंने अबतक वहां शासन किया है, उनकी असलियत जनता के बीच रखने में वह जरूर कामयाब हुई है। पार्टी को पूरा यकीन था कि इसी चुनाव में उसका कश्मीर घाटी में अपना खाता खुल जाएगा और परिणामों के बाद वह जीतने वाले कुछ निर्दलीय (Independents) सदस्यों को भी भाजपा में शामिल करा सकती है।
डीडीसी की सभी 280 सीटों के लिए वोटों की गिनती
जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों में 28 नवंबर से 19 दिसंबर के बीच 8 चरणों में डीडीसी की सभी 280 सीटों के लिए चुनाव करवाए गए हैं। चुनाव के बाद अब नतीजों का वक्त आया है। इस चुनाव में कुल 4,181 उम्मीदवारों का सियासी भविष्य तय होना है, जिसमें 450 महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर के कुल 57 लाख मतदाताओं में से कुल करीब 51% ने वोटिंग किया है।