J&K: स्कूल से बंक मारने के चक्कर में पत्थरबाज कैसे बन गया 'छोटा डॉन'
नई दिल्ली- कश्मीर के शोपियां में पुलिस ने एक ऐसे जुवेनाइल को रिमांड होम भेजा है, जो स्कूल से बंक मारने के चक्कर में 10 साल की उम्र में कैसे पत्थरबाज बन बैठा खुद उसे भी पता नहीं है। वह कश्मीर में लगातार तीन साल से पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल रहकर इतना कुख्यात हो चुका है कि लोग उसे 'छोटा डॉन' के नाम से जानने लगे हैं। उससे पूछताछ से ये बात भी सामने आ रही है कि वह ऐसे गुनाहों में क्यों शामिल होता है, उसे इसके बारे कुछ भी पता नहीं है। न ही उसे आर्टिकल 370 के बारे में कुछ पता है और न ही वहां के मौजूदा संवैधानिक हालातों के बारे में ही। आइए जानते हैं कि उसने स्कूल जाने से बचने के लिए कैसे पत्थरबाजी को अपना जुनून बना लिया।
रिमांड होम पहुंचा 13 साल का 'छोटा डॉन'
पुलिस ने शोपियां में जिस 13 साल के बच्चे को रिमांड होम भेजा है, उसे ये पता भी नहीं है कि वह पत्थर क्यों फेंकता है और अभी कश्मीर में ऐसा क्या हुआ जिसके चलते वह ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों और स्कूल टीचरों को आतंकित करने की कोशिश कर रहा था। पुलिस ने उसे जिस वक्त पकड़ा, वह अपने कद से भी लंबी लाठी लेकर दफ्तर जाने वाले सरकारी कर्मचारियों और स्कूल जाने वाले टीचरों का आई-कार्ड चेक कर रहा था। लेकिन, इलाके में 'छोटा डॉन' का दहशत ही ऐसा था कि कोई उसकी उम्र नहीं देखता था, क्योंकि उसका सिर्फ नाम ही काफी था। लेकिन, अब वह कानून की गिरफ्त में है और रिमांड होम में उसे जिंदगी फिर से सुधारने का मौका मिलने वाला है।
2016 की घटनाओं से हुआ बदनाम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसके परिवार को जानने वाले लोग बताते हैं कि 2016 में जब शोपियां में हिंसक प्रदर्शन हुए थे तभी वह बच्चा इलाके में सुर्खियों में आ गया था। इलाके के लोगों में उसके चेहरे की एक छाप पड़ गई है। क्योंकि, उसे हमेशा दोगुनी उम्र के पत्थरबाजों के ग्रुप के साथ दहशत को अंजाम देते देखा जाता था। तब से लेकर अबतक इलाके में शायद ही कोई बड़ी पत्थरबाजी की वारदात हुई हो, जिसमें 'छोटा डॉन' का हाथ न रहा हो। एक पुलिस वाले ने बताया कि वह इतना बेखौफ बन चुका था कि सुरक्षा बलों और निजी गाड़ियों पर पत्थर फेंकने में एक बार भी नहीं सोचता था।
|
धूर्तों की गिरफ्त में आ गया था लड़का
'छोटा डॉन' की दहशत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके पकड़े जाने पर खुद शोपियां के एसएसपी संदीप चौधरी ने ट्विटर पर उसके बारे में कुछ अहम जानकारियों शेयर की हैं। उन्होंने लिखा, '13 साल के एक लड़के की कहानी जिसे कानून के साथ लड़ाई के लिए हमें रिमांड होम भेजना पड़ा। उसका नाम नहीं बता रहे। 2016 में पत्थर फेंकना शुरू किया और 'छोटा डॉन' के नाम से बदनाम हुआ। उसे उससे ज्यादा लंबी लाठी के साथ काम पर जाने वाले टीचरों समेत सरकारी कर्मचारियों का आई-कार्ड चेक करते पकड़ा गया।' उन्होंने सवाल किया है कि 'आत्मसम्मान रखने वाला कौन पुलिस वाला एक बच्चे को उन हाथों की कठपुतली बनने देगा, जो 'सिविल कर्फ्यू' के नाम पर धूर्तता से आम नागरिकों को धमकाते हैं?' उन्होंने उम्मीद जताई कि कानून उस बच्चे की भी जिंदगी बचाएगा और उनकी भी जिनके आई-कार्ड उसने चेक किए होंगे।
स्कूल जाने से बचने के लिए बन गया पत्थरबाज
'छोटा डॉन' के बारे में सबसे बड़ा खुलासा तो ये हुआ है कि उसने बचपन में सिर्फ इसलिए पत्थबाजी शुरू की थी कि उसे स्कूल नहीं जाना पड़े। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक 'वह युवाओं के साथ मिलकर राहगीरों का सिर्फ इसलिए उत्पीड़न करने लगा, ताकि वह स्कूल जाने से बच जाय..........और जैसे-जैसे वह 'छोटा डॉन' के नाम से बदनाम होने लगा, तब 6ठीं क्लास में पढ़ने वाला इस छात्र ने धीरे-धीरे खुद को पढ़ाई से ही दूर कर लिया।' पुलिस वाले ने बच्चे से बातचीत के बाद बताया है कि वह ये सब क्यों कर रहा है, उसे उसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। उसे कश्मीर मामले की भी कोई जानकारी नहीं है और न ही वह आर्टिकल 370 के बारे में ही कुछ जानता है।