चीन बॉर्डर पर तैनात होंगी ITBP की सात नई बटालियन, चीनी सेना की घुसपैठ होगी फेल!
नई दिल्ली। अभी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ टकराव जारी है। पांच मई से टकराव की शुरुआत हुई है और अब तक कई दौर की वार्ता के बाद भी इसके सुलझने के आसार नहीं नजर आ रहे हैं। अब भारत ने सर्दियों में चीन को जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है। गृह मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद चीन से सटे बॉर्डर यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) की सात नई बटालियन तैनात करने की तैयारी कर ली है। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से इस बात की जानकारी दी गई है।
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लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक सख्त होगा पहरा
सूत्रों के मुताबिक सात बटालियन की मंजूरी के बाद कुल 47 बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) पर जवानों को तैनात किया जा सकेगा। इनमें से 39 बीओपी अरुणाचल प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में हैं। इसके अलावा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख की कुछ बीओपी में आईटीबीपी के जवानों को तैनात किया जाएगा। एलएसी भारत और चीन के बीच टकराव जारी है। अब केंद्र सरकार लगातार सुरक्षा बलों की ताकत बढ़ाने में जुटी है। गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गृह मंत्रालय सैद्धांतिक तौर पर सहमत हो गया है कि जल्द ही सात नई बटालियन आइटीबीपी को मिल जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में इसके लिए कैबिनेट नोट लाया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद नई बटालियन के लिए जवानों का चयन शुरू हो जाएगा। पिछले कई वर्षों से आइटीबीपी का यह मामला अटका हुआ था लेकिन जिस तरीके से भारत-चीन सरहद पर इस वक्त हालात बने हुए हैं, ऐसे में सरकार किसी भी तरीके की कमी नहीं छोड़ना चाहती।
सेना के साथ ITBP भी रहती है मुस्तैद
भारत-चीन बॉर्डर पर भारतीय सेना के साथ लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश और अरुणाचल से लेकर उत्तराखंड तक आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं। चीनी सैनिक लगातर इन इलाकों में नजरें गड़ाए रहते हैं। अरुणाचल प्रदेश में आईटीबीपी की एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट की दूरी कई जगहों पर 100 किलोमीटर से भी ज्यादा है। ऐसे में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की जानकारी सही वक्त पर नहीं मिल पाती है। पहाड़ी और जंगली इलाकों में पैट्रोलिंग करना आसान नहीं होता है और कैंप के बीच में कई किलोमीटर का फासला होने से यह समस्या और भी जटिल हो जाती है। यही वजह है कि इस दूरी को कम करने के लिए करीब 7000 जवानों को लाने की मांग कई साल से की जा रही थी।