मिशन चंद्रयान-2 क्यों हुआ विफल, अभी तक इसरो ने इस रहस्य से नहीं उठाया पर्दा
नई दिल्ली। मिशन चंद्रयान-2 जिस तरह से सफलता से महज कुछ कदम दूर रह गया, उसके बाद से अभी तक इसकी वजह का पता नहीं चल पाया है। इसरो अभी तक इस बाबत कुछ भी साफ तरह से कहने में विफल रहा है। चांद की सतह पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग विफल होने की वजह का अभी तक पता नहीं चल पाया है। खुद इसरो भी अभी तक इसकी विफलता के बारे में कुछ नहीं कह सका है और इसको लेकर रहस्य अभी तक बरकरार है।
सात सितंबर को विक्रम लैंडर चांद की साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंड करने में विफल हो गया और महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर इससे इसरो का संपर्क टूट गया और यह क्रैश हो गया। इस क्रैश को चार दिन बीत गए हैं लेकिन इसरो की ओर से इसकी वजह के बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा गया है। जिस तरह से विक्रम लैंडर शांत है, ठीक उसी तरह से इसरो ने भी इसपर चुप्पी साध रखी है। इसरो के पूर्व अधिकारी ने बताया कि इस विफलता की वजह का इसरो को बहुत पहले ही पता चल गया था, इसकी जानकारी देना या नहीं देना इसरो के हाथ में है। लेकिन यह अजीब है कि आखिर अभी तक इसरो ने इसकी जानकारी क्यों नहीं दी है।
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विक्रम लैंडर के चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के विफल होने के कुछ देर बाद ही इसरो चीफ के सीवन ने इस बाबत बयान जारी करते हुए कहा था कि विक्रम लैंडर अपनी पूर्व तय कार्यक्रम की तरह आगे बढ़ रहा था, लेकिन 2.1 किलोमीटर की दूरी पर इससे संपर्क टूट गया है और हम इसकी वजह का पता लगा रहे हैं। शनिवार को इसको लेकर होने वाली इसरो की प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी रद्द कर दिया गया। इसके बाद इसरो की ओर से एक बयान जारी किया गया जिसमे कहा गया कि 978 करोड़ रुपए का मिशन चंद्रयान-2 90-95 फीसदी सफल रहा है और इसने अपने लक्ष्य की प्राप्ति की है।
इसरो के रिटायर्ड अधिकारी ने बताया कि जब जीएसएलवी रॉकेट कुछ वर्ष पहले विफल हुआ था, उस वक्त इसरो के चेयरमैन ने इस बारे में मीडिया को तुरंत जानकारी दी थी। उस वक्त इसरो की ओर से इसकी वजह के बारे में भी जानकारी दी गई थी। 1471 किलोग्राम के विक्रम लैंडर ने 7 सितंबर को रात 1.38 बजे जब अपनी यात्रा शुरू की तो सबकु सही जा रहा था। 30 किलोमीटर का सफर काफी अच्छे से यह तय कर रहा था लेकिन महज कुछ कदम दूर पहले इसका संपर्क टूट गया।