जासूसी कांड में ISRO वैज्ञानिक नंबी नारायण की गिरफ्तारी को SC ने बताया गलत, 50 लाख के मुआवजा का आदेश
नई दिल्ली। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण की 1994 में जासूसी मामले में गिरफ्तारी को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट नेे 50 लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिया है। साथ ही 76 साल के नंबी नारायण की गिरफ्तारी में केरल के पुलिस अफसरों की भूमिका को लेकर न्यायिक कमेटी का गठन का भी आदेश कोर्ट ने दिया है। पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस डीके जैन इसकी अध्यक्षता करेंगे।
नंबी नारायण को जासूसी के एक मामले में अक्टूबर 1994 में गिरफ्तार किया गया था। मालदीव की एक महिला की गिरफ्तारी के बाद नंबी की गिरफ्तारी हुई थी। आरोप था कि उन्होंने इसरो के कुछ राज महिला को बता दिए थे। दो साल बाद 1996 में सीबीआई ने सभी मामले के सभी आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए मामले में को बंद कर दिया। 1998 में राज्य सरकार ने फिर मामले को खोलने की बात कही लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
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नंबी नारायण ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी अर्जी में केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यू और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। सिबी मैथ्यू ने ही इस जासूसी कांड की जांच की थी। नंबी नारायण ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि डीजीपी सिबी मैथ्यू और दो रिटायर्ड पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की कोई जरुरत नहीं है। इसके बाद नंबी सुप्रीम कोर्ट गए।
1998 में सुप्रीम कोर्ट से मामले में आरोपमुक्त होने के बाद नंबी नारायण ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया और राज्य सरकार से मुआवजे की मांग की। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मार्च 2001 में नंबी नारायण को दस लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था।
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