चंद्रयान-2 के बाद ISRO के निशाने पर हैं देश के ये 4 बड़े मिशन
नई दिल्ली। भारत भले ही ऐतिहासिक क्षण के करीब पहुंचकर चूक गया हो लेकिन चंद्रयान-2 मिशन की सराहना दुनियाभर में हो रही है। चांद पर लैंडिंग से ठीक 2.1 किलोमीटर पहले चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर रेंज से बाहर हो गया, उसका संपर्क इसरो से टूट गया। हालांकि, रविवार को एक बार फिर से उम्मीद जग गई क्योंकि आर्बिटर ने लैंडर विक्रम की तस्वीर भेजी है। अब इसरो की कोशिश उससे संपर्क साधने की हो रही है। फिलहाल इसरो का अंतरिक्ष मिशन चांद तक ही सीमित नहीं है, चंद्रयान-2 के बाद इसरो की नजर भविष्य के इन चार बड़े प्रोजेक्ट्स पर है।
चंद्रयान के बाद अब इसरो के निशाने पर हैं ये बड़े अंतरिक्ष मिशन
चंद्रयान-2 के जरिए चांद पर लैंडिंग की भारत की कोशिश से जो अनुभव मिले हैं, ये दुनियाभर की स्पेस एजेंसियों के भविष्य के अभियानों में मददगार साबित होंगे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ये मानना है। वहीं बात करें भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की तो चंद्रयान-2 के बाद उनकी निगाहें अब अंतरिक्ष में और सेंध लगाने की है। आने वाले कुछ साल में इसरो की योजना शुक्र, मंगल और सूर्य मिशन पूरा करने की है।
2020 में आदित्य एल-1 यानी सूर्य मिशन
चंद्रयान-2 के बाद अब इसरो के वैज्ञानिक 'सूर्य मिशन' की तैयारी कर रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की योजना अगले साल यानी 2020 में आदित्य-एल1 उपग्रह छोड़ने पर है, इसे सूर्य मिशन भी कहते हैं। यह सूर्य की बाहरी सतह 'कोरोना' का अध्ययन करने के लिए इसके करीब जाएगा। इसका लक्ष्य सूर्य के बाहरी सतह (कोरोना) के तापमान का अध्ययन करना और धरती पर इलेक्ट्रॉनिक संचार में व्यवधान पैदा करने वाली सौर-लपटों की जानकारी हासिल करना है। इससे सूर्य के कोरोना से धरती के भू-चुम्बकीय क्षेत्र में होने वाले बदलावों के बारे में घटनाओं को समझा जा सकेगा।
2022 में इसरो का 'गगनयान' प्रोजेक्ट
चंद्रयान-2 के बाद अब इसरो ने नए मिशन 'गगनयान' की तैयारी शुरू कर दी है। इस मिशन के तहत इसरो की योजना अंतरिक्ष में इंसान भेजने की है। इसके तहत तीन यात्रियों को अंतरिक्ष में सात दिनों तक रहना होगा। इस परियोजना की घोषणा पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में की थी। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के चयन का पहला चरण इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन में पूरा हो गया। इसरो के चेयरमैन के.सिवन ने कहा कि इसरो दी गई समय सीमा में मिशन को पूरा करने में सक्षम है।
2023 में शुक्रयान
इसरो की एक और बड़ी योजना शुक्रयान है। जिसके जरिए शुक्र ग्रह के छिपे रहस्यों को जानने में मदद मिलेगी। इसरो साल 2023 में वीनस यानी शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए शुक्रयान को इसकी कक्षा में भेजेगा। शुक्र के वातावरण का अध्ययन करने के लिए एक ऑर्बिटर मिशन भेजा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी की तरह शुक्र भी साढ़े चार अरब साल पहले वजूद में आया था।
मंगलयान-2: 2024 में इसरो का एक और मंगल मिशन
मंगल ग्रह की सतह आदि का अध्ययन करने के लिए इसरो एक और मंगल मिशन की तैयारी कर रहा है। भारत ने PSLV-C25 रॉकेट का इस्तेमाल करते हुए 5 नवंबर, 2013 को अपना पहला मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) लॉन्च किया था। मंगलयान-1 की तुलना में यह मंगलयान-2 मंगल के ज्यादा नजदीकी कक्षा में उतरेगा। 2024 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगल ग्रह के दूसरे इंटरप्लेनेटरी मिशन की योजना बनाई है।
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