ISRO को मिला चंद्रयान 2 लैंडर विक्रम, अब खुलेंगे ये राज
नई दिल्ली। इसरो की महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान 2 मिशन की लैंडिंग चंद्रमा पर 7 सितंबर की देर रात 2:30 बजे होने वाली थी, लेकिन चंद्रमा से लैंडिंग से ठीक पहले मजह 2.1 किमी पहले ही लैंडर का संपर्क इसरो सेंटर से चूट गया। लैंडर विक्रम से संपर्क टूटते ही वैज्ञानिकों के साथ-साथ देशभर के लोगों को मायूसी छा गई , लेकिन मिशन चंद्रयान-2 की नाकामी के बीच आज उम्मीद जगाने वाली खबर आई। इसरो ने कहा कि उन्हें लैंडर की लोकेशन का पता चल गया है। लैंडर विक्रम को चंद्रमा पर जहां लैंड करना था, वहां से महज 500 मिनट की दूरी पर विक्रम की लोकेशन मिली है। इसके साथ ही एक बार फिर से चंद्रयान 2 को लेकर वैज्ञानिकों की उम्मीद जग गई है।
फेल नहीं हुआ चंद्रयान 2
मिशन के आखिरी पड़ाव में दिशा भटक चुके चंद्रयान 2 लैंडर विक्रम को तलाश लिया गया है। ऑर्बिटर की थर्मल इमेजिंग से लैंडर विक्रम का पता चला है। इसी से इसरो को लैंडर की सही लोकेशन का पता चला है। इसरो को लैंडर में हुए नुकसान का पता नहीं चल पाया है। वैज्ञानिक विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं।
इसरो की सबसे बड़ी चुनौती
इसरो के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती है लैंडर विक्रम की सही स्थिति का पता लगाना है। वैज्ञानिकों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है। इस बात का पता लगाने की लैंडर विक्रम चांद की सतह पर लैंड कर गया है, लेकिन उसे नुकसान कितना हुआ है। क्या विक्रम तक सूर्य की रोशनी पहुंच रही है? इसके अलावा सबसे बड़ी उम्मीद यह भी बची है कि क्या सोलर एनर्जी से विक्रम दोबारा काम कर पाएगा?
खुलेंगे कई राज
चंद्रयान
2
मिशन
को
लेकर
एक
बार
फिर
से
उम्मीद
जगी
है।
वहीं
विक्रम
का
लोकेशन
पता
चलने
से
कई
राज
खुलने
की
उम्मीद
है।
इसरो
के
वैज्ञानिकों
को
ये
पता
चल
गया
है
कि
उनके
संपर्क
से
बाहर
जाने
वाला
लैंडर
अभी
कहां
हैं।
ऑर्बिटर
ने
ये
कमाल
कर
दिखाया
है।
चंद्रमा
की
कक्षा
में
घूमने
वाले
ऑर्बिटर
ने
थर्मल
इमेज
भेजी
है।
अब
वैज्ञानिकों
की
कोशिश
है
कि
जल्द
से
जल्द
विक्रम
से
संपर्क
साधा
जाए।
इसके
लिए
वैज्ञानिकों
के
पास
12
दिन
का
वक्त
है।दरअसल
अभी
लूनर
डे
चल
रहा
है।
चांद
का
एक
लूनर
डे
धरती
के
14
दिनों
के
बराबर
होता
है।
चूंकि
लूनर
डे
में
से
2
दिन
बीत
चुके
हैं,
ऐसे
में
अगले
12
दिनों
तक
चांद
पर
दिन
रहेगा।
दिन
में
लैंडर
से
संपर्क
साधने
की
कोशिश
करना
आसान
है।
इसके
बाद
वहां
रात
हो
जाएगी,
जो
धरती
के
14
दिन
के
बराबर
है।
ऐसे
में
इसरो
को
इन
12
दिनों
के
भीतर
विक्रम
से
संपर्क
साधना
है।