ISRO 2021 में ब्राजील के सैटलाइट साथ अंतरिक्ष में जाएगा भारत का स्पेस स्टार्टअप सैटलाइट
बेंगलुरु। इसरो के अध्यक्ष के सिवन को अंतरिक्ष विभाग (Department of Space secretary) के चेयरमैन के पर पर एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है। वर्तमान समय में सिवन की देखरेखल में कई अंतरिक्ष मिशन संचालित हो रहे है जो कि कोरोना काल में अधर में लटके हुए है जिसे सिवन की देख रेख में जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। वहीं अब इसरो नए साल में कई दूसरे प्रस्तावित सैटलाइट लॉन्च करने वाला है।
Recommended Video
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) नए साल की शुरुआत कई commercial satellites के प्रक्षेपण के साथ करेगा, जिसमें ब्राजील के अमोनिया और तीन भारतीय उपग्रह शामिल हैं। "फरवरी के अंत या मार्च 2021 की शुरुआत में, हम अपने रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-C51 (PSLV-C51) भेजेंगे। इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने भारतीय समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया प्राइमरी पेलोड ब्राजीलियाई satellite होगा जिसे अमोनिया कहा जाता है, जो एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है"। सिवन ने बताया कि "PSLV-C51 मिशन न केवल इसरो के लिए बल्कि भारत के लिए भी एक बहुत ही खास मिशन होगा क्योंकि रॉकेट पृथ्वी अवलोकन उपग्रह आनंद को Pixxel (सिज़्जी स्पेस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के रूप में शामिल) नामक एक भारतीय स्टार्टअप द्वारा बनाया जाएगा।
श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से PSLV-C50 के साथ कम्युनिकेशन सैटलाइट सीएमएस-01 को 17 दिसंबर को लॉच किया गया। जो कि साल 2011 में लॉन्च हुए जीसैट-11 सैटलाइट की जगह लेगा। इसरो की ओर से तैयार किया गया ये मिशन अंतरिक्ष में सात साल तक काम करेगा। सीएमएस-सी50 का लॉन्च साल 2020 के लिए इसरो का आखिरी स्पेस प्रोग्राम है। वहीं निराशा वाली बात ये है कि भारत का मानव भेजने का पहला अभियान 'गगनयान' में कोविड-19 के कारण एक साल लेट हो सकता है। पहले मानवरहित मिशन को दिसंबर 2020 और दूसरे मानवरहित मिशन को जून 2021 में भेजने की योजना बनाई गई थी।
वहीं अंतरिक्ष संगठन ने चार भूटानी इंजीनियरों के प्रशिक्षण में से एक चरण शुरू कर दिया है। इंजीनियरों को भूटान के लिए एक उपग्रह विकसित करने के लिए एक संयुक्त भारत और भूटान परियोजना के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण का पहला चरण इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में 28 दिसंबर 2020 से 25 फरवरी 2021 तक हो रहा है और इसमें सैद्धांतिक और तकनीकी पहलू शामिल होंगे। इसमें प्रयोगशालाओं और परीक्षण सुविधाओं के दौरे भी शामिल होंगे। प्रशिक्षण के दूसरे चरण में भूटान के लिए उपग्रह विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा - 2 बी। उपग्रह का उपयोग देश के प्राकृतिक संसाधनों और आपदा प्रबंधन के लिए किया जाएगा। एक भारत भूटान संयुक्त कार्य समूह परियोजना को लागू कर रहा है।