बेंजामिन नेतन्याहू से नाराज हुआ अहमदाबाद का यहूदी समुदाय, उनके लिए आज ऑफिस से ली थी छुट्टी
अहमदाबाद। यहूदी समुदाय के करीब 50 लोग बुधवार को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम के बाहर खड़े होकर बड़ी ही बेसब्री से इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पीएम नरेंद्र मोदी का इंतजार कर रहे थे। वे इकलौते यहूदी राष्ट्र इजरायल से आए अपने पीएम से मिलना चाहते थे। उन्हें देखने का, उनका स्वागत करने का इन लोगों को बड़ा मन था। इजरायली पीएम नेतन्याहू भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के साथ यहां आए तो सही, लेकिन अहमदाबाद में रह रहे इन यहूदी परिवार के लोगों की तरफ उन्होंने हाथ तक नहीं हिलाया। ये लोग काफी देर पहले से साबरमती आश्रम के बाहर खड़े थे। उन्हें स्थानीय प्रशासन की ओर से एक निश्चित स्थान भी दिया गया था, ताकि वे अपने मूल राष्ट्र से आए प्रधानमंत्री का स्वागत कर सकें, लेकिन उन्हें हैरानी तब हुई, इजरायली पीएम का काफिला आया और इतनी तेजी से आगे बढ़ गया कि उन्हें पता तक नहीं चला कि किस गाड़ी में नेतन्याहू बैठे थे।
कई लोगों ने ली थी दफ्तर से छुट्टी
इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार से बातचीत में यहूदी समुदाय के लोगों ने कहा कि हम सुबह से इंतजार कर रहे थे। कई लोगों ने तो दफ्तर से छुट्टी भी ली थी, सिर्फ इसलिए ताकि वे इजरायली पीएम को देख सकें, उनका स्वागत कर सकें। लेकिन उन्हें दुख तब हुआ, जब काफिला उनके पास से निकल गया और उन्हें पता तक नहीं चला।
तैयार किए थे पोस्टर और वेलकम सॉन्ग, बीमारी के बाद भी आईं बुजुर्ग यहूदी महिलाएं
यहूदी समुदाय के लोग सुबह 8 बजे से ही सबरमती आश्रम के बाहर आकर खड़े थे। इजरायली पीएम बेंजामिनन नेतन्याहू और पीएम मोदी का काफिला करीब 11 बजे पहुंचा। लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। कई यहूदी युवाओं ने वेलकम सॉन्ग तक तैयार कर रखे थे, लेकिन उन्हें मौका ही नहीं मिल पाया। यहूदी समुदाय के लोगों ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी विदेशों में जाते हैं तो वह प्रोटोकॉल तोड़कर अपने देश के लोगों से मिलते हैं, उनकी ओर हाथ हिलाते हैं। हमें उम्मीद थी कि नेतन्याहू कम से कम एक या दो मिनट के लिए तो रुकेंगे। समुदाय के लोगों ने अपने हाथों से कई पोस्टर बनाए थे। कई बुजुर्ग यहूदी महिलाएं स्वास्थ्य खराब होने के बाद यहां तक आई थीं।
समुदाय से कही गई थी मुलाकात की बात, बताया था ओपन जीप में आएंगे नेतन्याहू
कैंटीन
चलाने
वाले
जोसफ
पिंगल
ने
कहा
कि
हमें
बताया
था
कि
नेतन्याहू
ओपन
जीप
में
बैठकर
हमसे
मिलने
आएंगे।
हम
छोटी
सी
कम्युनिटी
हैं।
अगर
वह
आते
और
दो
मिनट
भी
रुकते
तो
हमारे
लिए
बड़ी
बात
होती।
इतना
भी
नहीं
तो
कम
से
कम
वह
हमारी
तरफ
हाथ
हिलाकर
ही
निकल
जाते।
तो
ऐसे
में
हमें
बुलाने
का
मतलब
क्या
था?
क्या
हमें
सिर्फ
सड़क
पर
खड़े
होने
के
लिए
बुलाया
गया
था।