इस्मत चुगताई की 107वीं जयंती पर Google ने बनाया डूडल, भारतीय साहित्य में पहली लेस्बियन प्रेम कहानी लिखी थी
नई दिल्ली। उर्दू साहित्य की जानी-मानी लेखिका इस्मत चुगताई की आज 107वी जयंती है। इस्मत की जयंती पर गूगल ने भी उनका सम्मान किया और खास डूडल बनाया है। गूगल ने इस्मत आपा का डूडल काफी कलरफूल बनाया है।अपने साहित्य के जरिए महिलाओं की दबी-कुचली आवाज उठाने वाली इस्मत भारतीय साहित्य में पहली बार लेस्बियन प्रेम कहानी लिखी थी।
कौन थीं इस्मत चुगताई
इस्मत का जन्म यूपी के बदायू में उच्च मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। वो 10 भाई बहन थीं। उनके पिता सरकारी अफसर थे इस लिए उनका अलग-अलग जगहों पर तबादला होता रहता था , जिसकी वजह से वो कई जगहों पर घूमती रही। इस्मत के बड़े भाई मिर्जा अजीम बेग चुगताई उर्दू के बड़े लेखक थे। उन्हें अपने भाई से ही लिखने की प्रेरणा मिली।
इस्मत ने 1938 में लखनऊ के इसाबेला थोबर्न कॉलेज से बी.ए. किया। वो बीए और बीटी (बैचलर्स इन एजुकेशन) करने वाली पहली मुस्लिम महिला थीं। इसके बाद उन का मन लिखने में लगने लगा । जिसके बाद लोग भी उनकी कहानियों को दिलचस्पी से पढ़ ने लगे। 1939 में इनकी पहली कहानी उर्दू की प्रतिष्ठित पत्रिका साक़ी में छपी। कहानी का नाम था-फसादी।
पहली बार लिखी लेस्बियन की प्रेम कहानी
उनकी
कहानी
'लिहाफ'
जिसने
भी
पढ़ी
वो
उनका
मुरीद
हो
गया।
1942
में
लिखी
गई
इस
कहानी
में
उन्होंने
पहली
बार
भारतीय
साहित्य
के
जरिए
लेस्बियन
प्यार
को
दर्शाया
था।
इस
कहानी
में
एक
घरेलू
महिला
की
जिंदगी
के
बारे
में
लिखा
गया
था।
जो
सारा
दिन
घर
और
पति
की
सेवा
करती
थी,
लेकिन
उसके
पति
के
पास
उसके
लिए
वक्त
नहीं
था।
इसी
वजह
से
महिला
अपनी
नौकरानी
के
करीब
आ
गई,
हालांकि
इस
कहानी
की
वजह
से
काफी
विदा
हुआ।
उनपर
अश्लीलता
का
आरोप
लगा
और
लाहौर
हाईकोर्ट
में
उनपर
मुकदमा
चला।
उनकी
अन्य
कहानियों
में
चोटें,
छुई-मुई,
एक
बात,
कलियां,
एक
रात,
शैतान
,
टेढ़ी
लकीर,
जिद्दी,
दिल
की
दुनिया,
मासूमा,
जंगली
कबूतर,
अजीब
आदमी
काफी
मशहूर
हुईं।