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क्या फिर से पैदा होने वाला है बिजली संकट ? जानिए कोयले की किल्लत में रेलवे की 'भूमिका'

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नई दिल्ली, 24 जनवरी: देश के कुछ बिजली संयंत्रों में फिर से कोयले की किल्लत शुरू हो गई है। हालांकि, सितंबर-अक्टूबर के मुकाबले इस बार का संकट कुछ अलग है, जिसमें कोयले के उत्पादन में कोई कमी नहीं हुई है। बल्कि, कोयला के खदानों से दूर-दराज के संयंत्रों तक उसे पहुंचाने में बाधा आ रही है। इसकी वजह है इंडियन रेलवे के विभिन्न जोन की नीतियां, जो अपने आंकड़े दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं और दूर-दराज के संयंत्रों तक समय पर कोयला पहुंचने में दिक्कत आ रही है। हालात को बिगड़ता देख ऊर्जा मंत्रालय ने रेलवे को इस समस्या का समाधान तलाशने के लिए लिखा भी है, लेकिन कुछ बिजली संयंत्रों के सामने यूनिट बंद करने की नौबत आ चुकी है।

क्या फिर से पैदा होने वाला है बिजली संकट ?

क्या फिर से पैदा होने वाला है बिजली संकट ?

पिछले साल कुछ महीने देश में बिजली संकट को लेकर बहुत ही भयावह स्थिति पैदा हो गई थी, लेकिन समय रहते स्थिति संभाल ली गई। तब बिजली संकट के लिए कोयले के उत्पादन घटने को जिम्मेदार माना गया था और जिसकी वजह अत्यधिक बारिश और कोविड-19 की वजह से उत्पादन में आई कमी सामने आई थी। यहां तक की कोयले का उत्पादन घटने से चीन में भी बहुत बड़ी छटपटाहट मची हुई थी और कितने ही उद्योग-धंधे बिजली संकट की वजह से बंद होने लगे थे। इधर देश में एक बार फिर से बिजली संकट मंडराने लगा है, खासकर उन बिजली उत्पादन केंद्रों की वजह से जो कोयले के खदानों से दूर हैं।

रेलवे के रेक आवंटन में हो रही है दिक्कत

रेलवे के रेक आवंटन में हो रही है दिक्कत

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बार का संकट सितंबर-अक्टूबर में आए संकट से अलग है। क्योंकि, इस बार जो पॉवर जेनरेशन स्टेशन कोयला खदानों से दूर हैं, उन्हें कोयले की सप्लाई में भेदभाव का सामना कर रहा है। यह भेदभाव भारती रेलवे की ओर से रेक की उपलब्धता को लेकर हो रही है, क्योंकि विभिन्न रेलवे जोन डिस्पैच के आंकड़े ऊंचा दिखाने की होड़ में जुटे हुए हैं। पिछले हफ्ते इसका पहला शिकार महाराष्ट्र का अमरावती पॉवर प्लांट हो गया, जिसे रतन इंडिया पॉवर लिमिटेड चलाता है और कोयल की कमी के चलते उसे अपनी एक यूनिट बंद करनी पड़ गई है। कोयले की किल्लत का कारण ये रहा कि भारतीय रेलवे के साउथ ईस्ट सेंट्रल जोन (एसईसीआर) ने उसके लिए पर्याप्त रेक आवंटित नहीं किए।

ऊर्जा मंत्रालय ने रेलवे से समाधान पर मांगी जानकारी

ऊर्जा मंत्रालय ने रेलवे से समाधान पर मांगी जानकारी

सरकारी सूत्रों के अनुसार कई निजी पावर प्लांट के इसी तरह की हालातों का सामना करने की वजह से बेचैनी बढ़ने के बाद 17 जनवरी को ऊर्जा मंत्रालय ने एक ऑफिस मेमो जारी कर रेलवे से इसके समाधान की दिशा में की गई कार्रवाई की डिटेल मांगी है। इंडस्ट्री सूत्रों का कहना है कि एल एंड टी के न्हावा और वेदांता के तलवंडी साबो बिजली संयंत्रों को भी इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, इन संयंत्रों से अखबार की उस समय बात नहीं हो सकी थी।

'रेलवे के जोन में ढुलाई के आंकड़े बढ़ाने की होड़'

'रेलवे के जोन में ढुलाई के आंकड़े बढ़ाने की होड़'

सरकार और इंडस्ट्री दोनों सूत्रों का कहना है कि समस्या इस वजह से है कि रेलवे जोन सिर्फ अपने ही दायरे के अंदर आने वाले संयंत्रों और खदानों पर फोकस कर रहे हैं। यूं समझ लीजिए कि वे नहीं चाहते कि उनके रेक कई और जोन में जाएं। रेलवे के जोन अपने गृह जोन से बाहर के दूरस्थ बिजली प्लांट को बाहरी मान रहे हैं। इंडस्ट्री से जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि 'जोन के अंदर नजदीकी दायरे में रेक से ढुलाई की वजह से इसका आंकड़ा बढ़ जाता है। इससे उस जोन को अपनी लोडिंग और डिस्पैचिंग के आंकड़े को बेहतर करने का मौका मिल जाता है। इसका दूसरा कारण भी है। रेलवे के जोन पर डिस्पैच के ज्यादा आंकड़े दिखाने का दबाव है।' यानी छोटी दूरी में ही कोयले का रेक भेजने से उन्हें इस आंकड़े को बढ़ाने में सहायता मिलती है, जबकि दूर के बिजली संयंत्रों में कोयला भेजने पर यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता है।

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बिजली संयंत्रों को 10% कोयला आयात करने को कहा

बिजली संयंत्रों को 10% कोयला आयात करने को कहा

पिछले साल दिसंबर में ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली संयंत्रों से कहा था कि अपनी जरूरत का 10% कोयला आयात करें, ताकि पिछले साल जैसा संकट ना झेलना पड़े। गौरतलब है कि तब मानसून की वजह से कोयले का उत्पादन घट गया था, जबकि कोविड के बाद अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने से खपत बढ़ने लगी थी। इसके चलते कई बिजली घरों के पास बहुत ही कम दिन का कोयला स्टॉक बच गया था और इसको लेकर विभिन्न सरकारों के बीच जमकर राजनीति भी शुरू हो गई थी।

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English summary
Due to the competition to improve the data of coal transportation in various zones of Indian Railways, the situation of power crisis is being created
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