क्या महाराष्ट्र में बाकी है कुछ सियासी ड्रामा, फ्लोर टेस्ट से पहले शिवसेना में दिखा डर?
बेंगलुरू। महाराष्ट्र में पिछले एक महीने से जारी सियासी ड्रामा उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद के शपथ लेने के बाद थमता नजर आ रहा था, लेकिन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में बीजेपी के खिलाफ जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया, उससे जाहिर होता है कि शिवसेना के नेतृत्व में महाराष्ट्र में गठित एनसीपी और कांग्रेस की साझा सरकार फ्लोर टेस्ट से पहले किसी नए सियासी ड्रामे से आशंकित हैं।
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हालांकि यह शिवसेना और साझा सरकार की महज एक आशंका ही साबित हो सकती है, क्योंकि बीजेपी विधायक दल के नेता चुने गए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया था कि बीजेपी अब विपक्ष में बैठेगी और एक आक्रामक विपक्ष की भूमिका निभाएगी और पूरी पार्टी अब झारखंड विधानसभा चुनाव में लग गई है।
गौरतलब है शनिवार दोपहर 2 बजे महा विकास अगाड़ी मोर्चा सरकार का फ्लोर टेस्ट होना है और अगर शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत की मानें तो फ्लोर टेस्ट में महा विकास अघाड़ी मोर्चा 170 से अधिक ट्रस्ट वोट हासिल करेगी। हालांकि तीन दलों वाले महा विकास अघाड़ी मोर्च वाली सरकार के सीटों की संख्या का जोड़ 56+54+44=154 ही बैठता है।
आज
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) November 30, 2019
बहुमत दिन..
170+++++
हमको मिटा सके ये जमाने में दम नहीं,
हमसे जमाना खुद है... जमाने से हम नहीं
संजय राउत द्वारा ट्वीट के मुताबिक उनके पास 170+ की संख्या है। राउत ने ट्वीट में किन और 16 विधायकों के समर्थन की बात कर रहे हैं यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है, क्योंकि उन्होंने ट्वीट में इसका खुलासा नहीं किया है। वैसे, शिवसेना नेतृत्व वाली नवगठित सरकार 154 ट्रस्ट वोट के साथ भ फ्लोर ट्रस्ट जीत जाएगी, लेकिन संजय राउत का ट्वीट दर्शात है कि नवगठित सरकार को फ्लोर टेस्ट से जरूर डर लग रहा है, जिसे सामान्य शब्दों नर्वसनेस बुलाया जाता है।
हालांकि महाराष्ट्र विधानसभा में आज होने वाले फ्लोर टेस्ट में सियासी ड्रामे की गुंजाइश कम ही दीखती है, क्योंकि तीनों दलों के पास पूर्ण बहुमत का आंकड़ा पहले ही मौजूद है और सरकार गठन के बाद विधायकों के क्रॉस वोटिंग की संभावना कम हो गई है।
चूंकि राजनीति संभावनाओं खेल है इसलिए सही-सही का अनुमान नहीं किया जा सकता है। चूंकि बीजेपी ने महा विकास अघाड़ी मोर्च सरकार के गठन से पहले एक सियासी ड्रामा रचकर अपनी भद्द पिटवा चुकी है, इसलिए लगता नहीं है कि बीजेपी अब और किसी सियासी खींचतान का हिस्सा बनना पसंद करेगी।
वैसे, उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह के बाद शिवसेना के मुखपत्र में छपे संपादकीय में जिस तरह से महाराष्ट्र बीजेपी को टारगेट किया गया है और उन्हें कोई राजनीतिक साजिश रचने की कोशिश नहीं करने की चुनौती दी गई है, उससे लगता है कि शिवसेना और सहयोगी दलों में अभी भी यह डर बैठा हुआ है कि फ्लोर टेस्ट में बीजेपी कुछ गड़बड़ कर सकती है।
शायद यही कारण है कि संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की गई है और उद्धव और मोदी को भाई-भाई पुकारा गया। मनोविज्ञान में इसे बैकअप प्लानिंग कहते हैं, जो इंसान तभी करता है कहीं न कहीं उसमें आत्मविश्वास की कमी होती है।
शिवसेना के संपादकीय में दिखा डर पानी का बुलबुला साबित हो सकता है, क्योंकि बीजेपी ऐसा तिकड़म करने से बचेगी, क्योंकि अजित पवार एपीसोड के बाद बीजेपी की छवि को गहरा धक्का पहुंचा है। इसलिए बीजेपी चाहेगी कि परस्पर विरोधी विचारों वाली पार्टी अपनी ही मौत मरे।
बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि सेक्युरिज्म लंबरदार पार्टी कांग्रेस और कट्टर हिंदू की पहचान वाली शिवसेना की सरकार की गाड़ी ज्यादा दूर तक का सफर एक साथ तय नहीं कर पाएगी। इसलिए बीजेपी ऐसी सरकार को गिराने में ऊर्जा बर्बाद करने से बचेगी। यही कारण था कि जब महाराष्ट्र में नई सरकार गठन का रास्ता साफ हो गया तो बीजेपी झारखंड विधानसभा चुनाव में व्यस्त हो गई।
उल्लेखनीय है महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के सरकार के शपथ ग्रहण के साथ कांग्रेस ने डिप्टी सीएम के लिए अपनी दावेदारी ठोंककर झगड़ा शुरू कर दिया है। महज सत्ता के लिए साझा सरकार से जुड़ी कांग्रेस ने डिप्टी सीएम के साथ ही कई और मंत्री पद की डिमांड रख दी है। माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी साझा सरकार में कांग्रेस और एनसीपी हावी हैं।
इसकी झलक साझा सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में दिखा, जहां शिवसेना की असहमित के बाद भी महाराष्ट्र में मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण को रखा गया है। इसके अलावा नाथूराम गोडसे को लेकर शिवसेना के स्टैंड को भी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा मुंह चिढ़ाने की कोशिश की गई है।
यह स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की साझा सरकार में सदन में फ्लोर टेस्ट साबित करने के बाद रस्साकसी बढ़ेगी और परस्पर विरोधी दल अपने विचारों के लिए परस्पर विरोधी बयान देंगे। राहुल गांधी के बीजेपी सांसद साध्वा प्रज्ञा ठाकुर को आतंकी कहना और विवाद के बाद भी उस पर अड़े रहना साबित करता है कि साझा सरकार के लिए आगे का रास्ता बहुत ही पथरीला होने वाला है, जिस पर चल पाना एक कट्टर हिंदूवादी वाले शिवेसना के मुश्किल होगा।
लोकसभा में सासंद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर द्वारा नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहना राहुल गांधी को इतना नागवार गुजरा कि उन्होने उन्हें आतंकवादी करार दे दिया , लेकिन राहुल गांधी यह भूल गए हैं कि महाराष्ट्र में चौथे नंबर रही कांग्रेस पार्टी जिसके नेतृत्व में सरकार में शामिल हुई है उसके सुप्रीमो भी नाथूराम गोडसे को देशभक्त मानती हैं।
फिलहाल, फ्लोर टेस्ट का नतीजा 2 बजे के बाद ही आएगा और पूरी संभावना है कि महा विकास अघाड़ी मोर्चा फ्लोर टेस्ट जीत जाएगी, लेकिन फ्लोर टेस्ट के बाद साझा सरकार का असली इम्तिहान शुरू होगा। क्योंकि साझा सरकार की चलाने की चाभी एनसीपी चीफ शरद पवार के हाथ में हैं।
चूंकि उद्धव ठाकरे कुशल रणनीतिककार हो सकते हैं, लेकिन सरकार चलाने का अनुभव उनके पास बिल्कुल नहीं हैं। मुंबई मेट्रो आरे कार शेड निर्माण प्रोजेक्ट पर रोक को एक ऐसा ही कदम माना जा रहा है, जिसे पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है जबकि पूर्ववर्ती बीजेपी-शिवसेना साझा सरकार के दौरान ही यह काम शुरू हुआ था।
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