लालू के कुनबे में भी समाजवादी पार्टी जैसी फूट के बन रहे हैं आसार
नई दिल्ली। देश में 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां धीरे-धीरे तेज हो रही हैं। बीजेपी को जहां पूरी उम्मीद है कि वो एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2019 में वापसी करेगी वहीं विपक्ष इस कोशिश में हैं कि वो एकजुट होकर बीजेपी को 2019 में मात दे और सत्ता से बेदखल करे। इसी को लेकर विपक्षी राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ देश में महागठबंधन बनाने की बात कर रहे हैं। लेकिन विपक्ष के इस महागठबंधन का प्रारुप क्या होगा ये अभी तय नहीं हैं क्योंकि अलग-अलग राज्यों में राजनीतिक दलों की अपनी-अपनी मजबूरियां हैं ऐसे में क्या वो एक मंच पर आएंगे इसे लेकर बड़ा सवाल है। देश के दो बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार इस महागठबंधन में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उत्तर प्रदेश में तो गोरखपुर, कैराना और नूरपुर के उपचुनाव में जिस तरह से विपक्ष ने बीजेपी को मात दी उससे एक बड़ी उम्मीद उसके अंदर जागी है। लेकिन इन दोनों राज्यों में जो दो बड़े राजनीतिक दल हैं वो अपने अंदर की ही राजनीति को संभाल पाने में फिलहाल नाकाम दिख रहे हैं। खबर है कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और वो विभाजन की ओर बढ़ रही है।
दो बड़े राज्यों की दो महत्वपूर्ण राजनीतिक दल समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल की स्थिति ठीक 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ठीक नहीं लग रही है। यही वो दो राजनीतिक दल हैं जो इन राज्यों में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन की धूरी बन सकते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में जिस तरह से समाजवादी पार्टी के कुनबे से शिवपाल यादव अलग हुए हैं उसी तरह से अब बिहार में आरजेडी के अंदर चीजें ठीक नहीं चल रही हैं।
तेज प्रताप को ससुराल का सहारा
बिहार
के
एक
बहुत
ही
वरिष्ठ
नेता
ने
कहा
है
कि
राज्य
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
लालू
प्रसाद
यादव
के
बड़े
बेटे
तेज
प्रताप
कोई
बड़ा
कदम
उठा
सकते
हैं।
पार्टी
चलाने
और
राजनीति
में
पकड़
को
लेकर
लालू
को
अपने
छोटे
बेटे
और
राज्य
के
पूर्व
पूर्व
उपमुख्यमंत्री
तेजस्वी
यादव
पर
ज्यादा
भरोसा
है
और
वो
जिस
तरह
से
तेजसवी
को
आगे
बढ़ा
रहे
हैं
उससे
ये
साफ
झलकता
है।
लेकिन
उनके
बड़े
बेटे
तेज
प्रताप
यादव
की
भी
राजनीतिक
महत्वकांक्षाएं
हैं
और
वो
अपना
अलग
शक्ति
प्रदर्शन
करने
की
कोशिश
में
हैं।
लालू
प्रसाद
ने
तेजस्वी
यादव
को
पार्टी
का
नियंत्रण
दिया
है,
लेकिन
तेज
प्रताप
भी
उभरने
के
लिए
कड़ी
मेहनत
कर
रहे
हैं।
सूत्रों
ने
कहा
कि
एक
राजनीतिक
परिवार
में
हुई
तेज
प्रताप
की
शादी
उन्हें
उन
पर
अपने
पिता
के
राजनीतिक
प्रभाव
से
बाहर
निकलाने
में
मदद
कर
रही
है।
तेज
प्रताप
अब
अपनी
राजनीतिक
क्षमता
दिखाने
की
कोशिश
में
लगे
हैं।
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यही है सही मौका
सूत्रों का कहना है कि इस वक्त जब देश भर में राजनीतिक तौर पर कई नए समीकरणों के बनने बिगड़ने की संभावना है तो ऐसे में तेज प्रताप के सलाहकारों को लगता है कि ये राजनीतिक क्षमता दिखाने का सही मौका है। अभी हालात ऐसे हैं कि कौन किस के साथ जाएगा, किसे क्या मिलेगा, कौन मजबूत होगा, कौन कमजोर ये कोई नहीं कह सकता है। इसलिए अगर तेज प्रताप को उभरना है तो उन्हें अभी कोई बड़ा कदम उठाना होगा और अगर पार्टी में उनकी बात नहीं मानी जाती है तो वो निश्चित तौर पर ये तय करेंगे कि आने वाले वक्त में उन्हें खुद बिहार में किस तरह से राजनीति करनी है।
कुछ तो है जो ठीक नहीं
अभी हाल ही में पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में भी तेज प्रताप शामिल नहीं हुए थे। ये बैठक लोकसभा चुनावों पर चर्चा को लकेर ही हुइ थी जिसमें पार्टी के तमाम बड़े पधाधिकारी, सांसद, विधायक और जिलाध्यक्ष शामिल हुए थे लेकिन तेज घर पर ही मौजूद होने के बावजूद इसमें नहीं गए। हालंकि बाद में तेज प्रताप यादव ने परिवार में विवाद की खबरों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि उन्होंने शंखनाद करके घोषणा की थी कि तेजस्वी यादव उनके भावी मुख्यमंत्री हैं और वो अपने इस बयान पर आज भी कायम हैं और विरोधी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाएंगे। लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्र ये स्वीकार करते हैं कि आरजेडी में चीजें ठीक नहीं चल रही हैं।
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