क्या नीतीश की पार्टी में बढ़ रही है मोदी समर्थकों की तादाद ?
नई दिल्ली। नीतीश के विधायक अमरनाथ गामी ने आखिर क्यों पीएम नरेन्द्र मोदी को बिहार में चुनावी जीत का रहनुमा बताया है ? क्या अब नीतीश की पार्टी में भी मोदी समर्थकों की तादद बढ़ रही है ? अगर जदयू के विधायक ही मोदी को बिहार में सबसे बड़ा चुनावी चेहरा बताएंगे तो नीतीश का क्या होगा ? क्या जदयू के विधायकों को यह महसूस हो रहा है कि मोदी के दम पर भाजपा बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनने वाली है ? शुक्रवार को ही लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने नरेन्द्र मोदी को असली लीडर करार दिया है। जदयू के कई विधायक भी मानते हैं कि धारा 370 को हटाने का विरोध पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित होगा। कश्मीर से धारा 370 को हटा कर भाजपा ने पूरे देश में संदेश दिया है कि केवल मोदी ही बड़े और कड़े फैसले ले सकते हैं। ये सच है कि बिहार विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा लेकिन धारा 370 भी एक बड़ा फैक्टर होगा। बदली हुई परिस्थितियों में जदयू के कई नेता भाजपा को बेहतर विकल्प के रूप में देख रहे हैं। जदयू विधायक अमरनाथ गामी भी इनमें एक हैं।
भाजपा बनेगी सबसे बड़ी पार्टी !
भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव ने गुरुवार को पटना में पार्टी के सदस्यता अभियान की समीक्षा की। इस बैठक में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को टास्क दिया गया है कि वे आम लोगों के बीच धारा 370 मसले को मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करें। चुनाव के लिए ऐसी तैयारी का निर्देश दिया गया है कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरे। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में धारा 370 का मुद्दा भाजपा का ट्रंप कार्ड होगा। नीतीश के नारों से बेपरवाह भाजपा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनने के लिए बिसात बिछा चुकी है। तीन तलाक कानून, धारा 370 का खात्मा और अब मिशन चंद्रयान ने मोदी की शोहरत को बुलंदियों पर पहुंचा दिया है। दूसरी तरफ धारा 370 के मुद्दे पर जदयू के गैरअल्पसंख्यक विधायक और नेता अपनी पार्टी के स्टैंड से इत्तेफाक नहीं रखते। वे भविष्य में होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित हैं।
अमरनाथ भाजपा से आये हैं जदयू में
जब चुनाव नजदीक आता है तो कई नेता नफा-नुकसान का आकलन कर दल-बदल की जमीन तैयार करने लगते हैं। अमरनाथ गामी पहले भाजपा के ही विधायक थे। लेकिन 2012 में उनका बिहार भाजपा के दिग्गज नेता सुशील मोदी से विवाद हो गया। 2013 में उन्हें भाजपा ने निलंबित कर दिया। 2015 में नीतीश लालू के साथ मिल कर चुनाव जीतने की तैयारी में थे। उस समय नीतीश की भाजपा से कट्टर दुश्मनी चल रही थी। चुनाव से पहले अमरनाथ गामी की बेटी की शादी थी। नीतीश इस निलंबित भाजपा विधायक की बेटी की शादी में शामिल होने उनके घर पहुंच गये। अमरनाथ गामी भाजपा से जदयू में आ गये। 2015 में दरभंगा के हायाघाट से ही वे जदयू के विधायक चुने गये। अमरनाथ गामी जिस उम्मीद से जदयू में गये थे वे पूरी नहीं हुई। नीतीश ने उन्हें मंत्री नहीं बनाया। विधानसभा में प्रश्न एवं ध्यानाकरर्ण समिति के अध्यक्ष पद से भी उन्हें हटा दिया गया। तब से वे नीतीश के खिलाफ हैं। उन्होंने नीतीश के नशाबंदी अभियान की खुलकर आलोचना की है। अब वे नीतीश को चोट पहुंचाने के लिए ही नरेन्द्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं। वे संघ के पुराने स्वयंसेवक रहे हैं। एक बार फिर भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
क्या जदयू के कई नेता पार्टी छोड़ेंगे ?
चुनाव में अभी एक साल है। चुनाव तक जदयू और भाजपा को कई अग्निपरीक्षा गुजरना होगा। सीट बंटवारा और सीटों की पहचान सबसे बड़ी चुनौती होगी। जदयू में इस बात का आकलन चल रहा है कि पार्टी को अकेले चुनाव में जाना चाहिए या नहीं। नीतीश को अपने नाम और काम पर बहुत भरोसा है। दूसरी तरफ जानकारों का कहना है कि 2010 और 2015 के मुकाबले नीतीश का आभामंडल चमक खो रहा है। भाजपा पर आक्रामक रहने वाले नीतीश अब नरम पड़ रहे हैं। नीतीश भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश तो करते हैं लेकिन कामयाब नहीं हो पाते। दूसरी तरफ भाजपा को अब पहले की तरह नीतीश की परवाह नहीं रही। अगर किसी कारण से दोनों का गठबंधन टूट जाता है तो बड़े पैमाने पर दलबदल तय है।
औरंगाबाद
में
बोले
पीएम
मोदी-
उज्ज्वला
योजना
के
तहत
8
करोड़
फ्री
गैस
कनेक्शन
का
वादा
आज
पूरा
हुआ