क्या वाकई किसान विरोधी है मोदी सरकार, जानिए, पिछले 6 वर्षों का लेखा-जोखा?
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानून 2020 को लेकर विशेषकर हरियाणा और पंजाब के किसानों का जारी आंदोलन और मोदी सरकार पर किसान विरोधी होने के विपक्ष के आरोपों के बीच एक मौजू हो चला है कि क्या वाकई मोदी सरकार किसान विरोधी है। इसलिए मोदी सरकार के पिछले 6 वर्षों की पड़ताल करना जरूरी हो गया है। यह सवाल इसलिए भी अधिक गंभीर है कि कोई भी सत्तारूढ़ सरकार किसान विरोधी होकर सत्ता में दोबारा वापसी कैसे कर सकती है, जहां सर्वाधिक संख्या में किसान हैं। इन्हीं मुद्दों की पड़ताल के लिए मोदी सरकार में पिछले 6 वर्षों के कार्यकाल में किसान और कृषि के लिए किए कार्यों को लेखा-जोखा तैयार करना जरूरी हो गया हैं।
कृषि कानून 2020 को निरस्त करने पर अड़े किसानों की मंशा पर उठ रहे हैं सवाल
गौरतलब है पहले और दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार द्वारा कृषि सुधार और किसानों के पक्ष में अनगिनत काम किए गए हैं, जिनमें सर्वप्रथम जनधन खाता का लिया जा सकता है, जिसके जरिए किसानों समेत सभी जरूरतमंदों के बैंक खाते खोले गए। इसके अलावा उन्नत भारत अभियान, किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, नीम कोटेड यूरिया, ENam की सुविधा, सॉइल हेल्थ कार्ड, 37 मेगा फूड पार्क्स, 297 कोल्ड चैन प्रोजेक्ट्स, आयुष्मान भारत मेडिकल बीमा, ग्राम आवास योजना, ग्राम सड़क योजना, पीएम कुसम योजना, पर ड्रॉप मोर क्रॉप, किसान पेंशन योजना, पंरपरागत कृषि विकास योजना, वन नेशन वन रॉशन कार्ड, स्वामित्व प्रॉपर्टी कार्ड स्कीम और बिचौलिया मुक्त नया कृषि कानून जैसे काम हुए हैं।
कृषि कानून 2020: किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाता है
मोदी सरकार ने संसद में दोनों सदनों में कृषि कानून से जुड़े कुल जमा तीन विधेयक पास करवाए थे। पहला विधयेक, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधयेक 2020। इसके अनुसार किसान अपनी फसल अपने मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकते हैं। य़हां पर कोई भी बिचौलिया दखलंदाजी नहीं कर सकता है। य़ानी एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को किसान बेच-खरीद सकते हैं। फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, किसान फसल का ऑनलाइन भी बेच सकते हैं। दूसरा विधेयक, मूल्या आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण व संरक्षण) अनुबध विधेयक 2020। इसके अनुसार देशबर में कांट्रैक्ट फॉर्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्वाव है। फसल खराब होने पर कांट्रैक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी। किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे। इससे उम्मीद जताई गई है कि किसानों की आय बढ़ेगी। तीसरा विधेयक, आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020। आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल, आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। अति आवश्यक होने पर स्टॉक लिमिट लगाया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा शामिल है। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।
स्वामित्व-प्रॉपर्टी कार्ड स्कीमः ग्रामीण की जमीनों का सीमांकन हुआ
इस योजना का मकसद है कि ग्रामीण इलाकों की जमीनों का सीमांकन ड्रोन सर्वे टेक्नोलॉजी के जरिए हो। इससे ग्रामीण इलाकों में मौजूद घरों के मालिकों के मालिकाना हक का एक रिकॉर्ड बनेगा, जिसका इस्तेमाल बैंकों से कर्ज लेने के अलावा अन्य कामों में भी कर सकते हैं। अक्टूबर महीने में स्वामित्व' योजना के तहत बने प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर के करीब एक लाख प्रॉपर्टी मालिकों को प्रॉपर्टी कार्ड्स बांटे। फिलहाल जिनके कार्ड बन गए हैं, उनमें उत्तर प्रदेश के 346 गांव, हरियाणा के 221 गांव, महाराष्ट्र के 100, उत्तराखंड के 50 और मध्य प्रदेश के 44 गांव शामिल हैं।
वन नेशन-वन रॉशन कार्ड स्कीमः देश की 83 % आबादी स्कीम से जुड़ गई
मोदी सरकार ने मई, 2020 में देशभर में वन नेशन वन राशन कार्ड योजना लागू करने की घोषणा की। वित्त मंत्री के ऐलान के बाद भारत के 23 राज्य One Nation One Ration Card स्कीम से जुड़ गए हैं। इस योजना से सार्वजनिक वितरण से जुड़ी 83 फीसदी आबादी अब वन नेशनल वन राशन कार्ड स्कीम से जुड़ जाएगी। देश के 23 राज्यों में मौजूद 67 करोड़ राशनकार्ड धारक, जो कि कुल PDS आबादी का 83 फीसदी है वो इस स्कीम से जुड़ जाएंगे। अगस्त, 2020 तक 67 करोड़ लोग नेशनल पोर्टेबिलिटी के तहत आ गए। सरकार का लक्ष्य मार्च 2021 से पहले 100 फीसदी करने का है।
पंरपरागत कृषि विकास योजना (PKVY): किसानों को 50,000 रु.की मदद
वर्ष 2015 में मोदी सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना को लॉन्च किया था। इस स्कीम को खास ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। 2016 से लेकर 2017 के बजट के दौरान सरकार ने इस योजना के लिए 400 करोड़ का बजट पास किया था। इस योजना के तहत किसानों को ऑर्गेनिक खेती की जानकारी दी गई। साथ ही, सरकार किसानों को 50,000 रुपए की वित्तीय मदद भी दी जाती ह। पंरपरागत कृषि विकास योजना के अंदर किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस स्कीम के जरिए किसान जैविक बीज, फसलों की कटाई और स्थानीय बाजारों में पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
किसान पेंशन योजनाः गरीब किसानों को 3000 रुपए पेंशन देगी सरकार
2019 में शुरू हुए इस योजना के तहत किसानों, आम लोगों और गरीब को 3000 रुपए की मासिक पेंशन देने की मंजूरी दी गई। किसान पेंशन योजना के तहत लाभ पाने के लिए किसानों को हर महीने औसतन 100 रुपए का योगदान करना होगा। इस योजना को चुनने वाले किसानों को 60 साल की आयु पूरा होने पर हर महीने 3,000 रुपये पेंशन मिलेगी। इस कोष का प्रबंधन भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) करेगा। इससे सरकारी खजाने पर 10,774.5 करोड़ सालाना बोझ पड़ेगा।
पर ड्रॉप मोर क्रॉपः किसानों को 4000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के एक घटक 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' कार्यक्रम का लक्ष्य सूक्ष्म सिंचाई तकनीक जैसे ड्रिप और स्प्रिंक्लर इरिगेशन सिस्टम के माध्यम से खेतों में कम पानी का इस्तेमाल कर अधिक उपज लेना है। कम पानी का इस्तेमाल कर ज्यादा पैदावार प्राप्त करने की योजना 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' के तहत केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्य के किसानों को 4000 करोड़ रुपए आवंटित किए। सिंचाई की इस तकनीक से न सिर्फ पानी की बचत होती है,बल्कि उर्वरकों की खपत कम होने के साथ-साथ मजदूरी का खर्च भी कम होता है, जिससे खेती की लागत घटती है और पैदावार बढ़ती है।
प्रधानमंत्री कुसुम योजनाः सरकार देती है 60 फीसदी तक अनुदान
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (प्रधानमंत्री-कुसुम) योजना को 2020 के तहत किसान अपनी जमीन पर सोलर पंप और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के तहत देशभर में सभी बिजली व डीजल से चलाए जाने वाले पंप को सोलर उर्जा से चलाया जा सके। यही नहीं, कृषि पंपों के सौरीकरण के लिए सरकार की ओर से 60 फीसदी तक अनुदान भी दिया जाता है। इस योजना को राज्य सरकार के विभागों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है जिसमें किसानों को केवल बाकी का 40 फीसदी ही विभाग को जमा करवाना होता है।
प्रधानमंत्री आवास योजनाः 1 करोड़ गरीबों के घर निर्माण की योजना बनाई
इस योजना का शुभारंभ जून, 2015 को हुआ। इसका उद्देश्य देश के सभी गरीबों को साल 2022 तक अपना खुद का आवास मुहैया कराना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 1 करोड़ घरों के निर्माण की योजना बनाई। प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को अपनी छत दिलाना है। इस योजना के तहत कमजोर वर्ग को ब्याज पर सब्सिडी दी जाती है। इसके साथ ही उन्हें लोन चुकाने के लिए 20 वर्ष तक का लंबा वक्त मिलता है, ताकि उन पर कर्ज को बोझ न पड़े। पहले इस योजना को गरीब तबके तक सीमित रखा गया, लेकिन बाद में सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना को शहरी क्षेत्रों के गरीब और मध्यम वर्ग को भी शामिल कर लिया।
आयुष्मान भारत योजना (ABY): सालाना 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा
मोदीकेयर के नाम से मशहूर मोदी सरकार आयुष्मान भारत योजना वास्तव में देश के गरीब लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है। PMJAY के तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सालाना 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा मिल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य' योजना घोषणा करते हुए इसे पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर से देशभर में लागू किया था। सरकार ABY के माध्यम से गरीब, उपेक्षित परिवार और शहरी गरीब लोगों के परिवारों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना चाहती है।
सॉइल हेल्थ कार्ड योजनाः 14 करोड़ किसानों को कार्ड देने का है लक्ष्य
मोदी सरकार ने 17 फरवरी 2019 को किसानों से संबंधित सॉइल हेल्थ कार्ड योजना (Soil Health Card Yojana) की शुरुआत की। इस योजना के तहत किसानों को उनकी मिट्टी का स्वास्थ्य कार्ड मिलेगा, जिसमें किसानों की जमीन की मिट्टी के बारे में जानकारी होगी कि मिट्टी किस प्रकार की है और अधिक लाभ के लिए किसान इसमें कौन सी फसल को पैदा कर सकते हैं। यह योजना उन किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो किसान अशिक्षित हैं। सरकार का तीन साल के अंदर पूरे भारत में लगभग 14 करोड़ किसानों को यह कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।
ई-नाम सुविधाः इलेक्ट्रॉनिक मंडी प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय कृषि बाजार
मोदी सरकार ने 2016 में किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मंडी प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम या e-nam) योजना की शुरुआत की थी। e-nam के जरिए देशभर की मंडियों को जोड़ने का काम शुरू हो गया। e-nam के जरिए देशभर की कृषि उपज मंडियों को एक मंच पर लाकर किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। e-nam प्लेटफॉर्म से जिन 200 नई मंडियों को जोड़ा गया है उनमें, 94 राजस्थान की, 27 तमिलनाडु की, 25-25 गुजरात और उत्तर प्रदेश की, 16 ओडीशा की, 11 आंध्र प्रदेश की और दो मंडियां कर्नाटक की हैं। देशभर में 415 नई मंडियों को एकीकृत करने या जोड़ने का यह पहला प्रयास है।
नीम कोटेड यूरियाः खेतों में अनाजों की पैदावार में बढ़ोत्तरी हुई
साल 2014 मोदी सरकार के इस फैसले से यूरिया की कालाबाजारी पर लगाम लगी है। नीम कोटेड यूरिया के चलते खाद की बिक्री में न केवल कमी देखने को मिली है, बल्कि अनाजों की पैदावार में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यूरिया के साथ ही डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम और सल्फर की बिक्री में भी गिरावट देखने को मिली है। प्रत्येक टन यूरिया की 400 एमएल नीम तैल से कोटिंग की जाती है। इससे यूरिया का गैर कृषि कार्यों में उपयोग कम हो गया है। यूरिया को प्लाईवुड को बाइंड करने और कपड़ों की साइजिंग के काम में भी लिया जाता है। इसके अलावा यूरिया का उपयोग नकली दूध बनाने में भी किया जाता था, लेकिन नीम कोटिंग के चलते इस पर लगाम लग गई।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफरः लाभार्थी के खाते में पैसा ट्रांसफर योजना
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी तरह की धोखाधड़ी की कोई गुंजाईश नहीं रहती है। इसके जरिए सरकार जब लाभार्थी के खाते में सीधे तौर पर पैसे ट्रांसफर करती है, तो इसमें बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रहती है। इस प्रकार सरकारी योजना का पूरा फायदा लाभार्थी को मिल जाता है। आपको याद होगा महामारी के दौरान देशभर में पहले चरण के लॉकडाउन के तुरंत बाद ही केंद्र सरकार ने 1.7 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया था और इस राहत पैकेज में गरीब, मजदूर, वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग, विधवाओं समेत जरूरतमंदों को सहायता राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (Direct Benefit Transfer) के तहत दी गई थी। वर्तमान में सरकार जब किसी भी योजना के तहत सीधे तौर पर लाभार्थियों के खाते में पैसे ट्रांसफर करती है तो उसे ही 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर' कहा जाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड योजनाः 2.5 करोड़ किसानों को मुहैया कराने का ऐलान
किसानों का मजबूत बनाने और उन पर कर्ज का बोझ कम करने के लिए मोदी सरकार ने 2.5 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) मुहैया कराने का ऐलान किया। इसके जरिए 2 लाख करोड़ रुपए तक की राशि दी जाती है। जून, 2020 वित्त मंत्री निर्मल सीतारमन द्वारा लांच किए जाने के 2 महीने में ही 25 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) जारी किए थे। किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम के जरिए किसानों को खेती से जुड़े काम के लिए कर्ज दिया जाता है। कार्ड के जरिए कर्ज लेना काफी सस्ता है। किसान क्रेडिट कार्ड पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम के साथ जोड़ा गया है। इसके अलावा सरकार किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के जरिए लोन लेना भी किसानों के लिए आसान कर दिया है।
जन धन योजनाः अब तक 40 करोड़ से ज्यादा खाते खुल चुके हैं
2014 में जन धन योजना की शुरूआत हुई थी। इस योजना के तहत सरकारी योजनाओं का फायदा लोगों के सीधे बैंक खाते में पहुंचता है। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत अब तक 40 करोड़ से ज्यादा खाते खुल चुके हैं। खास बात है कि आप बिना दस्तावेजों के प्रधानमंत्री जन धन स्मॉल अकाउंट खुलवा सकते हैं। सरकार जब भी किसी तरह की आर्थिक मदद करती है तो सरकार द्वारा दिया जाने वाला पैसा जन धन खाता में ही ट्रांसफर होता है। हाल ही में लॉकडाउन के दौरान सरकार ने जन धन खाता धारक वाली महिलाओं के अकाउंट में सीधे रुपए ट्रांसफर किए थे। इसके अलावा विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ भी जन धन खातों में सरकार ट्रांसफर करती है।