तो क्या रजनीकांत होंगे देश के अगले राष्ट्रपति?
देश के राष्ट्रपति के चुनाव में अब सुपरस्टार रजनीकांत रेस में आगे, भाजपा दक्षिण की राजनीति में पकड़ मजबूत करने के लिए ले सकती है फैसला
नई दिल्ली। देश के अगले राष्ट्रपति के चुनाव की तारीखें करीब आने के साथ कई ऐसे नाम खुलकर सामने आ रहे हैं जिसका किसी को अंदाजा नहीं है, लेकिन अब एक ऐसा नाम इस रेस में सामने आया है जिसपर दिल्ली से लेकर तमिलनाडु तक में बात हो रही है। सुपरस्टार रजनीकांत को लेकर इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि क्या रजनी प्रधानमंत्री मोदी की पसंद हैं।
बड़े नेता हुए रेस से बाहर
मोदी सरकार अपने औचक फैसलों के लिए जानी जाती है, कुछ इसी तरह अटल बिहारी वाजपेयी ने एपीजे अब्दुल कलाम को देश का राष्ट्रपति बनाया था तो कुछ इसी तरह माना जा रहा है कि रजनीकांत को भी देश के अगले राष्ट्रपति के तौर पर चुना जा सकता है। जिस तरह से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ बाबरी विध्वंस मामले में मुकदमा चलाने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है उसके बाद इनके नामों पर राष्ट्रपति चुनाव में लगाम लग गई है।
अमिताभ बच्चन के नाम पर भी हुई चर्चा
कुछ समय पहले मेगास्टार अमिताभ बच्चन का भी नाम चर्चा में था लेकिन पनामा पेपर लीक्स के बाद उनके नाम पर चर्चा बंद हो गई। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि ऐसी क्या वजह है कि रजनीकांत के नाम पर चर्चा चल रही है, माना जा रहा है कि मोदी सरकार प्रणव मुखर्जी को अगला कार्यकाल देने की इच्छुक नहीं है, हालांकि भाजपा बड़ा बहुमत है लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव के लिए पार्टी को एआईएडीएमके और बीजेडी का साथ चाहिए होगा।
एकमत उम्मीदवार का चयन चुनौती
रजनीकांत सभी दलों की पसंद हो सकते हैं, इसकी एक बड़ी वजह यह है कि उनका स्वभाव काफी नरम है और वह विवादों से दूर रहते हैं, वह राजनीति से हमेशा दूर रहे हैं, सिर्फ 2000 में उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे कि वह राजनीति में हाथ आजमा सकते हैं। ऐसे में अगर रजनी भाजपा के उम्मीदवार होते हैं तो विपक्षी दल इसपर विरोध नहीं जता सकते हैं, राष्ट्रपति के चुनाव में एआईएडीएमके का साथ भाजपा को चाहिए, ऐसे में जिस तरह से रजनीकांत की लोककप्रियता लोगों के बीच है वह भाजपा के पक्ष में जा सकती है। एआईडीएमके लोगों की लोकप्रियता को दरकिनार नहीं कर सकती है।
रजनी के जरिए अलग संदेश देने की कोशिश
जब भाजपा ने एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति के लिए चुना था तो उनके जरिए विज्ञान, न्युक्लियर और सेना के सशक्तिकरण का संदेश देने की कोशिश की गई थी, कलाम को देश का मिसाइल मैन माना जाता है, लिहाजा उनके नाम पर सभी दलों ने अपनी सहमति जताई थी और दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश की गई कि भारत किस दिशा में आगे बढ़ रहा है।
लेकिन रजनीकांत जोकि पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित किए जा चुके हैं, के जरिए भारत नर्म रुख दिखाने की कोशिश करेगा। रजनीकांत के जरिए भारत कला और संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश करेगा। हालांकि रजनीकांत बड़े पर्दे पर रजनीकांत कतई सॉफ्ट नहीं हैं लेकिन वास्तविक जीवन में उन्हें काफी नरम रुख वाला माना जाता है।तमिलनाडु की राजनीति पर रहेगी नजर
रजनीकांत के जरिए भाजपा तमिलनाडु की सियासत को भी साधने की कोशिश करेगी। भाजपा दक्षिण भारत में अपनी जड़ों को मजबूत करने की कोशिश में लगी है, ऐसे में उसे यकीन है कि इस कदम के बाद तमिलनाडु के अलावा अन्य प्रदेश दक्षिण भारत के राज्यों में पार्टी को इसका लाभ होगा। दक्षिण में भाजपा इस मिथक को भी तोड़ने की कोशिश करेगी कि भाजपा हिंदी भाषी पार्टी है और इसने तमिलनाडु के लिए कुछ नहीं किया है। यही नहीं एक तबका ऐसा भी है जो इस बात से खुश है कि शशिकला और टीटीवी दिनकरन को सरकार से दूर रखकर अच्छा संकेत दिया गया है, लिहाजा उन्हें यकीन है कि भाजपा उनके राज्य को भी अहमियत देगी।