क्या J&K में फिर कुछ बड़ा होने वाला है? LPG स्टॉक बढ़ाने और स्कूलों की बिल्डिंग खाली करने के आदेश
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर के लिए जारी दो आदेशों से वहां एकबार फिर से खलबली मच गई है। प्रदेश की सरकार ने आदेश दिया है कि घाटी के लिए दो महीने का एलपीजी सिलेंडर का स्टॉक कर लिया जाए और सुरक्षा बलों के लिए स्कूलों की इमारतें खाली रखी जाएं। इन आदेशों को लेकर गहमागहमी इसलिए बढ़ी हुई है, क्योंकि पाकिस्तान के भीतर बालाकोट में एयर स्ट्राइक से पहले और 5 अगस्त, 2019 को प्रदेश से आर्टिकल-370 हटाने से पहले भी केंद्र सरकार ने कुछ ऐसी ही तैयारियां की थी। इस समय पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जो तनाव का माहौल बना हुआ है और उधर पाकिस्तानी कब्जे वाली कश्मीर में पाकिस्तान की सेना जिस तरह की गतिविधियां बढ़ा रहा है, इसको लेकर इन आदेशों पर कयासों का दौर शुरू हो चुका है।
Recommended Video
क्या जम्मू-कश्मीर में फिर कुछ बड़ा होने वाला है?
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन को कश्मीर में दो महीने की एलपीजी स्टॉक सुनिश्चित करने को कहा है। हालांकि, इस आदेश में जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर किसी तरह की बाधा उत्पन्न होने की स्थिति में किल्लत न होने की दलील दी गई है। लेकिन, असल में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के सलाहकार ने एक बैठक में इस तरह के दिशा-निर्देश जारी किए थे और उसी के बाद ये आदेश दिए गए हैं। सबसे बड़ी बात है कि इस आदेश को 'मोस्ट अर्जेंट मैटर' के रूप चिन्हित किया है, जिससे इसकी अहमियत का अंदाजा लग सकता है। वैसे सवाल ये पूछे जा रहे हैं कि इस मौसम में हाइवे के बाधित होने की इतनी ज्यादा आशंका क्यों जताई जा रही है। क्योंकि, आमतौर पर तो बर्फबारी के दौरान ये हाइवे बंद होने की आशंका रहती है। वैसे जम्मू-कश्मीर सरकार फिलहाल इस तरह के आदेश को रूटीन मामला बता रही है।
स्कूलों की इमारतें खाली करने को कहा
वहीं एक और आदेश में गांदरबल के एसपी ने जिले के कुछ स्कूलों और दूसरे शिक्षण संस्थानों को अपनी बिल्डिंगें खाली रखने को कहा है। जिन स्कूलों या शिक्षण संस्थाओं को अपनी इमारतें खाली रखने को कहा गया है उनकी संख्या 16 बताई जा रही है। इस मामले में भी इन शिक्षण संस्थानों को इस साल होने वाले पवित्र अमरनाथ यात्रा का हवाला दिया गया है और स्कूलों में सीआरपीएफ या दूसरे सुरक्षा बलों के जवानों के ठहराने की बात कही गई है। गौरतलब है कि गांदरबल करगिल से सटा हुआ इलाका है और लद्दाख की ओर जाने वाली सड़क भी यहां से गुजरती है। ऐसे में यह भी आशंका जताई जा रही है कि वो सकता है कि चीन की हरकतों के मद्देनजर यहां भी तैयारियां पुख्ता की जा रही हैं।
आदेशों को लेकर बहस शुरू
इस तरह के आदेशों के सामने आने के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां भी फिर से बयानबाजी में कूद पड़ी हैं। नेशनल कांफ्रेंस के एक नेता तनवीर सादिक ने सरकार से इसपर सफाई मांगते हुए कहा है कि राज्य के लोग फिर से 'भय और बेचैनी' के साथ नहीं रह सकते। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि यह गर्मी है और इसमें बहुत ज्यादा भूस्खलन नहीं होता फिर दो महीने का स्टॉक क्यों। मैटर मोस्ट अर्जेंट क्यों है, इसपर ऊपरी स्तर से सफाई चाहिए। गांदरबल के एक निवासी ओवैसी मीर ने भी इसपर हैरानी जताते हुए कहा है कि 'हम यात्रा के इंतजामों के बारे में जानते हैं, लेकिन इस साल यात्रा ज्यादा बड़ी होने की उम्मीद नहीं है। फिर सरकार इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को क्यों तैनात कर रही है।'
|
उमर अब्दुल्ला का सरकार पर तंज
उधर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एक ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है, 'सरकारी आदेश से कश्मीर में दहशत पैदा हो रही है और दुर्भाग्य से पिछले साल के सभी झूठे और गलत भरोसे को देखने के बाद, अगर सरकार इन आदेशों पर सफाई भी देती है, हममें से शायद ही कोई उनके फेस वैल्यु पर उन आश्वासनों पर भरोसा करेगा। अलबत्ता उन्हें भी इन आदेशों के बारे में बताने की जरूरत है।' दरअसल, अब्दुल्ला के दिल से आर्टिकल-370 हटने की टीस गई नहीं है और वह उसी को लेकर तंज कस रहे हैं।
लद्दाख में जारी है चीन से तकरार
दरअसल,पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीन की सेना पिछले 6 हफ्तों से आमने-सामने हैं। कई जगहों में चीन की हरकतों के चलते टकराव की स्थिति है। गलवान घाटी में उसने अपनी दगाबाजी दिखा दी है। अब चीन एलएसी के आसपास अपनी सेना और हथियारों का और जखीरा जुटा रहा है। तैयारियां भारत की ओर से भी की जा रही हैं। उधर पड़ोसी पाकिस्तान भी मौके की फिराक में है और वह चीन के इशारे पर कभी भी कुछ नापाक हरकत कर सकता है। भारत सरकार इन हालातों से आंखें नहीं मूंद सकती। हालांकि, इस तरह के आदेश देने की असल वजह क्या है, यह तो सरकार को ही बताना होगा। (कुछ तस्वीरें प्रतीकात्मक)