क्या सैम पित्रोदा लोकसभा चुनाव 2019 में मणिशंकर अय्यर की भूमिका में हैं
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नजदीकी सैम पित्रोदा अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में हैं। इसके बाद इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा कांग्रेस के सीनियर नेता मणिशंकर अय्यर से की जा रही है। साल 2014 के चुनाव में मणिशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि एक 'चाय वाला' कभी देश का पीएम नहीं बन सकता। इस बयान के बाद कांग्रेस को चुनाव में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था और नरेंद्र मोदी ने चुनावों में इसे भुनाया था।
सैम पित्रोदा मणिशंकर अय्यर की भूमिका में?
सैम पित्रोदा ने गुरुवार को 1984 सिख दंगो को लेकर कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता है, यह एक और झूठ है, और 1984 के बारे में क्या हैं? आपने पांच साल में क्या किया इसके बारे में बताइये, यह 1984 में हुआ तो क्या हुआ (1984 hua toh hua)। आपने क्या किया है? हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांगी। इस पर उन्होंने सफाई देते कहा कि मेरे दिए गए बयान को पूरी तरह से तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा, मुझे संदर्भ से बाहर कर दिया गया क्योंकि मेरी हिंदी अच्छी नहीं है, मेरा मतलब था 'जो हुआ वो बुरा हुआ,' मैं 'बुरा' को नहीं बोल सका। उनके इस बयान को साल 2014 में मणिशंकर अय्यर के 'चाय वाला' बयान सो जोड़कर देखा जा रहा। दिल्ली और पंजाब में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सैम पित्रोदा के बयान की वजह से घिर गई है और चुनाव से पहले के नुकसान को नियंत्रित करने में लगी है।
'चाय वाला कभी पीएम नहीं बन सकता'
लोकसभा चुनाव 2014 से पहले अय्यर ने जनवरी 2014 में एआईसीसी की बैठक के मौके पर कहा था कि मैं आपसे वादा करता हूं कि नरेंद्र मोदी कभी देश के प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे। लेकिन अगर वह यहां चाय बांटना चाहते हैं, तो हम उनके लिए जगह तलाशेंगे। इसके बाद बीजेपी ने पूरे देश में 'चाय की चर्चा' अभियान चलाया, जो मतदाताओं से सीधे जुड़ने के लिया था। इसके बाद साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में मणिशंकर ने विवादित बयान दिया। दिसंबर 2017 में गुजरात चुनाव के समय उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में 'नीच' शब्द का प्रयोग किया था, जिसको भाजपा ने चुनाव में मुद्दा बनाकर जोर शोर से उठाया। कई राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कांग्रेस को इस वजह से कड़े मुकाबले में हार का मुंह देखना पड़ा था।
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दिल्ली और पंजाब में सिख वोटर ज्यादा
सैम पित्रोदा का बयान दुर्भाग्य से पंजाब और दिल्ली में चुनाव के समय आया है। दिल्ली में छठें चरण के लिए 12 मई को वोटिंग हो रही है। वहीं पंजाब में लोकसभा चुनाव के सांतवें चरण हैं में जो कि आखिरी भी है में 19 मई को वोटिंग होनी है। इन दोनों राज्यों में सिखों की बड़ी मौजूदगी है। सैम पित्रोदा का बयान कांग्रेस के खिलाफ हो सकता है और ये मुद्दा गैर-सिख मतदाता को भी प्रभावित कर सकता है। पीएम मोदी ने इस पर कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि कांग्रसे के एक वरिष्ठ नेता ने अभी कहा कि 1984 का दंगा ('हुआ तो हुआ') ये तीन शब्दों कांग्रेस के अहंकार को बढ़ाते हैं। ये नेता(सैम पित्रोदा) गांधी परिवार के करीबी, (दिवंगत) राजीव गांधी के अच्छे दोस्त और राहुल गांधी के 'गुरु' (गुरु) हैं। मोदी ने पित्रोदा का नाम लिए बिना ये कहा।
पित्रोदा ने 26/11 और पुलवामा को लेकर 'विवादित' बयान
सैम पित्रोदा के साल 2008 में हुए मुंबई हमले और पुलवामा हमले को लेकर भी बयान दिए, जिन्होंने कांग्रेस की परेशानियां बढ़ाई। पित्रोदा ने कहा कि पूरे पाकिस्तान को 26/11 और पुलवामा आतंकवादी हमलों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के 40 जवानों की जान लेने वाले आतंकी हमले पर बोलते हुए, पित्रोदा ने कहा कि हम हमलों के बारे में ज्यादा नहीं जानते। यह हर समय होता है। हमला मुंबई में भी हुआ, हम तब प्रतिक्रिया दे सकते थे और सिर्फ अपने विमानों को भेजा लेकिन सही दृष्टिकोण नहीं है। मेरे अनुसार आप दुनिया के साथ ऐसे डील नहीं कर सकते। पित्रोदा ने कहा था कि कुछ आतंकवादियों के कारण पाकिस्तान को "दंडित" करना सही नहीं था। आठ लोग (26/11 आतंकवादी) आते हैं और कुछ करते हैं, आप पूरे देश (पाकिस्तान) पर नहीं कूद सकते हैं।
'मिडिल क्लास ना हो स्वार्थी
पित्रोदा ने मिडिल क्लास को स्वार्थी ना होने के लिए कहा। कांग्रेस ने पार्टी नेता सैम पित्रोदा की टिप्पणी से खुद को दूर कर लिया था कि मध्यम वर्ग को पार्टी की प्रमुख न्याय योजना की लागत का हिस्सा होना चाहिए और कहा कि व्यर्थ सरकारी व्यय में कटौती करके धन उत्पन्न किया जाएगा। पित्रोदा ने एक समाचार चैनल से कहा कि एक कांग्रेस सरकार के तहत, मध्यम वर्ग के पास अधिक अवसर और अधिक नौकरियां होंगी और टैक्स थोड़ा बढ़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यम वर्ग को स्वार्थी नहीं होना चाहिए और "बड़ा दिल" होना चाहिए। "आप अपने आस-पास के गरीब लोगों को कैसे देख सकते हैं और महसूस कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति आपसे 10 पैसे लेने जा रहा है। यह भारत नहीं है। अगर आपको और मुझे हमारी बेल्ट को थोड़ा कसना है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। वे हमारे कजिन हैं। न्याय कांग्रेस के घोषणापत्र में एक प्रमुख वादा है जो देश सबसे गरीब 20 प्रतिशत लोगों को 72,000 करोड़ रुपये देने का वादा करता है।
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