क्या जल्दबाजी में लांच कर दिया गया रूसी कोरोना वैक्सीन, जानिए रूसी दावों पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
बेंगलुरू। नोवल कोरोनवायरस महामारी के खिलाफ एंटी वैक्सीन निर्माण का सर्वप्रथम दावा करने वाले रूस के दावों पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों द्वारा सवाल उठा दिए गए है। विशेषज्ञों द्वारा सवाल उठाने शुरू करने से अब रूसी वैक्सी स्पटूनिक वी की प्रभावकारिता और सुरक्षा को लेकर संशय की स्थिति बन गई हैं। लेकिन रूसी कोरोना वैक्सीन पर संशय के बादल तब और ज्यादा गहरा गए जब रूसी सरकार ने कोरोना वैक्सीन से जुड़े दस्तावेज पेश किए।
दरअसल, कथित स्पूटनिक वी कोरोना वैक्सीन के दस्तावेजों से जो सबसे अहम जानकारी मिली है, उसके मुताबिक वैक्सीन कितनी सुरक्षित है, इसे जानने के लिए क्लीनिकल स्टडी पूरी ही नहीं हुई है। यही नहीं, रूसी वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन से पहले रूसी विशेषज्ञ तक ने वैक्सीन की सुरक्षा और साइडइफेक्ट को लेकर आशंका जता चुके हैं। इस संबंध में मास्को की एसोसिएशन ऑफ क्लीनिकल ट्रायल ऑर्गोनाइजेशन (ACTO) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिख चुका है।
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स्वेतलाना जावीडोवा के मुताबिक सभी कार्पोरेशन नियमों का पालन कर रहे हैं
मॉस्को एसोसिएशन ऑफ क्लीनिकल ट्रायल ऑर्गोनाइजेशन की एग्जीक्युटिव डायरेक्टर स्वेतलाना जावीडोवा के मुताबिक सभी कार्पोरेशन नियमों का पालन कर रहे हैं, लेकिन रूस के लोग नहीं कर रहे हैं। क्लीनिकल ट्रायल की गाइडलाइन हमारे खून में हैं, जिसे कभी नहीं बदला जा सकता है। कोई भी अप्रमाणित वैक्सीन इंसानों को लगने के बाद क्या होगा, कोई नहीं जानता है।
रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कियाः WHO
WHO ने कहा है कि रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है, ऐसे में इस वैक्सीन की सफलता और सुरक्षा पर भरोसा करना मुश्किल है। वैक्सीन उत्पादन के लिए कई गाइडलाइंस बनाई गई हैं, जो टीमें भी ये काम कर रहीं हैं, उन्हें इसका पालन करना ही होगा।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर फ्रांसुआ बैलक्स कहते है
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर फ्रांसुआ बैलक्स कहते है, रशिया का ऐसा करना शर्मनाक है, जो कि एक बेहद घटिया फैसला है। ट्रायल की गाइडलाइन को नजरअंदाज करके वैक्सीन को बड़े स्तर पर लोगों को देना गलत है। इंसान की सेहत पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा।
वैक्सीन सबसे पहले बने, इससे ज्यादा जरूरी है यह सुरक्षित हो: जर्मनी
जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेंस स्पान के मुताबिक रशियन वैक्सीन की पर्याप्त जांच नहीं की गई। इसे लोगों को देना खतरनाक साबित हो सकता है। वैक्सीन सबसे पहले बने, इससे ज्यादा जरूरी है यह सुरक्षित हो।
उम्मीद करता हूं रशिया ने वाकई में वैक्सीन को प्रमाणित कराया होः फाउसी
अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फॉकी ने वैक्सीन पर सवाल उठाते हुए कहा, बिना पूरे ट्रायल हुए वैक्सीन को बांटने की तैयारी करना समस्या को और बढ़ा सकता है। डॉ. एंथनी ने कहा, मैं उम्मीद करता हूं रशिया ने वाकई में वैक्सीन को प्रमाणित कराया हो और यह सुरक्षित साबित हो।
सबसे जरूरी बात है कि रूसी वैक्सीन के दावे से जुड़ा हर डाटा पारदर्शी हो
अमेरिकी हेल्थ एंड ह्यूमन सेक्रेट्री एलेक्स एजर के मुताबिक, सबसे जरूरी बात है कि वैक्सीन से जुड़ा हर डाटा पारदर्शी हो। यही इसे प्रमाणित करेगा कि वैक्सीन कितनी सुरक्षित है और लोगों को बीमारी बचा पाएगी या नहीं।
जिस समयावधि में वैक्सीन विकसित का दावा किया वह संदेह पैदा करता है
एक प्रभावी टीका विकसित होने में कम से कम 10 साल का समय लगता है और इस पर $500 मिलियन से अधिक का खर्च आता है। रूस ने कहा है कि उसने काफी पहले ही वैक्सीन विकसित कर ली थी, लेकिन मौजूदा संकट को देखते हुए जल्दी वैक्सीन विकसित करना संभव है। रूस ने जिस समयावधि में यह दावा किया है वह संदेह पैदा करता है. ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि क्या रूस ने वास्तव में वैक्सीन बना ली है या फिर यह कोई पब्लिसिटी स्टंट है?
वैक्सीन ट्रायल के नाम पर 42 दिन में मात्र 38 वॉलंटियर्स को डोज दी गई
डेली मेल की एक खबर के मुताबिक रूसी वैक्सीन के ट्रायल के नाम पर 42 दिन में मात्र 38 वॉलंटियर्स को ही इस वैक्सीन की डोज दी गई थी। ट्रायल के तीसरे चरण पर रूस कोई जानकारी देने के लिए तैयार नहीं है,
दस्तावेज बताते हैं कि 38 वॉलंटियर्स में 144 तरह के साइड इफेक्ट देखे गए
रूसी सरकार का दावा है कि हल्के बुखार के अलावा कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे, जबकि दस्तावेज बताते हैं कि 38 वॉलंटियर्स में 144 तरह के साइड इफेक्ट देखे गए हैं। ट्रायल के 42 वें दिन भी 38 में से 31 वॉलंटियर्स इन साइडइफेक्ट से परेशान नज़र आ रहे थे।तीसरे ट्रायल में क्या हुआ इसकी जानकारी तो दस्तावेजों में दी ही नहीं गई।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जो दिया किया उसका कोई साइंटिफिक डेटा नहीं है
खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने माना है कि जब उनकी बेटी ने वैक्सीन का शॉट लिया तो उसे भी बुखार हो गया था, लेकिन वह जल्द ही ठीक हो गई। पुतिन ने दावा किया कि मेरी बेटी के शरीर में एंटीबॉडीज बढ़ी हैं। हालांकि इस दावे को भी सच साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया गया है। रूस ने अब तक वैक्सीन के जितने भी ट्रायल किए हैं, उससे जुड़ा साइंटिफिक डाटा पेश नहीं किया है।
वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किया है या नहीं, इस पर भी संशय है
तीसरे चरण का ट्रायल किया है या नहीं, इस पर भी संशय है। WHO की प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर पहले ही कह चुकीं हैं कि तीसरे चरण का ट्रायल किए बगैर ही वैक्सीन का मास वैक्सीनेशन खतरनाक साबित हो सकता है।
रूस ने क्लिीनिकल परीक्षण के अंतिम चरण से पहले वैक्सीन को मंजूरी दी
रूस ने क्लिीनिकल परीक्षण के अंतिम चरण की शुरुआत से पहले ही एक वैक्सीन को मंजूरी दे दी है, जबकि वैक्सीन की प्रभावशीलता और सुरक्षा को सत्यापित करने के लिए दवा को हजारों वालंटियर्स में इंजेक्ट किया जाता है। यही कारण है कि अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग अधिकारी एंथनी फाउसी ने एक इंटरव्यू में रूसी वैक्सीन पर सवाल उठाया है।
रूस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वैक्सीन को लेकर अब नया दावा किया है
रूस के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कोरोना वैक्सीन 'स्पूतनिक वी' कम से कम दो सालों तक कोरोना वायरस से सुरक्षा प्रदान करेगी। रूसी न्यूज एजेंसी टीएसएसएस के अनुसार गामालेया अनुसंधान केंद्र के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा कि रूस की कोरोना वैक्सीन का असर सिर्फ छह महीने या सालभर तक के लिए नहीं होगा, बल्कि यह दो साल तक असर करेगी और वायरस को दूर रखेगी।
बड़ा सवाल है कि रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय वैज्ञानिक ने क्यों दिया इस्तीफा?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा कोरोना वैक्सीन की घोषणा के बाद रूस के वरिष्ठ श्वांस रोग विशेषज्ञ प्रो. एलेक्जेंडर चुचैलिन ने रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय की एथिक्स काउंसिल से इस्तीफा दे दिया था। बताया गया कि ‘स्पूतनिक वी' वैक्सीन का पंजीकरण नहीं रोक पाने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया था। प्रो. एलेक्जेंडर वैक्सीन की सुरक्षा और असर पर सवाल उठाते रहे हैं।
रूसी वैक्सीन का टेस्ट बंदरों पर भी नहीं करेंगे,इंसान दूर की बात हैः अमेरिका
रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन का मजाक उड़ाते हुए अमेरिकी ने कहा कि हम ऐसी वैक्सीन का टेस्ट बंदरों पर भी नहीं करेंगे, इंसान तो बहुत दूर की बात है। अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका में रूस की वैक्सीन को आधा अधूरा माना गया है, इसलिए इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया।
रूस अपने दावे पर अब भी है कायम, कहा 'वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित
दुनियाभर के वैज्ञानिकों द्वारा वैक्सीन पर उठाए जा रहे सवालों के बीच रूस ने कहा है कि उसकी वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और उसे करीब 20 देशों से इस वैक्सीन के लिए ऑर्डर भी मिल चुका है। उधर, रशियन न्यूज एजेंसी फोटांका का दावा है कि वॉलंटियर्स के शरीर में दिखने वाले साइडइफेक्ट की लिस्ट लंबी है।
भारत में भारत बायोटेक और जायडस कैडिला की वैक्सीनों को लेकर चर्चा
भारत बायोटेक और जायडस कैडिला कोरोना वैक्सीन को लेकर काम कर रही हैं। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका की संभावित वैक्सीन को लेकर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने वैक्सीन निर्माण में जुटी हुई है।
कई ऐसी बातें हैं जो रूस के दावे पर संदेह उत्पन्न करती हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका भी पूरी तरह यह स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि रूस ने इतनी जल्दी वैक्सीन विकसित कर ली है। रूस की एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल ऑर्गनाइजेशन (ACTO) ने फिलहाल आधिकारिक टीके के रूप में स्पूतनिक V का पंजीकरण नहीं करने को कहा है। उसका कहना है कि पंजीकरण से पहले बड़े पैमाने पर ट्रायल किये जाने चाहिए। रूस के उप प्रधानमंत्री ने कुछ वक्त पहले कहा था कि वैक्सीन का औद्योगिक उत्पादन सितंबर में शुरू करने किया जाएगा। रूस की एक सरकारी वेबसाइट के मुताबिक इस हिसाब से वैक्सीन जनवरी 2021 तक तैयार होने की उम्मीद थी।
स्पूतनिक V का ट्रायल 18 जून को शुरू हुआ,वॉलेंटियरों की संख्या 100 से कम थी
स्पूतनिक V का ट्रायल 18 जून को शुरू हुआ था, जिसमें वॉलेंटियरों की संख्या 100 से कम थी। वैक्सीन को तैयार होने के लिए कई चरणों से गुजरना पड़ता है। पहले चरण में कुछ लोगों पर इसका परीक्षण किया जाता है। दूसरे चरण में यह संख्या और बढ़ जाती है और तीसरे चरण में हजारों लोगों पर ट्रायल किया जाता है। इसके बाद जाकर वैक्सीन को नियामकों द्वारा मंजूरी दे दी जाती है और उसका उत्पादन शुरू होता है। जबकि रूसी वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का आखिरी दौर जारी है, जिसका अर्थ है कि वैक्सीन की प्रभावकारिता और सुरक्षा का पता लगाने के लिए इसका बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जाना बाकी है।
एंथोनी फाउसी ने रूस के फास्ट ट्रैक दृष्टिकोण पर सवाल उठाया है
वहीं, अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथोनी फौसी ने रूस के इस फास्ट ट्रैक दृष्टिकोण पर सवाल उठाया है। WHO ने भी रूसी वैक्सीन पर मुहर नहीं लगाई है। एजेंसी की प्रवक्ता तारिक जसारेविक ने कहा है कि हम रूसी हेल्थ अथॉरिटीज के साथ करीबी सम्पर्क में हैं, वैक्सीन से संबंधित डब्ल्यूएचओ की संभावित प्री-क्वालिफिकेशन को लेकर बातचीत हो रही है।