क्या जेडीयू की डमी कैंडीडेट हैं पुष्पम प्रिया चौधरी, अचानक बिहार की राजनीति में क्यों अवतरित हुईं?
बेंगलुरू। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अब महज कुछ महीनों का इंतजार रह गया है, क्योंकि कोरोना काल को लेकर विधानसभा चुनाव को टालने की कवायद को चुनाव आयोग अब खारिज कर चुकी है। ऐसे में बिहार की राजनीति में गर्माहट बरकरार है, लेकिन बिहार की राजनीति में तूफानी एंट्री मार चुकी लंदन रिटर्न पुष्पम प्रिया चौधरी ने बिहार और मिथिलाचल की राजनीतिक पारे को बढ़ा दिया है।
Bihar needs pace, Bihar needs wings, Bihar needs change. Because Bihar deserves better and better is possible. Reject bullshit politics, join Plurals to make Bihar run and fly in 2020. #PluralsHasArrived #ProgressiveBihar2020 pic.twitter.com/GiQU00oiJv
— Pushpam Priya Choudhary (@pushpampc13) March 8, 2020
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CM नीतीश के खिलाफ ताल ठोक चुकीं हैं लंदन रिटर्न पुष्पम प्रिया चौधरी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ ताल ठोक चुकीं लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स एंड पॉलिटिकल साइसेज़ से मास्टर पुष्पम प्रिया चौधरी जेडीयू नेता और पूर्व विधान परिषद के सदस्य रह चुके विनोद चौधरी की बेटी हैं और गत 8 मार्च महिला दिवस पर बिहार की राजनीति में एंट्री लेते ही खुद सीएम कैंडीडेट के तौर पर पेश कर दिया। बिहार बदलने के दावा करने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी अखबारों में फुल विज्ञापन के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे कोई भी उन्हें नोटिस किए बिना नहीं रह सका है।
बिहार की राजनीति में अचानक पुष्पम प्रिया चौधरी की एंट्री पर उठे सवाल
'प्लूरल्स' नामक पार्टी का गठन और पंखों वाले दो घोड़े की पार्टी चिन्ह के साथ बिहार की राजनीति में अवतरित हुईं पुष्पम प्रिया चौधरी भले ही बिहार की राजनीति का दम भरती हुईं नजर आ रहीं हैं, लेकिन उनके दावों और इरादों के बीच बिहार की राजनीति में अचानक हुई पुष्पम प्रिया चौधरी की एंट्री को मामूली नहीं कहा जा सकता है। मिथिलांचल से ताल्लुक रखने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी की सियासत में एंट्री को जदयू की सियासी रणनीति हो सकती है।
मिथिलांचल की राजनीति में एंट्री के लिए जद्दोजहद कर रही है जेडीयू
यह इसलिए भी कहा जा सकता है, क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जडीयू मिथिलांचल की राजनीति में एंट्री करने के लिए काफी समय से जद्दोजहद कर रही है, लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव और 2019 विधानसभा चुनाव में मिथिलांचल में पार्टी की हालत बताती है कि इस विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार मिथिलांचल में पार्टी की बेहतर उपस्थिति के लिए जंग छेड़ दिया है, जिसकी शुरूआत उन्होंने 2017 में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में की थी।
क्या एक डमी कैंडीडेट के तौर पर पुष्पम प्रिया को जडीयू द्वारा उतारा गया
पुष्पम प्रिया चौधरी जदयू नेता विनोद चौधरी की बेटी हैं और मिथिलांचल में बीजेपी के गठजोड़ को तोड़ने के लिए पुष्पम प्रिया चौधरी को एक डमी कैंडीडेट के तौर पर खुद जदयू द्वारा उतारा गया हो तो, इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जदयू किसी भी हालत में मिथिलांचल में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और पुष्पम प्रिया चौधरी अगर बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में युवाओं (बीजेपी) का वोट काटने में मददगार हुईं तो जदयू का काम हो जाएगा।
मिथिला के विकास के बिना बिहार का विकास करना मुमकिन नहींः नीतीश
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में मिथियांचल की राजनीति में एंट्री की घोषणा करते हुए सीएम नीतीश कुमार कहा था कि मिथिला के विकास के बिना बिहार का विकास करना मुमकिन नहीं है। नीतीश ने यह बयान अखिल भारतीय मिथिला संघ के 50 साल पूरे होने पर दिया था। नीतीश ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा था कि जिस तरह बिहार के विकास के बिना देश का विकास संभव नही है, उसी प्रकार मिथिला के विकास के बिना बिहार का विकास संभव नही है।
2019 लोकसभा चुनाव में मिथिलांचल की राजनीति में जदयू को हुआ
सीएम नीतीश कुमार ने यह बयान 2017 में दिया था, जिसका फायदा 2019 लोकसभा चुनाव में मिथिलांचल की राजनीति में जदयू को हुआ था। 2019 लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीटों बीजेपी-जदयू गठबंधन को 38 सीटें हासिल िहुईं थी। मिथिलांचल में अंतर्गत जदयू को सुपौल लोकसभा सीट और झंझारपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। यानी बीजेपी-जदयू गठबंधन ने मिलकर मिथिलांचल की लोकसभा सीटों पर झंडे गाड़ दिए।
बिहार विधानसभा चुनाव में मिथिलांचल पर है जेडीयू का है खास फोकस
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार बिहार विधानसभा चुनाव में मिथिलांचल पर फोकस करते हुए दरंभगा की बेटी पुष्पम प्रिया चौधरी की पैराशूट ग्लाइंडिंग करवाकर युवा वोटरों पर सेंधमारी करके बीजेपी की तुलना में पार्टी की जमीन मजबूत करना चाहती है। पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही एक सीट न जीत पाएं, लेकिन बीजेपी समेत दूसरी पार्टियों के युवा वोटरों को आकर्षित जरूर कर सकती है, जिससे दूसरी पार्टियों को कुछ वोटों का नुकसान हो सकता है, जिसका फायदा मिथिलांचल में जदयू को मिल सकता है।
इसलिए पुष्पम प्रिया चौधरी को जेडीयू की डमी पार्टी कहा जा रहा है
शायद यही कारण है कि जानकारों द्वारा पुष्पम प्रिया चौधरी को जदयू की डमी पार्टी कहा जा रहा है। यह ठीक वैसा ही जैसा दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 में अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP को कांग्रेस की डमी पार्टी करार दिया गया और दिल्ली विधानसभा चुनाव में दूसरी नंबर की पार्टी रही AAP ने कांग्रेस से साथ मिलकर सरकार बनाकर नंबर एक पार्टी बीजेपी को किनारे लगा दिया था।
2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को कांग्रेस की डमी पार्टी कहा गया
AAP पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस के खिलाफ लड़ी, लेकिन कई सीटों पर बीजेपी कई उम्मीदवारों के वोटों पर सेंध लगाकर बीजेपी को बहुमत तक पहुंचने से दूर कर दिया। संभवतः बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू चीफ नीतीश कुमार बीजेपी के परंपरागत वोटरों पर सेंध लगाने के लिए पुष्पम प्रिया चौधरी को विशेषकर मिथिलांचल में उतारा है, जिसके जरिए वह मिथिलांचल में अपने पांव मजबूत कर सके और बीजेपी को कमजोर कर सके। हालांकि जदयू की यह रणनीति लोकसभा चुनाव 2024 पर अधिक केंद्रित हैं।
जेडीयू लंबे समय से मिथिलांचल में खुद को स्थापित करना चाह रही है
जेडीयू लंबे समय से मिथिलांचल की राजनीति में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि मिथिलांचल में बीजेपी की मजबूत पकड़ है। बीजेपी के बाद मिथिलांचल में कांग्रेस का नंबर है, लेकिन अब नीतीश कुमार जेडीयू की पकड़ मजबूत करने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में मिथिलांचल के विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में नरेन्द्र मोदी की लहर में कई दिग्गज लड़ाकों की सियासी जमीन कट गई थी।
मिथिलांचल में वोटों में सेंधमारी करके जेडीयू समीकरण बदलना चाहती है
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के हुक्मदेव नारायण यादव ने मधुबनी और रमा देवी ने शिवहर सीट पर कब्जा जमाया तो पार्टी ने जेडीयू से झंझारपुर सीट भी झटक ली थी। उधर एनडीए (रालोसपा) प्रत्याशी रामकुमार शर्मा ने जेडीयू की सीतामढ़ी सीट छीन ली है। हालांकि 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी-जदयू साथ लड़ी तो जेडीयू दोबारा झंझारपुर सीट जीतने में सफल रही, लेकिन इसमें करिश्मा मोदी लहर का अधिक था, जिसमें पुष्पम प्रिया चौधरी के जरिए वोटों में सेंधमारी करके जेडीयू समीकरण बदलना चाहती है।
8 मार्च, 2020 को बिहार की राजनीति में दस्तक देने उतरी पुष्पम प्रिया
8 मार्च, 2020 को लगभग सभी नामचीन अखबारों के पहले पन्ने पर बड़े-बड़े विज्ञापनों के साथ बिहार की राजनीति में दस्तक देने उतरी पुष्पम प्रिया चौधरी ने खुद को बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए सीधे मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया और तब से लगातार बिहार में राजनीतिक रैलियां कर रही हैं। उनकी यह कवायद उनकी प्लूरल्स क्या गुल खिलाएगी, यह तो चुनाव बाद सामने आ जाएगा, लेकिन अगर प्लूरल्स मिथिलांचल के सभी विधानसभा सीटों पर 1-2 फीसदी वोट पाने में सफल हुई तो जदयू को फायदा मिलना तय हैं।
दरंभगा जिले की पुष्पम प्रिया के पिता विनोद चौधरी जेडीयू में बने हुए हैं
मिथिलांचल के दरंभगा जिले की पुष्पम प्रिया चौधरी के पिता विनोद चौधरी वर्तमान में भी जेडीयू में बने हुए हैं, जबकि उनके चाचा अजय चौधरी दरभंगा जेडीयू जिलाध्यक्ष पद पर कायम है, यह बतलाता है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में पुष्पम प्रिया चौधरी को महज मिथिलांचल वोटरों को साधने के लिए रणनीतिक रूप से उतारा गया है। दिलचस्प यह है कि पुष्पम प्रिया चौधऱी के दिवंगत दादा उमाकांत चौधरी सीएम नीतीश के करीबियों में एक थे।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंसेज से एमए हैं प्रिया
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंसेज से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए की डिग्री हासिल करने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी ने इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स से डेवलपमेंट स्टडीज में भी एमए किया है। विज्ञापन में उन्होंने बताया है कि विदेश में पढ़ाई के बाद अब वो बिहार वापस आकर उसे बदलना चाहती हैं, लेकिन उनके पैराशूट ग्लाइडिंग करके सीधे नीतीश की चुनौती देने वाली थ्योरी हजम नहीं हो रही है।
मिथिलांचल में पुष्पम प्रिया किसके पाले में खड़ी होकर बैटिंग कर रही हैं?
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में तीसरे मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में एंट्री लेने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी के पिता विनोद चौधरी ने नीतीश के खिलाफ खड़ी बेटी के विज्ञापन पर अरूचि जरूर दिखाई, लेकिन बेटी को आशीर्वाद देने से नहीं चूके। इसका सीधा मतलब है कि पुष्पम प्रिया चौधरी किस पाले में खड़ी हैं और किसके खिलाफ मिथिलांचल में बैटिंग कर रही हैं।