आखिर नेपाल किसके इशारे पर कालापानी पर भारत से कर रहा टकराव
बेंगलुरु। भारत के नए मानचित्र को लेकर हमारा पड़ोसी मित्र देश नेपाल खफा चल रहा है। इसकी वजह से भारत और नेपाल के बीच तनाव शुरु हो चुका हैं। इस मानचित्र को लेकर भारत के खिलाफ नेपाल में विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे थे। इसी बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत को अल्टीमेटम तक दे डाला। उन्होंने कहा, 'हमलोग अपनी एक इंच ज़मीन भी किसी के क़ब्ज़े में नहीं रहने देंगे। भारत और तिब्बत के बीच का ट्रिजंक्शन है और यहां से भारत को तत्काल अपने सैनिक हटा लेने चाहिए। मामला इसलिए और गंभीर हो गया है क्योंकि पहली बार नेपाल के प्रधानमंत्री ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं।
पहले बता दें कालापानी भारत और नेपाल को लेकर एकमात्र भूमि विवाद है। जिस पर अब तक भारत का ही इस पर कब्ज़ा रहा है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद भारत ने विगत 2 नवंबर को भारत का नया नक्शा जारी किया था। जिसमें में भारत ने न सिर्फ कालापानी बल्कि पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान और कुछ हिस्सों को शामिल पूरे विश्व को अपनी शक्ति का एहसास कराया था। नक्शा जारी होने के साथ ही नक्शे में कालापानी को भी भारत की सीमा में दिखाए जाने को लेकर नेपाल की सड़कों पर प्रदर्शन तेज हो गया था।
मामले पर नेपाल के लोगों का मानना था कि ऐसा कर भारत अपनी शक्ति का दुरूपयोग कर रहा है। जबकि भारत लगातार यही तर्क दे रहा है कि नेपाल से लगी सीमा पर भारत के नए नक्शे में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। नेपाल सरकार की तरफ से कहा गया था कि नेपाल के पश्चिमी इलाके में स्थित कालापानी उसके देश की सीमा में है। नेपाल के स्थानीय मीडिया ने खबर दी कि कालापानी नेपाल के धारचुला जिले का हिस्सा है जबकि भारत के मानचित्र में इसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा दिखाया गया है।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के यूथ विंग में ओली ने कही थी ये बात
यदि भारत नहीं मानता है तो फिर नेपाल की सरकार न सिर्फ मामले को गंभीरता से लेगी बल्कि इसके लिए सख्त से सख्त कदम उठाए जाएंगे। नेपाल के पीएम ओली ने ये भी कहा था कि ,'सरकार इस सीमा विवाद को संवाद के ज़रिए सुलझा लेगी। हमारी ज़मीन से विदेशी सैनिकों को वापस जाना चाहिए। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी ज़मीन की रक्षा करें।
हमें किसी और की ज़मीन नहीं चाहिए तो हमारे पड़ोसी भी हमारी ज़मीन से सैनिकों को वापस बुलाए। पीएम ओली ने यह सारी बातें नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के यूथ विंग 'नेपाल युवा संगम' को संबोधित करते हुए कही थी। उन्होंने नेपाल द्वारा एक संसोधित नक्शा जारी करने की बात को भी सिरे से खारिज कर दिया। युवा कम्युनिस्टों से संबोधित होते हुए ओली ने कहा कि यदि भारत हमारी ज़मीन से सेना हटाता है तो हम संवाद के लिए तैयार हैं।
चीन बना रहा नेपाल पर दबाव!
नेपाल के पीएम ओली ने जो तेवर दिखाए हैं उससे पीछे कहीं न कहीं चीन का हाथ भी है। इस मामले में सीधे तौर पर चीन का हस्तक्षेप भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस जमीन को लेकर भारत के खिलाफ जाने के लिए चीन लगातार नेपाल पर दबाव बना रहा है।
बता दें भारत के इस नए नक़्शे का सीधा असर चीन और पाकिस्तान पर हुआ है क्योंकि अक्साई चिन को भी इसमें भारत का हिस्स दिखाया गया है। पहले ही जम्मू कश्मीर सेअनुच्छेद 370 रद्द किए जाने के बाद से अलग-अलग मोर्चों पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा हैं। जिसके कारण चीन की कड़ी आलोचना भी सहनी पड़ी। ऐसे में अब उसका नेपाल को भड़काना उसकी मंशा साफ़ कर देता है कि वह कि वह जानबूझ कर नेपाल को भारत के खिलाफ खड़ा करना चाहता हैं।
अक्साई चिन जाने से भयभीत है चीन
अक्साई चिन मूल जम्मू-कश्मीर का 15 फीसदी हिस्सा है। इस स्थान पर चीन ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। चीन हमेशा से ही दावा करता रहा है कि अक्साई चिन झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा है।
1950 में चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर उस पर कब्जा कर लिया था। तिब्बत पर अधिकार जमाने के बाद चीन ने कश्मीर के अक्साई चीन के करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूभाग पर अपना कब्जा जमा लिया था।अक्साई चिन समुद्रतल से करीब पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक साल्ट फ्लैट विशाल रेगिस्तान है। यहां का क्षेत्रफल 37 हजार 244 स्क्वायर मीटर है।
अमित शाह कह चुके हैं अक्साई चीन भारत का हिस्सा है
चीन ने इस क्षेत्र को प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक जिले का हिस्सा बनाया है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने का प्रस्ताव संसद में पारित होने के समय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) और अक्साई चिन सहित संपूर्ण जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा हैं।
शाह ने कहा था कि जब भी मैं जम्मू-कश्मीर की बात करता हूं तो पीओके और अक्साई चिन भी इसी के अंदर आता है। उन्होंने कांग्रेस को कहा कि आप क्या बात कर रहे हैं, हम इसके लिए जान भी दे देंगे। अमित शाह के इस बयान के बाद से अक्साई चिन को लेकर चीन भयभीत हैं। इसीलिए वह भारत के पड़ोसी देश नेपाल को कालापानी को लेकर भड़का रहा हैं।
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