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क्या ताइवान की ओर ध्यान भटका कर लद्दाख में बड़े हमले की तैयारी में है चीन

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नई दिल्ली- चीन की सेना पांच थियेटर कमांड में बंटी हुई है। उसने एक थियेटर कमांड को लद्दाख के लिए खुला छोड़ रखा है और बाकी चार में से तीन को दक्षिण चीन सागर में सक्रिय कर रखा है। कभी वह अमेरिकी जंगी जहाजों की मौजूदगी में समुद्र से लेकर आसमान में और आसमान से लेकर समंदर की ओर फाइटर जेट और जंगी बेड़ों के जरिए युद्धाभ्यास में शामिल होता है तो कभी ताइवान के वायु क्षेत्र में अपने फाइटर जेट से घुसपैठ करवा देता है। लेकिन, लगता है कि हकीकत में ये सब चीन की चाल भर है। वह असल में लद्दाख पर नजरें टिकाए हुए है और कभी भी कोई बड़ा एक्शन शुरू कर सकता है। क्योंकि, चीन ऐसा पहले भी करता रहा है।

अपनी सैन्य गतिविधियां जारी रख रहा है चीन

अपनी सैन्य गतिविधियां जारी रख रहा है चीन

गलवान घाटी की घटना के बाद से ही चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने अपने 5 में से 4 मिलिट्री थियेटर कमांड का रुख ईस्ट चाइना सी और येलो सी लेकर साउथ चाइना सी की ओर मोड़ रखा है। जानकारी के मुताबिक इन इलाकों में चीनी सेना की ओर से फायरिंग ड्रिल और युद्धाभ्यास असल में लद्दाख के लिए तैयार की गई उसकी सोची-समझी रणनीति से दुनिया का ध्यान भटकाने की साजिश है। इसका बड़ा उदाहरण ये है कि पिछले 10 सितंबर को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के मास्को में हुई बातचीत के आधार पर भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की बातचीत की एक तारीख अभी तक तय नहीं हुई है। लेकिन, पीएलए ने एलएसी पर पश्चिमी सेक्टर के 1,597 किलोमीटर के वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपनी सेना का जमावड़ा बढ़ाना बंद नहीं किया है। जबकि, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बातचीत में यह तय हो चुका है कि मिलिट्री कमांडरों से कहा जाएगा कि पहले जमीन पर डिसइंगेजमेंट शुरू करें और फिर डिएस्केलेशन समझौते को लागू करें।

लद्दाख के लिए चीन के दिमाग में कुछ खौफनाक है ?

लद्दाख के लिए चीन के दिमाग में कुछ खौफनाक है ?

चीन का खेल समझने के लिए निक्की एशियन रिव्यू की रिपोर्ट गौर करने लायक है। पीएलए ने दक्षिण चीन सागर को देखने वाली दक्षिणी थियेटर कमांड, कोरियाई प्रायद्वीप पर नजर रखने वाली उत्तरी थियेटर कमांड और धुर-विरोधी जापान और ताइवान पर नजर रखने वाली पूर्वी थियेटर कमांड को पूरी तरह से सक्रिय कर रखा है। अखबार का कहना है कि चीन ने 1950 के दशक में कोरियाई युद्ध की ओर दुनिया का ध्यान खींचकर इसी तरह तिब्बत को हड़प लिया था। उसी तरह से चीन ने अभी जिस तरीके से अपने तीन-तीन थियेटर कमांड को अलग-अलग मोर्चों पर सक्रिय किया है, उसका असल मकसद हिमालय के काराकोरम-जंस्कार रेंज में जारी असली तनाव से दुनिया का ध्यान भटकाना है। सच तो यह है कि लद्दाख ऑपरेशन के लिए पीएलए की पश्चिमी थियेटर कमांड ने शिंजियांग और तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट को पूरी तरह से सक्रिय कर दिया है, जो उस इलाके में आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं।

1962 में चीन ने ऐसे ही दिया था धोखा

1962 में चीन ने ऐसे ही दिया था धोखा

सच्चाई ये है कि 1950 की दशक के कोरियाई युद्ध ने भी जवाहर लाल नेहरू सरकार और भारतीय कूटनीति का ध्यान इसी तरह भटका दिया था। वह उत्तर कोरिया के मुद्दे को सुलझाने में उलझ गए और अपने पूर्वी और पश्चिमी सेक्टर को चीनी सेना के लिए 1962 में खुला छोड़ दिया। जब पूरी दुनिया क्यूबा मिसाइल संकट में उलझी हुई थी, चीन की सेना ने भारत पर हमला बोल दिया। भारत चीन के भटकाने, घुमाने और धोखा देने वाली चालबाजियों से अब वाकिफ हो चुका है। सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के स्तर पर मौजूदा संकटों का हल निकालने की कोशिश तो हो रही है, लेकिन, सेना हिमालय की सीमाओं से लेकर समुद्री सीमाओं तक हर बुरी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। चीन इन हालातों में सूचना युद्ध और मनोवैज्ञानिक जंग का भी इस्तेमाल करता है और उसकी ये कोशिशें भी चल रही हैं। लेकिन, भारत ही नहीं अब दुनिया उसके इन पैतरों को समझ चुकी है।

ताइवान पर चीन के आक्रामक रवैए का मतलब ?

ताइवान पर चीन के आक्रामक रवैए का मतलब ?

एक आशंका यह भी हो सकती है कि चीन लद्दाख में ही भारत से जंग के हालात बनाकर असल में ताइवान को पूरी तरह से अपने कब्जे में करना चाहता है। क्योंकि, हॉन्ग कॉन्ग पर कानूनी तिकड़मों से तो वह बहुत हद तक सफल भी हो चुका है। लेकिन, शी जिनपिंग को यह भी बखूबी पता है कि वह रोजाना 17 या 19 फाइटर जेट भेजकर ताइवान को टेंशन में जरूर डाल सकते हैं, लेकिन उसपर हमले का मतलब है तीसरे विश्व युद्ध को खुला निमंत्रण देना; और कोरोना वायरस के चलते पहले से ही बदनाम चीन के लिए फिलहाल इतना साहस जुटा पाना दूर की कौड़ी लगता है।

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English summary
Is China planning to attack in Ladakh by diverting worlds attention to Taiwan
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