क्या तिब्बत में कृत्रिम झील बना रहा है चीन, अरुणाचल प्रदेश में अलर्ट
नई दिल्ली- पूर्वी लद्दाख में चीन की सेना तमाम वादों के बावजूद सभी इलाकों से अभी तक पीछे नहीं हटी है। उधर अरुणाचल प्रदेश में एक नया संकट पैदा हो गया है। गृह मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक तिब्बत में एक कृत्रिम झील का निर्माण हो रहा है। अब यह झील प्राकृतिक तौर पर ही बन रहा है या यह चीन की किसी नई चालबाजी का हिस्सा है, डंके की चोट पर कुछ भी कहना मुश्किल है। वैसे चिंता इस बात को लेकर जताई जा रही है कि अगर इस झील के साथ किसी वजह से छेड़छाड़ की गई तो अरुणाचल प्रदेश खासकर सियांग नदी घाटी में भारी तबाही मच सकती है। वैसे भी अरुणाचल प्रदेश पर चीन की पहले से ही गिद्ध दृष्टि है।
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क्या तिब्बत में कृत्रिम झील बना रहा है चीन ?
तिब्बत में यीगोन्ग त्सो नदी पर एक कृत्रिम झील का निर्माण हो रहा है। एक अधिकारी के मुताबिक गृह मंत्रालय से ऐसी रिपोर्ट मिलने के बाद अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी घाटी में अलर्ट जारी कर दिया गया है। अरुणाचल प्रदेश के डिजास्टर मैनेजमेंट के डायरेक्टर अतुल तायेंग ने इस सूचना के बाद खत लिखकर अरुणाचल के सियांग, अपर सियांग, ईस्ट सियांग और वेस्ट सियांक के डिप्टी कमिश्नरों को हाल ही में खत लिखकर चौकन्ना रहने को कहा है और कृत्रिम झील की वजह से किसी वक्त अचानक बाढ़ की हालात पैदा होने की परिस्थितियों के हिसाब से तैयारी रखने को कहा है। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत के जिस इलाके में यह कृत्रिम झील का निर्माण हुआ है, वह भारतीय सीमा से 200 किलोमीटर से कुछ ज्यादा दूरी पर है।
सियांग नदी बेसिन के इलाकों में अलर्ट
अरुणाचल प्रदेश के डिजास्टर मैनेजमेंट के डायरेक्टर के मुताबिक वैसे इस कृत्रिम झील की वजह से अरुणाचल में तात्कालिक भीषण बाढ़ की आशंका तो नहीं है, लेकिन झील में पानी बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता, इसलिए स्थानीय प्रशासन को बाढ़ की हर स्थिति के लिए तैयारी रखने को कहा गया है। मामला चीन की चालबाजी से जुड़ा है, इसलिए शायद कोई भी एजेंसी जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं है। उधर अरुणाचल पूर्व संसदीय क्षेत्र के भाजपा सांसद तापिर गाओ ने कहा है कि सभी उपायुक्तों से बात की है और कहा है कि लोगों को तब तक सियांग नदी बेसिन के पास न जाने दें, जब तक गृह मंत्रालय इसके लिए हामी न करे। गाओ ने कहा कि 'इस समय अगर अचानक ज्यादा पानी आ जाय तो यह खतनाक साबित हो सकता है, क्योंकि बारिश के मौसम की वजह से जलस्तर पहले से ही ज्यादा है।'
भूकंप की वजह से बनी है झील ?
उधर सियांग के उपायुक्त राजीव टाकुक ने बताया कि गांव बुराहों (ग्राम प्रधानों) को निचल इलाके में रहने वाले स्थानीय निवासियों के पास ये संदेश पहुंचाने के लिए भेजा गया है कि घबराएं नहीं, लेकिन किसी भी स्थिति के लिए अलर्ट जरूर रहें। पूर्वी सियांग की उपायुक्त डॉक्टर किन्नी सिंह ने भी कहा है कि निचले स्तर तक सबको चौंकन्ना रहने को कहा गया है, हालांकि बाढ़ का खतरा ज्यादा नहीं है। लेकिन, सियांग नदी के बारे में कोई भी अंदाजा लगाना मुश्किल है। इस बीच पासीघाट वेस्ट के कांग्रेस विधायक नियोंग एरिंग ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर मांग की है कि वो चीन के अपने समक्ष से कहें कि सियांग नदी की स्थिति के बारे में ताजा जानकारी साझा करें। यह नदी असम में ब्रह्मपुत्र और तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जानी जाती है। उन्होंने ये भी कहा कि चीन ने पिछले दो वर्षों से इसके बारे में जानकारी साझा नहीं की है। उन्होंने कहा है कि ईस्ट माउंटेन रेंज में नीन-चिंग-तांग-कु-ला-शान में भूस्खलन के बाद सियांग नदी एकबार फिर से अरुणाचल प्रदेश और असम के लोगों के लिए खतरा बन गई। उन्होंने कहा कि भूकंप के चलते हुए भूस्खलन की वजह से यीगोंग त्सांगपो में एक प्राकृतिक डैम बन गया है, जो कि दक्षिण तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो या सियांग नदी की एक मुख्य सहायक नदी है।
विपक्ष ने की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाने की मांग
प्रदेश कांग्रेस के विधायक से थोड़ा अलग दिल्ली में कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि यह कृत्रिम झील (कृत्रिम होने का मतलब ये है कि इसे चीन साजिश के तौर पर भी बना सकता है या जानबूझकर बनने दे सकता है) अरुणाचल प्रदेश के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी (यीगोन्ग त्सो) पर बनाई जा रही झील अरुणाचल प्रदेश के ऊपर है, जो 'वॉटर बम' भी साबित हो सकती है। अगर इसमें अगर कोई दरार आई या जानबूझकर इसे तोड़ा गया तो अरुणाचल प्रदेश और सियांग घाटी में बड़ी तबाही की वजह बन सकती है। कांग्रेस ने मोदी सरकार से इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान परिषद में ले जाने की मांग की है। उन्होंने मोदी सरकार की लद्दाख नीति को लेकर भी जमकर हमला बोला है। (तस्वीरें प्रतीकात्मक)
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