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'क्या कश्मीर में चीन का दख़ल बढ़ रहा है'?

भारतीय कश्मीर के वरिष्ठ मंत्री नईम अख़्तर ने कहा है कि चीन कश्मीर में अपने पैर जमाने की कोशिश में है और लगातार आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को संरक्षण दे रहा है.

अबतक भारत और पाकिस्तान के बीच के मसले के तौर पर देखी जाने वाली कश्मीर समस्या में चीन की बढ़ती भूमिका की बात किसी कश्मीरी मंत्री की तरफ़ से पहली बार आई है और इसने पूरे मसले को एक नया आयाम दे दिया है.

 

By BBC News हिन्दी
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सुंजवान चरमपंथी हमला
Reuters
सुंजवान चरमपंथी हमला

भारतीय कश्मीर के वरिष्ठ मंत्री नईम अख़्तर ने कहा है कि चीन कश्मीर में अपने पैर जमाने की कोशिश में है और लगातार आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को संरक्षण दे रहा है.

अबतक भारत और पाकिस्तान के बीच के मसले के तौर पर देखी जाने वाली कश्मीर समस्या में चीन की बढ़ती भूमिका की बात किसी कश्मीरी मंत्री की तरफ़ से पहली बार आई है और इसने पूरे मसले को एक नया आयाम दे दिया है.

नईम अख़्तर पीडीपी प्रमुख और सूबे की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती के क़रीबी समझे जाते हैं. साथ ही वो राज्य सरकार के प्रवक्ता भी हैं.

गुस्से में हैं हमले में मारे गये लोगों के परिवार

मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्लाह ने ट्वीट करके सवाल किया: दिल्ली हुकूमत को अख़्तर के कश्मीर में चीन के हस्तक्षेप वाले दावे पर सफ़ाई देनी चाहिए.

मंत्री से ये साक्षात्कार करने वाले अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता मुज़म्मिल जलील कहते हैं कि नईम अख़्तर के बयान के महत्व का संदर्भ समझा जाना ज़रूरी है.

मुज़म्मिल जलील कहते हैं, 'चीन और पाकिस्तान का संबंध कम से कम चार-पांच दशकों से मज़बूत रहा है. कश्मीर में जो हो रहा है वो 26-27 सालों से हो रहा है इसे लेकर इस तरह की कोई बात किसी सरकार से जुड़े व्यक्ति की तरफ़ से पहले नहीं आई थी. साथ ही ये भी समझना ज़रूरी है कि चीन ने भी कश्मीर को लेकर किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया था. आख़िर ये मामला संयुक्त राष्ट्र में दशकों से रहा है न ...'

कश्मीर
EPA
कश्मीर

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू नईम अख़्तर ने में कहा है कि कश्मीर समस्या अब सिर्फ़ भारत और पाकिस्तान के बीच इस हिस्से पर दावों का नहीं है - अब चीन भी इसमें शामिल हो गया है. भारतीय जनता पार्टी और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की साझा सरकार के सीनियर मंत्री ने ये भी कहा है कि हाल के आतंकवादी हमलों में जिस संस्था जैश-ए-मोहम्मद का नाम बार-बार आ रहा है उसे चीन का संरक्षण हासिल है.

नईम अख़्तर ने कहा है कि पाकिस्तान में जिस तरह चीन का प्रभाव बढ़ रहा है उसके मद्देनज़र भारत को पाकिस्तान से बात करने में देरी नहीं करनी चाहिए.

चीन और भारत के संबंध कई मामलों में पहले से ही तनाव भरे रहे हैं हालांकि कश्मीर के सिलसिले में उसका नाम सीधे तौर पर पहली बार लिया गया है

चीन ने न सिर्फ़ तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश जाने पर एतराज़ जताया, बल्कि अरुणाचल से अपने यहां जाने वाले लोगों को स्टैप्ल्ड वीज़ा देना शुरु किया. और तो और, उसने भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तर पूर्वी प्रदेश यात्रा पर भी नाराज़गी का इज़हार किया.

हाल के सालों में उसने कई दफ़ा पाकिस्तानी हाफ़िज़ सईद और मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किये जाने की कोशिशों पर संयुक्त राष्ट्र में अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर उसे रुकवा दिया है.

हाफ़िज़ सईद
AFP
हाफ़िज़ सईद

भारत सईद को मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड बताता है तो मसूद अज़हर का हाथ इंडियन एयरलाइंस की विमान के अपहरण में बताया जाता है.

भारतीय कश्मीर के मंत्री ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर समस्या पर जल्द से जल्द बात करनी चाहिए ताकि चीन के पाकिस्तान पर बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाई जा सके और कश्मीर समस्या के निपटारे में वो किसी तरह का अडंगा न डाल सके.

हालांकि सामरिक मामलों के जानकार सुशांत सरीन नईम अख़तर के बयानों को थोड़ी सच्चाई और थोड़ी अटकल देखते हैं. थोड़ी सच्चाई में सरीन संयुक्त राष्ट्र में भारत के सईद और मसूद पर प्रस्ताव पर चीन के वीटो का उदाहरण देते हैं लेकिन कहते हैं कि कश्मीर के भीतर चीन के हस्तक्षेप को लेकर अभी तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आये है.

सरीन नईम अख़्तर के बयान को कश्मीरी राजनीति से प्रेरित बताते हैं, 'कश्मीर की राजनीति विकेट के दोनों तरफ़ खेलने की है. उसमें ये दिखाना ज़रूरी है कि हम तो पाकिस्तान से बातचीत करना चाहते हैं .... जहां तक मैं समझता हूं इस मामले में भी भारत सरकार की तरफ़ संदेश कम है लेकिन वहां जो पाकिस्तान के समर्थन वाले लोग हैं, या पाकिस्तान, या फिर जो दहशतगर्द हैं उनको लेकर है.'

सरीन के मुताबिक़ पाकिस्तान और चीन पहले ही काफ़ी क़रीब आ चुके हैं कि उसमें किसी तरह की दूरी पैदा कर पाना या रोक लगाना मुमकिन नहीं है.

सरीन तो पाकिस्तान को चीन का सैटेलाइट स्टेट तक बताते हैं.

ग्वादर बंदरगाह
Reuters
ग्वादर बंदरगाह

भारत में एक वर्ग वो भी है जो इसे पीडीपी की केंद्र सरकार पर पाकिस्तान से बातचीत के लिए दबाव बनाने की कोशिश की तौर पर देख रहा है. उनका कहना है कि केंद्र की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार पाकिस्तान से बातचीत के बिल्कुल मूड में नहीं है और पीडीपी चाहती है कि बातचीत पर किसी न किसी तरह की पहल होनी चाहिए.

लेकिन श्रीनगर में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार अलताफ़ हुसैन कहते हैं कि ये बात वोटों की नहीं है, पीडीपी को वोट उनके कामों पर मिलेगा.

अलताफ़ हुसैन कहते हैं, 'पाकिस्तान से बातचीत पीडीपी की कोई नई मांग नहीं हैं, जब नरेंद्र मोदी यहां मुफ़्ती मोहम्मद सईद के मुख्य मंत्री रहते हुए आये थे और मुफ़्ती साहब ने उन्हें पाकिस्तान समेत सभी पक्षों से बात करने की सलाह दी थी तो प्रधानमंत्री ने उन्हें ये कहते हुए कि उन्हें इस मसले पर किसी तरह के सलाह की ज़रूरत नहीं कहते हुए एक तरह से झिड़क दिया था.'

हुसैन कहते हैं अख़्तर की बातों को अभी के हालात के मद्देनज़र देखने की सलाह देते हैं और कहते हैं कि इसे हल्के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए.

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English summary
Is China involvement increasing in Kashmir
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